विश्व थैलेसीमिया दिवस: रोग के प्रति जागरूकता ही बचाव
-पति-पत्नी के थैलेसीमिया वाहक होने पर बच्चे को हो सकता है ये रोग
नई दिल्ली, 7 मई : थैलेसीमिया एक आनुवंशिक रक्त विकार है जिसमें बच्चों को 5-6 महीने की उम्र से हर महीने या अधिक बार रक्त चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। दरअसल, इस बीमारी में आनुवंशिक दोष का वाहक वह व्यक्ति होता है जिसका एक जीन प्रभावित होता है और दूसरा सामान्य होता है लेकिन जब स्त्री और पुरुष दोनों वाहक होते हैं तब उनके बच्चे के थैलेसीमिया मेजर होने की संभावना बढ़ जाती है। यानी थैलेसीमिया ग्रस्त बच्चे के पैदा होने का जोखिम 25 फीसदी बढ़ जाता है। यह जानकारी राम मनोहर लोहिया अस्पताल के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ पुलिन गुप्ता ने विश्व थैलेसीमिया दिवस की पूर्व संध्या पर दी।
उन्होंने बताया कि आमतौर पर थैलेसीमिया को एक सामान्य बीमारी समझा जाता है। मगर, आमतौर पर यह लड़की और लड़के दोनों को ऑटोसोमल लक्षण के रूप में विरासत में मिलती है। अक्सर थैलेसीमिया के वाहक माता-पिता के बच्चे इस बीमारी से पीड़ित होते हैं। यानी यह एक आनुवंशिक बीमारी है जिससे पीड़ित बच्चे के रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम हो जाती है और उसका शारीरिक विकास बाधित हो जाता है। शरीर में रक्त की कमी को पूरा करने के लिए बार -बार रक्त आधान (ब्लड ट्रांसफ्यूजन) करना पड़ता है और इस प्रक्रिया के दौरान मरीज के अंदरूनी अंगों में आयरन अच्छी -खासी मात्रा में इकठ्ठा हो जाता है।
डॉ गुप्ता ने कहा, शरीर में आयरन की अधिकता अंदरूनी अंगों को नुकसान पहुंचाती है जिसके चलते किडनी व हार्ट सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। नतीजतन हार्ट फेल भी हो जाता है, इसलिए अंगों में एकत्रित आयरन की अतिरिक्त मात्रा को शरीर से बाहर निकालना जरुरी हो जाता है। इसके लिए मरीज को आयरन केलेशन थेरेपी करवानी पड़ती है, जो खर्चीली प्रक्रिया होती है। थैलेसीमिया का एकमात्र उपचार एलोजेनिक बीएमटी (बोन मैरो ट्रांसप्लांट) है, जिसमें दाता पूर्ण मिलान वाला परिवार का सदस्य हो सकता है। दाता का अन्य स्रोत, बेमेल पारिवारिक दाता भी हो सकता है जिसे हाप्लो बीएमटी कहा जाता है। थैलेसीमिया के इलाज के लिए हाप्लो बीएमटी प्रक्रिया अपनाने के मामले भी सामने आ रहे हैं। फिर भी बोन मैरो ट्रांसप्लांट के बारे में निर्णय लेने के लिए बीएमटी चिकित्सक के साथ अच्छी तरह यानी सावधानी पूर्वक चर्चा करनी चाहिए।
क्या करता है हीमोग्लोबिन
हीमोग्लोबिन का मुख्य काम शरीर के हर टिशू तक ऑक्सीजन को पहुंचाना होता है। यह खून के लाल रक्त कणिकाओं (आरबीसी) में पाया जाता है और ऑक्सीजन के साथ बॉन्ड बनाकर उसे रिलीज करता रहता है। शरीर के किसी भी अंग में अगर ऑक्सीजन कम या ज्यादा हो जाए तो हीमोग्लोबिन ही उसे बैलेंस करता है। हीमोग्लोबिन कार्बन डाय ऑक्साइड को टिशू से लेकर फेफड़े तक पहुंचाता है।
कैसे रोके थैलेसीमिया ग्रस्त बच्चे का जन्म
गर्भावस्था के 8-12 सप्ताह के बीच विकासशील भ्रूण का नमूना लेकर या गर्भवती महिला का प्रसव पूर्व परीक्षण करके थैलेसीमिया बच्चे को पैदा होने से रोका जा सकता है। सभी युवा वयस्क जो शादी करने या गर्भ धारण करने की योजना बना रहे हैं, उन्हें थैलेसीमिया की जांच जरूर करानी चाहिए। उन्हें एक साधारण रक्त जांच से स्वयं के थैलेसीमिया के वाहक होने और न होने की जानकारी आसानी से मिल जाती है। यह जांच लगभग 500 रुपये में हो सकती है।