Delhi Pollution Crisis: प्रदूषण ने बच्चों और बुजुर्गों को फिर लिया अपनी गिरफ्त में — दिल्ली में ठंड और जहरीली हवा ने बढ़ाई खतरे की घंटी, कमजोर इम्यूनिटी वाले सबसे ज्यादा प्रभावित

Delhi Pollution Crisis: प्रदूषण ने बच्चों और बुजुर्गों को फिर लिया अपनी गिरफ्त में — दिल्ली में ठंड और जहरीली हवा ने बढ़ाई खतरे की घंटी, कमजोर इम्यूनिटी वाले सबसे ज्यादा प्रभावित
नई दिल्ली, 28 नवम्बर: राजधानी दिल्ली में सर्दी के मौसम के आगमन के साथ ही वायु प्रदूषण का स्तर एक बार फिर तेजी से खराब होने लगा है। शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स लगातार गंभीर श्रेणी के करीब पहुँच रहा है, जिससे सांस लेने में कठिनाई, आंखों में जलन, सिरदर्द और थकान जैसी समस्याएं बढ़ गई हैं। हवा में मौजूद पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसे खतरनाक कण लोगों की सांसों के साथ सीधे शरीर में प्रवेश कर रहे हैं, जिनका सबसे अधिक दुष्प्रभाव बच्चों, बुजुर्गों और पहले से बीमार व्यक्तियों पर देखा जा रहा है। कमजोर इम्यूनिटी के कारण ये वर्ग सबसे ज्यादा संवेदनशील होते हैं और प्रदूषण के संपर्क में आते ही इनकी स्वास्थ्य स्थिति तेजी से बिगड़ सकती है।

सफदरजंग अस्पताल के पल्मोनरी, क्रिटिकल केयर और स्लीप मेडिसिन विभाग के विशेषज्ञ डॉ. नीरज गुप्ता ने चेतावनी देते हुए कहा कि हवा में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, ओजोन और 2.5 माइक्रोन आकार के कण फेफड़ों को अंदर से क्षतिग्रस्त कर रहे हैं और पूरे शरीर पर गंभीर प्रभाव डाल रहे हैं। उन्होंने बताया कि इन प्रदूषकों से दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, ब्लड प्रेशर बढ़ता है, दिल और फेफड़ों की बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है और लंबे समय में कैंसर तक की संभावना पैदा हो सकती है। उन्होंने कहा, “प्रदूषित हवा व्यक्ति की औसत आयु को लगभग 11.8 वर्ष तक घटा सकती है।”
डॉ. गुप्ता के अनुसार, प्रदूषण फेफड़ों की कोशिकाओं और संरचना को नुकसान पहुंचाता है, जिससे शरीर की रेजिस्टेंस पावर लगातार कमजोर होती जाती है। इससे सामान्य स्थिति में खड़े-खड़े चक्कर आकर गिर जाने जैसी स्थितियाँ भी उत्पन्न हो सकती हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह मौसम खासकर 60 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्गों और छोटे बच्चों के लिए सबसे खतरनाक है। ऐसे में दोनों समूह को अपनी दिनचर्या और आदतों में बदलाव करने की आवश्यकता है। सुबह जल्दी सैर करने की बजाय सूरज निकलने के बाद बाहर जाएं, घर के दरवाजे और खिड़कियाँ बंद रखें और यदि खोलने हों तो सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे के बीच ही खोलें। घर से बाहर निकलते समय एन-95 या उच्च गुणवत्ता का मास्क पहनें, शरीर को गर्म रखें और शाम व रात में बाहर जाने से बचें। यदि कोई जरूरी काम हो तो हल्की धूप में ही घर से निकलें।
उधर, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के बाल श्वसन रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर कमल कुमार सिंघल ने बताया कि प्रदूषण और ठंड का संयुक्त प्रभाव बच्चों की सेहत पर गहरा असर डाल रहा है। उन्होंने कहा कि यदि बच्चों को खांसी-जुकाम हो तो आधा कप गुनगुने पानी में आधा चम्मच शहद और दो बूंद अदरक का रस मिलाकर देना लाभदायक है। उन्होंने चेतावनी दी कि अधिकतर मामलों में खांसी का सिरप देने से बचना चाहिए क्योंकि इससे स्थिति बिगड़ सकती है। अगर बच्चे को सांस लेने में कठिनाई, अत्यधिक थकान, भूख न लगना, अत्यधिक सुस्ती या लगातार चिड़चिड़ापन की शिकायत हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों को घर में रखें, लेकिन धूप निकलने पर थोड़ी देर खेलने दें, क्योंकि यह उनके विकास और रोग-प्रतिरोधक क्षमता के लिए आवश्यक है।
नवजात शिशुओं की सुरक्षा बेहद जरूरी
विशेषज्ञों ने नवजात शिशुओं (0 से 28 दिन आयु) के लिए विशेष सावधानियाँ सुझाई हैं। सर्दियों में उन्हें नहलाने से बचना चाहिए, और यदि ठंड अत्यधिक है तो 15 दिन तक भी स्नान न कराएं। उन्हें गर्म वातावरण में रखें, टोपी, स्वेटर, जुराब और दस्ताने अवश्य पहनाएं। यदि वयस्क चार कपड़े पहनते हैं तो नवजात को हमेशा एक अतिरिक्त कपड़ा पहनाएं, क्योंकि उनका शरीर तापमान नियंत्रित नहीं कर पाता।
प्रदूषण और ठंड दोनों मिलकर इस समय राजधानी के लिए एक गंभीर चुनौती बन गए हैं और विशेषज्ञों का कहना है कि सावधानी ही सबसे बड़ा बचाव है।





