अमर सैनी
नोएडा। यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) क्षेत्र में गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (गेल) करीब 700 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। यमुना सिटी के सेक्टर-13 में अनुसंधान एवं विकास केंद्र विकसित करने के लिए गेल इंडिया ने 35 एकड़ जमीन की मांग की है। जमीन आवंटन को लेकर यीडा और गेल इंडिया के बीच कागजी कार्रवाई शुरू हो गई है। केंद्र की स्थापना से ऊर्जा सुरक्षा, क्षमता विकास, नवाचार और कौशल विकास को बढ़ावा मिलेगा। जानकारी के अनुसार गेल इंडिया भारत सरकार की एक प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (पीएसयू कंपनी) है। गेल ने प्राकृतिक गैस, पाइपलाइन परिवहन, पेट्रोकेमिकल्स, नवीकरणीय ईंधन और अन्य भविष्य के क्षेत्रों में अत्याधुनिक तकनीकों पर काम करने के लिए यमुना सिटी में विश्व स्तरीय अनुसंधान एवं विकास केंद्र (आरएनडी) स्थापित करने की योजना बनाई है। एक प्रबंधन परामर्श फर्म के माध्यम से इसकी रूपरेखा भी तैयार कर ली गई है। यमुना सिटी में विकसित किए जाने वाले आरएनडी केंद्र में गेल करीब 500 से 700 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। यमुना प्राधिकरण के अधिकारी ने गेल के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। गेल इंडिया के कार्यकारी निदेशक संजीव कुमार ने इस संबंध में प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को पत्र लिखकर जमीन की मांग की है। प्राधिकरण ने कंपनी को आरएंडडी सेंटर के लिए सेक्टर-13 में 35 एकड़ जमीन आवंटित करने का निर्णय लिया है। यह जमीन आवंटन अगले दो-तीन दिनों में होने की संभावना है।
नए ऊर्जा संसाधनों की होगी खोज
यह परियोजना यमुना विकास प्राधिकरण के संस्थागत क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगी। इस निर्णय से न केवल क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। आरएंडडी सेंटर के माध्यम से देश में स्वच्छ ऊर्जा की मांग को पूरा करने के लिए नए ऊर्जा संसाधनों की खोज की जाएगी। आरएंडडी सेंटर भारत की प्रगति और प्रधानमंत्री मोदी के 2047 तक विकसित भारत के सपने को पूरा करने में भी महत्वपूर्ण साबित होगा।
यमुना प्राधिकरण से 7.5 एकड़ जमीन मांगी
यमुना सिटी को एक प्रमुख औद्योगिक और अनुसंधान केंद्र के रूप में स्थापित करने की तैयारी चल रही है। हाल ही में इंडिगो एयरलाइंस ने भी सेक्टर-29 में एक्सप्रेस-वे के किनारे प्रशिक्षण और सिमुलेशन केंद्र शुरू करने के लिए यमुना प्राधिकरण से 7.5 एकड़ जमीन मांगी है। यहां पायलट, चालक दल के सदस्य, विमान रखरखाव, इंजीनियर और विमान नियंत्रकों को प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके अलावा एक अमेरिकी विश्वविद्यालय में अनुसंधान केंद्र स्थापित करने की योजना भी प्रस्तावित है।