Noida: फोनरवा चुनाव में बढ़ी हलचल—योगेंद्र शर्मा गुट खुलकर मैदान में, दूसरी टीम की गुपचुप तैयारी तेज

Noida: फोनरवा चुनाव में बढ़ी हलचल—योगेंद्र शर्मा गुट खुलकर मैदान में, दूसरी टीम की गुपचुप तैयारी तेज
नोएडा। शहर की सबसे बड़ी और प्रभावशाली संस्था मानी जाने वाली फेडरेशन ऑफ नोएडा रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (फोनरवा) के चुनाव 14 दिसंबर को होने वाले हैं और चुनाव प्रक्रिया शुरू होते ही शहर की राजनीति में हलचल तेज़ हो गई है। इस बार भी मुकाबला बेहद रोचक और सस्पेंस से भरा दिखाई दे रहा है। एक ओर जहां योगेंद्र शर्मा गुट एक बार फिर खुलकर मैदान में उतर आया है, वहीं दूसरी ओर एक्सप्रेसवे से सटे एक सेक्टर में दूसरे बड़े गुट की टीम उम्मीदवार उतारने के लिए गुपचुप रणनीति तैयार कर रही है।
चुनाव से जुड़े समीकरणों और दावेदारों को लेकर स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है और यह तस्वीर नामांकन दाखिल होने के बाद ही साफ हो पाएगी। हैरानी की बात यह है कि लगातार 13 वर्षों तक फोनरवा के अध्यक्ष रहे एन.पी. सिंह की ओर से अब तक कोई आधिकारिक एंट्री या घोषणा नहीं की गई है। वहीं योगेंद्र शर्मा की टीम ने सेक्टर-45 स्थित उनके कार्यालय में बैठक कर चुनावी रणनीति तय की और इस अभियान को आगे संचालित करने के लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन भी किया है।
फोनरवा चुनाव को लेकर चर्चा और सरगर्मी लगातार बढ़ रही है। लगातार तीन बार फोनरवा पर अपना कब्ज़ा बनाए रखने वाली योगेंद्र शर्मा टीम इस बार अपनी चौथी जीत को लेकर मजबूत दावा कर रही है। वहीं दूसरी तरफ दूसरी टीम समय कम होने के बावजूद तेजी से तैयारी में जुट गई है, और अंदरखाने कई बैठकें हो चुकी हैं। फिलहाल, दोनों पक्ष खुलकर आमने-सामने नहीं आए हैं जिससे राजनीतिक असमंजस का माहौल बना हुआ है।
चुनावी माहौल के बीच एक अहम मोड़ तब आया जब गोविंद शर्मा, जिन्होंने पहले वोटिंग अधिकार को लेकर असहमति जताते हुए योगेंद्र शर्मा टीम का साथ छोड़ दिया था, अब एक बार फिर उसी गुट का समर्थन करने के लिए सामने आए हैं। मतदाता सूची में आई आपत्तियों को भी निस्तारित कर दिया गया है। इस बार कुल मिलाकर सिर्फ दो आपत्तियां दर्ज की गईं, जो पहले की तुलना में काफी कम हैं।
तीसरी बार वही चुनाव अधिकारी नियुक्त
फोनरवा चुनाव में इस बार भी चुनाव अधिकारियों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। रिटायर्ड कर्नल शशि वेद, देविंदर खरबंदा और वीएस नागरकोटी तीसरी बार चुनाव का संचालन करेंगे। इस बार डॉ. तरसेम चंद को भी टीम में शामिल किया गया है। पिछली बार अधिकारियों पर पक्षपात के आरोप लगे थे और डिप्टी रजिस्ट्रार के निर्देश पर नियुक्त अधिकारी ने चुनाव करवाया था, जिससे इस बार चुनाव प्रक्रिया को लेकर और अधिक निगाहें टिकी हुई हैं।
बड़ा बयान
एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा—
“फोनरवा को लेकर मेरी ओर से अभी कोई तैयारी नहीं है। पारिवारिक कार्यक्रम के चलते कई दिनों से शहर से बाहर हूं। चुनाव और अन्य चर्चाओं की जानकारी अभी तक मुझे नहीं है और निष्पक्ष स्थिति बनाए हुए हूं।”
अब देखना यह होगा कि नामांकन की प्रक्रिया शुरू होने के बाद किन नामों की घोषणा सामने आती है और क्या यह चुनाव तुरंत मुकाबले में बदल जाएगा या फिर कोई बड़ा रणनीतिक समीकरण सामने खड़ा होगा।




