
नई दिल्ली, 7 अक्तूबर : सर्दी के चलते खांसी से पीड़ित बच्चों को कफ सिरप दिया जाना आम है लेकिन एमपी और राजस्थान में 16 बच्चों की मौत के बाद कोल्ड्रिफ नाम के कफ सिरप पर सवाल उठ रहे हैं जिनमें से अधिकांश 4 साल या उससे कम उम्र के थे। पीड़ित बच्चों के परिजनों का कहना है कि कफ सिरप पीने के बाद बच्चों का स्वास्थ्य तेजी से बिगड़ा और उन्हें बचाया नहीं जा सका।
इस संबंध में एम्स दिल्ली के बाल चिकित्सा विभाग के अध्यक्ष डॉ. पंकज हरि ने बताया कि अक्सर कफ सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल कूलेंट के तौर पर इस्तेमाल किए जाते हैं। इनका स्वाद मीठा और ठंडा होता है, जो खाने योग्य सोर्बिटोल जैसा लगता है लेकिन सोर्बिटोल महंगा होता है, इसलिए दवा कंपनियां सस्ते विकल्प के रूप में डायथिलीन ग्लाइकॉल का इस्तेमाल करती हैं। दोनों ही तत्व देसी शराब में मौजूद मिथाइल अल्कोहल की श्रेणी में आते हैं और ये दोनों रसायन शरीर के लिए बेहद जहरीले होते हैं।
उक्त प्रतिबंधित दवा में भी केमिकल की मिलावट पाई गई है। इन केमिकल से बनी दवाएं बच्चों के लिए खास तौर पर ‘नेफ्रोटॉक्सिक’ होती हैं यानी किडनी पर सीधा असर डालती हैं। ये केमिकल शरीर में एसिड की मात्रा बढ़ा देते हैं, जिसे नियंत्रित करने का काम किडनी करती है और जब वही अंग प्रभावित हो जाता है तो जहर फैलने लगता है और दवा का सेवन करने वाले मरीज की मौत हो जाती है। डॉ हरी ने कहा, दो साल से छोटे बच्चों को खांसी की दवा देने के लिए अब तक कोई स्टडी नहीं की गई है इसलिए यह दो साल से ऊपर के बच्चों को सामान्यतः दी जाती रही है। ऐसे में 4 साल से छोटे बच्चों को डॉक्टर की सलाह के बिना खांसी की दवा नहीं दी जानी चाहिए।
खांसी पीड़ित बच्चे को दवा की कितनी डोज दें?
बच्चे को सर्दी से खांसी होने पर कफ सिरप का कितना डोज दिया जाना चाहिए? इस सवाल पर डॉ. हरि ने कहा, दवा का डोज बच्चे के वजन के हिसाब से तय होता है इसलिए दवाई देने से पहले बच्चों का वजन किया जाता है। माता-पिता व अभिभावक को सलाह है कि बच्चे के बीमार होने पर ओटीसी यानि ओवर द काउंटर दवा न खरीदें और डॉक्टर के परामर्श से ही बच्चे को दवा की डोज दें।
नकली सिरप से होने वाली दिक्कतें ?
डॉ. पंकज हरि ने कहा, अगर कफ सिरप नकली है तो उस सिरप से बच्चे को पेट दर्द, उल्टी -दस्त और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण हो सकते हैं। नकली सिरप में मौजूद डायथिलीन ग्लाइकॉल केमिकल शरीर में इकट्ठे होकर किडनी पर बुरा असर डालने के साथ ब्रेन को भी प्रभावित कर सकते हैं। जिससे दौरे आ सकते हैं, मरीज कोमा में जा सकता है और हार्ट बीट भी रुक सकती है।
सर्दी से खांसी होने पर कौन सी दवा कारगर ?
डेक्सट्रोमेथोर्फेन एक कफ सप्रेसेंट (खांसी को दबाने वाली दवा) है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से सूखी खांसी के इलाज के लिए किया जाता है। यह मस्तिष्क के उस हिस्से पर काम करता है जो खांसी को नियंत्रित करता है, जिससे खांसी की इच्छा कम होती है। डेक्सट्रोमेथोर्फेन सिरप का उपयोग सामान्य सर्दी, फ्लू या अन्य श्वास संबंधी बीमारियों के कारण होने वाली सूखी, परेशान करने वाली खांसी से राहत देता है। यह गले में खराश के साथ होने वाली खांसी को भी कम करता है। यह दवा डॉक्टर की सलाह से चार वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों और वयस्कों को दी जा सकती है।
सांस नली का प्राकृतिक प्रतिरोध है ‘खांसी‘
लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज से संबंद्ध अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. हरीश पेमड़े के मुताबिक कफ एक प्रोटेक्टिव रिफ्लेक्स है जो सांस की नली में बलगम या अन्य चीज फंसने पर होता है। यानी खांसी ऐसे पदार्थों को सांस की नली से बाहर निकालने की प्राकृतिक प्रक्रिया है। कफ सिरप से खांसी के इलाज में लाभ होने का चिकित्सकीय प्रमाण अभी तक सामने नहीं आया है। हां, ऐसी घटनाएं जरूर सामने आई हैं जिनमें खांसी की दवा के सेवन से सेहत को नुकसान पहुंचने की जानकारी मिली है।
Realme GT 6 भारत में लॉन्च होने की पुष्टि। अपेक्षित स्पेक्स, फीचर्स, और भी बहुत कुछ