नई दिल्ली, 20 अगस्त : इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज (आईएलबीएस) ने मंगलवार को अपना तीसरा अनुसंधान दिवस मनाया। इस दौरान आईएलबीएस के निदेशक प्रोफेसर एवं डॉ एसके सरीन ने कहा, आईएलबीएस में अनुसंधान केवल एक गतिविधि नहीं है, बल्कि एक धर्म है।
अनुसंधान दिवस पर “हेपेटोलॉजी में नई सीमाएं: आईएलबीएस में अग्रणी अनुसंधान का अनावरण” विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें भारत के जी-20 शेरपा और नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत मुख्य अतिथि,के तौर पर मौजूद रहे। उन्होंने भारत के विकास में चिकित्सा अनुसंधान की भूमिका और वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान करने में चिकित्सा क्षमता के विकास पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि आईएलबीएस में कई इनक्यूबेटर होने चाहिए और जैव चिकित्सा अनुसंधान में इंजीनियरों और चिकित्सा बिरादरी को जोड़कर मार्ग प्रशस्त करना चाहिए। इस दौरान वर्तमान उपलब्धियों को न केवल सराहा गया बल्कि इस क्षेत्र में भविष्य के सहयोग और सफलताओं के लिए आधार भी तैयार किया गया।
वहीं, प्रो. एसके सरीन ने कहा, तीसरे आईएलबीएस अनुसंधान दिवस ने एक बार फिर हमारे संस्थान में किए जा रहे अनुसंधान की असाधारण गुणवत्ता और विविधता को प्रदर्शित किया है। बुनियादी विज्ञान जांच से लेकर नैदानिक परीक्षणों और सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेपों तक, हमारे शोधकर्ता यकृत और पित्त विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। इस दौरान एमडी, पीएचडी, नर्सिंग और पीडीसीसी एवं पीजीसीसी छात्रों द्वारा कुल 15 मौखिक शोध प्रस्तुतियां दी गईं, जिनमें यकृत और पित्त विज्ञान के विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल थी। इसके अतिरिक्त, 61 शोध पोस्टर प्रस्तुतियां प्रदर्शित की गईं, जिससे उपस्थित लोगों को शोधकर्ताओं के साथ जुड़ने और उनके निष्कर्षों पर विस्तार से चर्चा करने का अवसर मिला।