
Sri Adi Shankar Viman Mandapam: महाकुम्भ में भारतीय दर्शन और सांस्कृतिक चेतना का प्रमुख केंद्र बना श्री आदि शंकर विमान मंडपम्,गौतम अदानी ने किया दर्शन एवं पूजन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बाद शीर्ष उद्योगपति गौतम अदानी ने भी परिवार समेत किया दर्शन एवं पूजन
इसी स्थान पर आदि शंकराचार्य और कुमारिल भट्ट के बीच हुआ था संवाद, द्रविड़ियन आर्किटेक्चर का नायाब उदाहरण है मंदिर
स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मंदिर में आकर कर चुके हैं विग्रहों के दर्शन
Sri Adi Shankar Viman Mandapam: महाकुम्भ नगर, 22 जनवरी। प्रयागराज की पुण्य भूमि पर स्थित आदि शंकर विमान मंडपम मंदिर एक ऐतिहासिक पल का साक्षी बन रहा है। मंदिर की आभा ऐसी है कि वो श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींच ही लेती है। इसी आभा के आकर्षण में स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कुछ समय पूर्व मंदिर में विग्रहों के दर्शनों के लिए आ चुके हैं। वहीं देश के शीर्ष उद्योगपति गौतम अदानी भी अपने परिवार सहित मंगलवार को यहां पहुंचे। गौतम अदानी के यहां आने के बाद एक बार फिर पूरे देश में आदि शंकर विमान मंडपम को लेकर श्रद्धालुओं में काफी रुचि देखी जा रही है।
Sri Adi Shankar Viman Mandapam: आध्यात्मिक आस्था का प्रतीक
प्रयागपुत्र के नाम से विख्यात राकेश शुक्ला ने बताया कि आदि शंकर विमान मंडपम, जो कुम्भ क्षेत्र में भारतीय दर्शन और सांस्कृतिक चेतना का प्रमुख केंद्र है।मंगलवार को प्रमुख उद्योगपति गौतम अदानी ने यहां पूजा अर्चना की। मंदिर के मुख्य द्वार पर पूज्य स्वामी काशी मनी जी के मार्गदर्शन में 51 वैदिक ब्राह्मणों ने स्वस्ति वाचन के साथ उनका भव्य स्वागत किया। मंदिर प्रांगण में स्थित गीता प्रेस द्वारा निर्मित आरती संग्रह पगोडा पर उन्होंने श्रद्धालुओं के साथ संवाद किया।
यह आत्मीय वार्ता न केवल उनकी आध्यात्मिक आस्था को प्रकट करती है, बल्कि समाज के प्रति उनकी गहरी संवेदनशीलता और जुड़ाव का परिचय भी देती है।

Sri Adi Shankar Viman Mandapam: शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वती ने कराया मंदिर निर्माण
Sri Adi Shankar Viman Mandapam: कांचिकामकोटि के 69वें पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वती ने अपने गुरु चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती की इच्छापूर्ति के लिए श्री आदि शंकर विमान मंडपम् का निर्माण कराया। गुरु चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती ने वर्ष 1934 में प्रयाग में चातुर्मास किया था। उन दिनों वो दारागंज के आश्रम में रुके थे। प्रतिदिन पैदल संगम स्नान को आते थे। उस दौरान बांध के पास उन्हें दो पीपल के वृक्षों के बीच खाली स्थान नजर आया।
गुरु चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती ने धर्मशास्त्रों का अध्ययन किया और स्वयं के तपोबल से यह साबित किया कि इसी स्थान पर आदि शंकराचार्य और कुमारिल भट्ट के बीच संवाद हुआ था। इसी स्थान पर गुरु चंद्रशेखरेंद्र ने मंदिर बनाने की इच्छा व्यक्त की थी, जिसे शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वती ने पूर्ण किया।
Sri Adi Shankar Viman Mandapam: 17 वर्ष लगे मंदिर निर्माण में
श्री आदि शंकर विमान मंडपम् की नींव वर्ष 1969 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल बी. गोपाल रेड्डी ने रखी थी। तब इंजीनियर बी. सोमो सुंदरम् और सी.एस. रामचंद्र ने मंदिर का नक्शा तैयार किया था। मंदिर प्रबंधन के साथ उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम ने भी निर्माण में सहयोग दिया था। जिन 16 पिलर्स पर मंदिर टिका है, उनका निर्माण उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम के तत्कालीन असिस्टेंट इंजीनियर कृष्ण मुरारी दुबे की देख-रेख में कराया गया था।
17 मार्च 1986 को मंदिर श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया। श्री आदि शंकर विमान मंडपम् में विग्रह और निर्माण में प्रयोग किए गए पत्थर दक्षिण भारत से लाए गए हैं। मंदिर द्रविड़ियन आर्किटेक्चर का नायाब उदाहरण है।
Sri Adi Shankar Viman Mandapam: 130 फीट ऊंचा है मंदिर
130 फीट ऊंचे इस मंदिर में श्री आदि शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित की गई है। देवी कामाक्षी और 51 शक्तिपीठ के अलावा तिरुपति बालाजी और सहस्र योग लिंग के साथ 108 शिवलिंग मंदिर में स्थापित हैं। गणेश जी का मंदिर भी है।
मंदिर प्रातः 6 बजे से दोपहर 1 बजे और सायं 4 से रात्रि 8 बजे तक श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है। मंदिर के ऊपरी तलों से संगम का विहंगम दृश्य देखने को मिलता है। महाकुम्भ में भी श्री आदि शंकर विमान मंडपम् में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु दर्शनों के लिए आ रहे हैं।
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