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रक्तदान करने के मामले में पीछे है दिल वालों की दिल्ली

रक्तदान करने के मामले में पीछे है दिल वालों की दिल्ली
-अनुमानित 1.70 करोड़ की आबादी में से सिर्फ ढाई लाख लोग ही करते हैं रक्तदान
-डब्ल्यूएचओ के मुताबिक कम से कम 2 फीसद आबादी को करना चाहिए रक्तदान

नई दिल्ली, 14 जून : दुर्घटना, कैंसर, इमरजेंसी सर्जरी और ऑटो इम्यून रोगों के कारण लोगों के शरीर में अक्सर भारी मात्रा में ब्लड लॉस हो जाता है। ऐसी स्थिति में रक्‍तदान के जरिए ना सिर्फ जरूरतमंदों के शरीर में खून की पूर्ति की जा सकती है। बल्कि उनके जीवन की रक्षा भी की जा सकती है। इसीलिए रक्‍तदान को महादान कहा जाता है। मगर, देश की राजधानी दिल्ली के दिल वाले नागरिक रक्तदान के मामले में डब्ल्यूएचओ के मानकों से भी पीछे हैं।

एम्स दिल्ली के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ गोपाल पाटीदार ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आबादी के हिसाब से रक्तदान के लिए दो फीसद का आंकड़ा तय किया है, जिसके तहत दिल्ली में कम से कम साढ़े तीन लाख यूनिट ब्लड डोनेशन होना चाहिए। लेकिन रक्तदान करने वाले लोगों की संख्या महज ढाई लाख ब्लड यूनिट पर आकर ठहर जाती है। यानि दिल्ली की कुल अनुमानित आबादी (1.70 करोड़) के अनुपात में महज डेढ़ फीसद लोग ही रक्तदान करने के लिए आगे आते हैं।

डॉ गोपाल पाटीदार ने कहा, इस वर्ष हम 20वां विश्व रक्तदाता दिवस मना रहे हैं जिसकी थीम, ‘दान का जश्न मनाने के 20 साल: धन्यवाद रक्तदाता’ है। इसके तहत हम लोगों को रक्तदान के प्रति जागरूक करते हैं और उन्हें जनहित में रक्तदान करने के लिए प्रेरित करते हैं। हम रक्तदान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने और जरूरतमंद लोगों के लिए सुरक्षित रक्त की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करने के अपने प्रयासों को दोगुना करने के लिए दृढ़ हैं। डॉ पाटीदार ने कहा, सामान्य ब्लड ग्रुप से लेकर दुर्लभ ब्लड ग्रुप वाले सभी लोगों को रक्तदान करना चाहिए।

उन्होंने कहा, ब्लड डोनेट करने से हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल का खतरा भी कम होता है। यानी कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ बेहतर होती है। साथ ही एक यूनिट ब्लड से एक यूनिट पैक्ड रेड ब्लड, एक-एक यूनिट प्लाज्मा और प्लेटलेट्स भी बनाया जाता है जिससे तीन लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा की जा सकती है।

कौन कर सकता है रक्‍तदान?

अगर आपकी उम्र 18 से 65 साल के बीच है तो आप रक्‍तदान कर सकते हैं। आपका वजन कम से कम 45 किलो होना चाहिए और हीमोग्लोबिन कम से कम 12.5 ग्राम होना चाहिए। इसके बाद ही आप रक्‍तदान के योग्‍य माने जाएंगे। इसके बाद विशेषज्ञ रक्तदान करने के इच्छुक व्‍यक्ति के कुछ टेस्‍ट करते हैं। टेस्‍ट की रिपोर्ट के बाद ये तय किया जाता है कि आप रक्‍तदान कर सकते हैं या नहीं।

एक व्यक्ति से कितना रक्त लिया जाता है ?

रक्तदाता के शरीर से एक बार में 350 मिलीग्राम रक्त लिया जाता है। ये शरीर में उपलब्ध रक्त का करीब 15वां भाग होता है। रक्तदान करने के तुरंत बाद ही दाता का शरीर दान किए गए खून की पूर्ति करने में जुट जाता है। अच्छे खान-पान, फल और जूस के सेवन से अगले चार हफ्ते में शरीर उतने रक्‍त की पूर्ति कर सकता है जितना दाता ने दान किया है।

कितने दिन बाद कर सकते हैं रक्तदान ?

हमारे शरीर में मौजूद लाल रक्त कणिकाएं 90 से 120 दिन के अंदर खुद ही मृत हो जाती हैं, इसलिए कहा जाता है कि पुरुष को तीन महीने में और महिला को चार महीने में रक्‍तदान करते रहना चाहिए। आपके रक्‍तदान से किसी जरूरतमंद को जीवन मिल सकता है।

ओ-पॉजिटिव नहीं ओ-निगेटिव ब्लड ग्रुप है यूनिवर्सल डोनर

ओ ब्लड ग्रुप वाले लोगों में न तो एंटीजन ए और बी होते हैं और न ही आरएच -डी। इस कारण से ये ब्‍लड ग्रुप किसी भी अन्‍य ग्रुप में आसानी से मिक्‍स हो जाता है। यानी ओ पॉजिटिव ब्लड ग्रुप वालों का खून किसी को भी आसानी से चढ़ाया जा सकता है। इसलिए इस ग्रुप को यूनिवर्सल डोनर कहा जाता है। हालांकि सच्‍चा यूनिवर्सल डोनर ओ- निगेटिव होता है, क्‍योंकि ये ब्‍लड किसी को भी चढ़ाया जा सकता है, जबकि ओ पॉजिटिव ब्‍लड ग्रुप सिर्फ ए पॉजिटिव, बी पॉजिटिव, एबी पॉजिटिव और ओ पॉजिटिव को ही चढ़ाया जा सकता है।

आठ से अधिक होते हैं ब्‍लड ग्रुप?

आमतौर पर ब्‍लड ग्रुप 8 तरह के होते हैं। ए पॉजिटिव, ए निगेटिव, बी पॉजिटिव, बी निगेटिव, ओ पॉजिटिव, ओ निगेटिव, एबी पॉजिटिव, एबी निगेटिव। लेकिन इनके अलावा भी ब्लड ग्रुप होते हैं जिन्हें रक्त कोशिकाओं की सतह पर ए या बी एंटीजन और आरएच फैक्टर के आधार पर तय किया जाता है। आरएच या तो पॉजिटिव होता है या नेगेटिव। ब्लड टाइप ए में सिर्फ़ एंटीजन ए होते हैं, ब्लड बी में सिर्फ बी, ब्लड एबी में दोनों एंटीजन होते हैं और टाइप ओ में दोनों ही नहीं होते हैं। इस तरह लोगों के अलग-अलग ब्‍लड ग्रुप का पता चलता है।

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