1.सर्वाइकल कैंसर उन्मूलन के लिए सीएमई से तैयार किया जा रहा प्रशिक्षित कार्यबल
-70 डॉक्टरों और 32 प्रोफेसरों को थर्मल एब्लेशन और एलएलईटीजेड उपचार के बाबत दिया गया प्रशिक्षण

नई दिल्ली, 6 मई (टॉप स्टोरी न्यूज़ नेटवर्क ): सर्वाइकल कैंसर आमतौर पर 10 से 15 साल में विकसित होने वाला रोग है जिसे मेडिकल स्क्रीनिंग के जरिये आसानी से पकड़ा जा सकता है। शुरुआती दौर में ही रोग की पहचान होने से जहां मरीज को उचित समय पर उपचार की सुविधा मिल जाती है। वहीं, उसके जीवन की रक्षा करने में भी आसानी हो जाती है। यह बातें एम्स दिल्ली के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की प्रोफेसर डॉ. नीरजा भाटला ने एक सीएमई (कंटीन्यूइंग मेडिकल एजुकेशन) में कहीं।
उन्होंने बताया कि एम्स सर्वाइकल कैंसर के पहचान और उपचार के लिए जरुरी कोल्पोस्कोपी और सीआईएन के कौशल बढ़ाने वाला पाठ्यक्रम संचालित करता है। इसके तहत देश भर से चयनित 70 डॉक्टरों और 32 प्रोफेसरों को एक सीएमई के माध्यम से विभिन्न पोर्टेबल कोलपोस्कोप और मॉडलों पर थर्मल एब्लेशन और एलएलईटीजेड जैसे उपचार के तौर-तरीकों का व्यावहारिक अनुभव और प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
डॉ भाटला ने कहा, यह सर्वाइकल कैंसर उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस व्यावहारिक प्रशिक्षण से देश की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रशिक्षित कार्यबल को तैयार करने और क्षमता निर्माण करने में मदद मिलेगी। इस प्रकार के कार्यक्रम देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में आयोजित करने का प्रस्ताव है। उन्होंने बताया कि देश में करीब सवा लाख महिलाएं सर्वाइकल कैंसर से पीड़ित हैं जबकि 80 हजार महिलाएं हर साल इस रोग से अपनी जान गंवा देती हैं।
कार्यक्रम का उद्घाटन एम्स के डीन (शैक्षिक) डॉ. केके वर्मा ने किया। इस दौरान डॉ. कमल बक्शी, डॉ. अर्चना वर्मा, प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की अध्यक्ष डॉ. नीना मल्होत्रा, एओगिन इंडिया अध्यक्ष डॉ. रुपिंदर सेखों, एओजीडी अध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार, डॉ. ज्योति मीना और डॉ. सरिता श्यामसुंदर आदि मौजूद रहे।