उत्तर प्रदेशराज्य

Rakesh Tikait speech: लुटेरों की सरकार ने देश पर कब्जा किया, मांगें नहीं मानीं तो आंदोलन और तेज होगा: राकेश टिकैत

Rakesh Tikait speech: लुटेरों की सरकार ने देश पर कब्जा किया, मांगें नहीं मानीं तो आंदोलन और तेज होगा: राकेश टिकैत

नोएडा के ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में यमुना एक्सप्रेसवे के जीरो पॉइंट पर सोमवार को भारतीय किसान यूनियन की महापंचायत का आयोजन किया गया, जिसमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हजारों किसान शामिल हुए। इस महापंचायत में गौतम बुद्ध नगर के साथ-साथ आगरा, मथुरा, अलीगढ़ और हाथरस से करीब एक हजार से अधिक किसान पहुंचे और अपनी मांगों को लेकर एकजुटता दिखाई। महापंचायत में किसान नेता राकेश टिकैत की मौजूदगी ने कार्यक्रम को और भी अहम बना दिया।

महापंचायत को संबोधित करते हुए राकेश टिकैत ने केंद्र और राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि यह सरकार किसानों की नहीं बल्कि लुटेरों और पूंजीपतियों की सरकार है, जिसने पूरे देश पर कब्जा कर लिया है। टिकैत ने कहा कि गांवों में आबादी, खेती-बाड़ी और जमीन से जुड़े कई गंभीर मुद्दे हैं, जिन पर सरकार आंखें मूंदे बैठी है। उन्होंने अरावली पर्वतमाला का जिक्र करते हुए कहा कि अरावली के पहाड़ पश्चिमी राजस्थान से आने वाली रेत को रोकते हैं और इससे क्षेत्र में शुद्ध हवा मिलती है, लेकिन सरकार अब अरावली के 100 मीटर से नीचे के पहाड़ों की कटिंग कराने का फैसला ले रही है। टिकैत ने सवाल उठाया कि ऐसे फैसले आखिर कौन और किसके फायदे के लिए ले रहा है।

राकेश टिकैत ने चेतावनी दी कि अगर किसानों की समस्याओं का समय रहते समाधान नहीं किया गया तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा और इसका दायरा और बड़ा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसान अब अपने हक के लिए पीछे हटने वाले नहीं हैं और जब तक मांगें पूरी नहीं होंगी, संघर्ष जारी रहेगा।

महापंचायत में किसानों की प्रमुख मांगों को लेकर विस्तार से चर्चा की गई। किसानों ने यमुना एक्सप्रेसवे परियोजना के लिए अधिग्रहित की गई भूमि पर 64.7 प्रतिशत बढ़ा हुआ अतिरिक्त मुआवजा और 10 प्रतिशत विकसित आवासीय भूखंड देने की मांग दोहराई। किसानों का कहना है कि यह व्यवस्था केवल गौतम बुद्ध नगर तक सीमित न रखी जाए, बल्कि अलीगढ़, हाथरस, आगरा और मथुरा सहित सभी प्रभावित जिलों के किसानों को इसका समान लाभ मिलना चाहिए। इसके साथ ही यमुना एक्सप्रेसवे के दोनों ओर सर्विस रोड का तत्काल निर्माण कराए जाने की मांग भी जोरशोर से उठाई गई।

जेवर में निर्माणाधीन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से प्रभावित किसानों का मुद्दा भी महापंचायत में प्रमुखता से सामने आया। किसानों ने विस्थापन नीति में बदलाव कर वर्ष 2023 के मानकों के अनुसार भूमि और संपत्ति का उचित मुआवजा देने की मांग की। किसानों का आरोप है कि वर्तमान विस्थापन नीति उनके हितों की रक्षा करने में पूरी तरह विफल रही है। उन्होंने यह भी मांग की कि जिन किसानों की जमीन एयरपोर्ट परियोजना में गई है, उनके परिवारों को प्राथमिकता के आधार पर रोजगार दिया जाए। विशेष रूप से किसानों ने जेवर एयरपोर्ट में स्थानीय किसानों के बच्चों के लिए रोजगार सुनिश्चित करने की बात कही।

महापंचायत में भूमिहीन किसानों और मजदूरों के मुद्दों को भी गंभीरता से उठाया गया। किसानों ने मांग की कि भूमिहीन किसानों और मजदूरों को कम से कम 120 वर्ग मीटर का भूखंड दिया जाए। इसके अलावा यमुना विकास प्राधिकरण द्वारा किसानों को दिए जाने वाले सबसे छोटे भूखंड का आकार भी न्यूनतम 120 वर्ग मीटर तय किया जाए, ताकि प्रभावित परिवार सम्मानजनक जीवन जी सकें।

किसानों का कहना है कि अगर सरकार ने उनकी मांगों पर जल्द ठोस निर्णय नहीं लिया, तो आने वाले दिनों में यह आंदोलन और व्यापक रूप ले सकता है। महापंचायत के जरिए किसानों ने साफ संकेत दिया है कि वे अपने अधिकारों के लिए लंबी लड़ाई लड़ने को तैयार हैं।

ममूटी ने कहा कि उन्हें ‘मेगास्टार’ की उपाधि पसंद नहीं है, उन्हें लगता है कि उनके जाने के बाद लोग उन्हें याद नहीं रखेंगे

Related Articles

Back to top button