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मंकी पॉक्स को लेकर दिल्ली के अस्पताल हाई अलर्ट

-एम्स दिल्ली, सफदरजंग, लेडी हार्डिंग और आरएमएल अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड तैयार

नई दिल्ली, 20 अगस्त : वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल का कारण बने मंकी पॉक्स को लेकर राजधानी दिल्ली हाई अलर्ट पर है। जिसके चलते एम्स दिल्ली, राम मनोहर लोहिया, सफदरजंग अस्पताल और लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में आइसोलेशन वार्ड तैयार किए गए हैं।

दरअसल, अफ्रीका से निकलकर भारत के पड़ोस तक पहुंच चुका मंकी पॉक्स एक संक्रामक रोग है। इससे पीड़ित व्यक्ति को सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, ठंड लगना, थकावट और विशेष त्वचा के घाव (मैकुलोपापुलर दाने जो फुंसियों में बदल सकते हैं) जैसे लक्षण हो सकते हैं। इस संबंध में एम्स दिल्ली की चिकित्सा अधीक्षक डॉ निरुपम मदान ने मंगलवार को एक एसओपी जारी की जिसकी मदद से स्वास्थ्य विशेषज्ञ न सिर्फ मंकी पॉक्स का प्रसार रोक सकेंगे बल्कि मरीजों का उपचार भी आसानी से कर सकेंगे।

एसओपी के मुताबिक मंकीपॉक्स के संदिग्ध मरीजों के ट्रीटमेंट के लिए विशेष वार्ड तैयार करने होंगे। जिस मरीज में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखेंगे उसको आइसोलेट किया जाएगा। उसके खून के नमूने लेकर लैब जांच की जाएगी और पॉजिटिव पाए जाने पर अस्पताल के विशेष वार्ड में भर्ती किया जाएगा। इसके लिए एम्स में एबी-7 बेड नंबर 33, 34, 35, 36 और 37 को आरक्षित रखा गया है। ये बेड आपातकालीन सीएमओ की सिफारिश पर मंकी पॉक्स रोगियों को आवंटित किए जाएंगे और मेडिसिन विभाग द्वारा इलाज किया जाएगा। एबी-7 मरीज के लिए एक अस्थायी वार्ड रहेगा जब तक कि उसे दूसरे अस्पताल रेफर नहीं किया जाता।

एम पॉक्स के लिए सफदरजंग नोडल अस्पताल
मंकी पॉक्स के संदेह वाले किसी भी मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर आगे के इलाज के लिए सफदरजंग अस्पताल में भेजा जाएगा। मरीजों को सफदरजंग अस्पताल में लाने के लिए विशेष एंबुलेंस होगी। सफदरजंग अस्पताल में मंकीपॉक्स के मरीज का इलाज होगा। संदिग्ध मामलों से निपटने के दौरान कर्मचारियों को (पीपीई) किट का उपयोग करने की सलाह दी गई है। इस दौरान विशेष सावधानी बरतने को कहा गया है। यहां नए आपातकालीन ब्लॉक में एक कमरा आरक्षित है जिसे बुधवार को अंतिम निर्णय होने तक सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक में स्थानांतरित करने की योजना है।

आरएमएल अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड
केंद्र सरकार के आरएमएल अस्पताल में संदिग्ध मंकी पॉक्स मामलों के लिए 10 बिस्तरों वाला क्षेत्र आरक्षित किया गया है, जिसमें चिकित्सा और त्वचाविज्ञान विभागों के दो नोडल अधिकारी मरीजों की स्वास्थ्य स्थिति की निगरानी करेंगे।

दिल्‍ली सरकार के लोकनायक में भी वार्ड
केंद्र सरकार के अलावा दिल्‍ली सरकार के लोक नायक अस्पताल में भी मंकीपॉक्स के मरीजों के लिए आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है। अस्पताल प्रशासन की ओर से बताया गया कि अभी तक मंकीपॉक्स का कोई मरीज अस्पताल में नहीं आया है, लेकिन अगर आता है तो उसे इसी वार्ड में रखा जाएगा।

भारत में मंकीपॉक्स के वायरस का असर कम
विशेषज्ञों का कहना है कि इस वायरस से संक्रमण होने पर मौत होने का अधिक खतरा है। लेकिन इस वायरस का भारत में असर होने की संभावना बहुत कम है। विशेषज्ञों की ओर से यह भी कहा गया है कि मंकीपॉक्स का कोरोना के साथ कोई संबंध नहीं है। आईसीएमआर की 32 लैब में इसकी जांच की सुविधा उपलब्ध है। सभी अस्पतालों में इसके लिए नोडल ऑफिसर तैनात हैं। मंकीपॉक्स के लक्षण चिकन पॉक्स की तरह ही होते हैं। इसमें शरीर पर दाने निकल आते हैं। वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा अफ्रीकी देशों में मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों के चलते इसको वैश्विक दृष्टिकोण से पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी के रूप में वर्गीकृत किया गया है। हालांकि डब्ल्यूएचओ द्वारा अभी तक इसको लेकर कोई ट्रैवल एडवाइजरी नहीं जारी की गई है। बता दें कि पाकिस्तान में मंकीपॉक्स के अभी तक चार मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से एक मरीज पीओके का रहने वाला है।

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