उत्तर प्रदेश, गाजियाबाद: एक जिला एक खेल योजना के तहत चयनित हॉकी खिलाड़ियों को नहीं मिल पा रहीं आधुनिक सुविधाएं
उत्तर प्रदेश, गाजियाबाद: एक जिला एक खेल योजना के तहत चयनित हॉकी खिलाड़ियों को नहीं मिल पा रहीं आधुनिक सुविधाएं
![एक जिला एक खेल योजना के तहत जिले में चयनित खेल हॉकी में खिलाड़ियों को आधुनिक सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं](https://topstory.online/wp-content/uploads/2025/02/page10-8-6-780x470.jpg)
अजीत कुमार
उत्तर प्रदेश, गाजियाबाद।एक जिला एक खेल योजना के तहत जिले में चयनित खेल हॉकी में खिलाड़ियों को आधुनिक सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं।जिससे शहर के खिलाड़ियों के खेल पर असर पड़ रहा है। एकमात्र सरकारी महामाया स्टेडियम में हॉकी के अभ्यास की सुविधा तो है लेकिन यहां करीब 30 खिलाड़ी बिना कोच एवं एस्ट्रो टर्फ मैदान के बिना ही खेल का अभ्यास कर रहे हैं।
प्रदेश सरकार ने वर्ष 2022 में युवा खिलाड़ियों को बेहतर प्रशिक्षण और संसाधन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से एक जिला एक खेल योजना की शुरुआत की थी।इस योजना के तहत प्रदेश के प्रत्येक जिले में एक खेल को बढ़ावा देने का निर्णय लिया गया था, ताकि वहां के उक्त खेल से जुड़े खिलाड़ियों को पेशेवर प्रशिक्षण और आवश्यक संसाधन मिल सकें ताकि वे बेहतर अभ्यास कर खेल में अपना सुनहरा भविष्य बना सके। इसके तहत जिले में हॉकी के खेल को लोकप्रिय देख इस योजना के तहत इसे चुना गया था। इसमें इस खेल से जुड़े सभी आवश्यक संसाधन खिलाड़ियों को उपलब्ध कराया जाना था।लेकिन योजना के तीन साल बाद भी शहर में 12 एकड़ में विकसित सरकारी महामाया स्टेडियम में हॉकी के करीब 30 खिलाड़ी कई संसाधनों के अभाव में अभ्यास कर रहे हैं।
हॉकी में कोच का पद रिक्त
स्टेडियम में पिछले कुछ माह से हॉकी में कोच का पद रिक्त है।इसके अलावा यहां हॉकी का एस्ट्रो टर्फ मैदान भी नहीं है। जिससे खिलाड़ियों को अपनी स्टिक का जादू घास के मैदान पर दिखाना पड़ रहा है।इससे कई बार खिलाड़ियों को अभ्यास के दौरान परेशानी होती है।यहां अभ्यास करने वाले स्थानीय खिलाड़ियों ने बताया कि एस्ट्रो टर्फ मैदान हॉकी में काफी अहम होता है। इसपर अभ्यास करने से खिलाड़ियों के खेल में निखार आता है।इसके अलावा इसपर बॉल का सटीक अनुमान भी लगा सकते हैं। लेकिन वर्तमान में घास के मैदान में अभ्यास करने के दौरान कई तरह की कठिनाई होती है। बारिश के दौरान घास के मैदान में पानी भरने से अभ्यास प्रभावित हो जाता है।इसके अलावा घास के मैदान पर चोट लगने का खतरा बना रहता है। काफी माह से यहां कोच के नहीं होने से खुद ही अभ्यास करना पड़ता है।उन्हें उनकी गलती को बताने वाले कोई नहीं होता।
खिलाड़ियों को उम्मीद
खिलाड़ियों ने बताया कि एस्ट्रोटर्फ मैदान इसलिए भी अहम हो जाता है अवश्य करने के लिए क्योंकि बड़े स्तर के हॉकी के मैच एस्ट्रोटर्फ मैदान पर ही खेले जाते हैं।लेकिन यहां के स्थानीय खिलाड़ियों को इसपर अभ्यास करने का अनुभव प्राप्त नहीं हो पाने से कई बार प्रतियोगिता में भाग लेते समय वे स्थिति से सामंजस नहीं बना पाते हैं। इससे कई बार वे उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं।जिला उप खेल क्रीड़ाधिकारी पूनम बिश्नोई ने बताया कि हॉकी समेत सभी खेलों में खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएं देने का प्रयास किया जा रहा है। हॉकी के एस्ट्रोटर्फ मैदान के लिए प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज रखा है।इसके अलावा हॉकी के घास के मैदान को भी सही कराया जा रहा है।कोच की भी जल्द नियुक्ति की जाएगी।
एस्ट्रोटर्फ मैदान पर अभ्यास के लिए दिल्ली जाना पड़ता
स्टेडियम में एस्ट्रोटर्फ मैदान नहीं होने से कई खिलाड़ियों को मजबूरी में बेहतर अभ्यास के लिए दिल्ली जाना पड़ता है।जिसमें उनका समय भी खराब होता है।अगर स्टेडियम में एस्ट्रोटर्फ मैदान की सुविधा हो तो इन युवा खिलाड़ियों को घर के पास ही इसपर खेलने का मौका होगा और वे पूरी मजबूती से अभ्यास कर सकेंगे। एस्ट्रोटर्फ मैदान एकदम समतल होता है और इसपर फिसलने का खतरा भी कम रहता है।
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