
Faridabad: अनंगपुर गांव के समर्थन में उठी महापंचायत, राकेश टिकैत और दीपेंद्र हुड्डा ने सरकार पर साधा निशाना
हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अनंगपुर गांव में कल एक ऐतिहासिक महापंचायत का आयोजन किया गया, जिसमें देशभर से 36 बिरादरी के प्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता और विभिन्न राज्यों से आए लोग एक मंच पर जुटे। इस महापंचायत ने एक स्वर में हाल ही में हुई मकानों की तोड़फोड़ के खिलाफ विरोध दर्ज किया और सरकार से न्याय की मांग की।
इस मौके पर हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री और जननायक जनता पार्टी (JJP) के नेता दुष्यंत चौटाला भी मौजूद रहे। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि उनकी पार्टी अनंगपुर गांववासियों के साथ खड़ी है। चौटाला ने राज्य सरकार से सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप सही तरीके से दस्तावेजों का सत्यापन कर यह तय करने की मांग की कि किन लोगों के पास वैध रूप से घरों पर मालिकाना हक है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों के मकान अतिक्रमण की कार्यवाही में टूटे हैं, उन्हें बिना देरी के उचित मुआवजा मिलना चाहिए।
किसान आंदोलन का चेहरा बन चुके भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने भी इस महापंचायत में भाग लिया और सरकार पर सीधा हमला बोला। टिकैत ने कहा कि जब अदालत कोई फैसला किसानों के हित में देती है तो सरकार उसे लागू करने में आनाकानी करती है, लेकिन मकान तोड़ने के लिए प्रशासन पूरी ताकत से उतर आता है। उन्होंने चेतावनी दी कि आज केवल अनंगपुर गांव उजड़ा है, लेकिन यह एक शुरुआत है—अगर आवाज नहीं उठाई गई तो और भी गांवों का यही हाल होगा।
राकेश टिकैत ने कहा कि जिन जातियों के घर तोड़े जा रहे हैं, वे लोग देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले क्षेत्रों में भी रहते हैं। उनके अनुसार, यह समाज संघर्ष से पीछे हटने वाला नहीं है। उन्होंने सरकार से स्पष्ट तौर पर मांग की कि जिन लोगों के घर टूटे हैं, उन्हें मुआवजा दिया जाए या फिर सरकार फ्लैट या मकान बनवाकर दे, ताकि प्रभावित परिवार अपना जीवन सम्मानपूर्वक व्यतीत कर सकें।
इस महापंचायत में कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी हिस्सा लिया और ग्रामीणों के समर्थन में आवाज बुलंद की। उन्होंने कहा कि सरकार को एकतरफा कार्यवाही से पहले ज़मीन और मकान से जुड़े वैध दस्तावेजों की जांच करनी चाहिए थी। उनका कहना था कि जन प्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों की बात सुने बिना जो कार्रवाई की गई, वह अन्यायपूर्ण है। महापंचायत में मौजूद लोगों ने यह स्पष्ट कर दिया कि यह सिर्फ एक गांव का मामला नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश के गरीबों, किसानों और मेहनतकश लोगों की लड़ाई है। पंचायत ने सरकार को चेतावनी दी कि अगर इस मामले में उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो आंदोलन को और व्यापक रूप दिया जाएगा।