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सिक्योरिटी गार्ड से परेशान मरीज सोशल मीडिया पर कर रहे हैं शिकायत

-व्यवहार में बदलाव लाने और तमीज सिखाने के लिए सिक्योरिटी गार्ड को मिलेगी ट्रेनिंग

नई दिल्ली, 9 जुलाई : मरीजों व उनके तीमारदारों की संख्या को नियंत्रित करने के नाम पर अस्पतालों में तैनात सिक्योरिटी गार्डों का व्यवहार आम जनता संग कैसा होता है? ये वो लोग भली भांति जानते हैं जो किफायती इलाज के लिए सरकारी अस्पताल की ओर रुख करते हैं और अक्सर गार्डों की बदतमीजी व दादागिरी के शिकार होते हैं। शायद इसलिए पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा था कि अस्पतालों में सिक्योरिटी गार्ड की तैनाती नहीं होनी चाहिए।

दरअसल, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री मांडविया जब एक बार सफदरजंग अस्पताल पहुंचे तो एक गार्ड ने उन्हें आम आदमी समझ कर डंडा मारते हुए वहां बैठने से मना कर दिया था। हालांकि, उन्होंने इसके खिलाफ एक्शन भी नहीं लिया लेकिन इस घटना से आम जनता के साथ होने वाले दुर्व्यवहार को आसानी से समझा जा सकता है। पिछले कुछ दिनों से एम्स के सिक्योरिटी गार्ड के व्यवहार पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। लोग सोशल मीडिया पर अपनी -अपनी परेशानी और अनुभव साझा कर रहे हैं।

सोशल मीडिया एक्स पर एक यूजर ने एम्स दिल्ली को टैग करते हुए अपनी शिकायत में लिखा है कि एम्स दिल्ली में काम करने वाले सिक्योरिटी गार्ड मरीज और उनके परिजन के साथ उचित व्यवहार नहीं करते, खासकर महिला व प्रसूति विभाग में। इसी प्रकार एक अन्य सोशल मीडिया यूजर ने लिखा है कि एम्स दिल्ली में सिक्योरिटी गार्ड सहित बहुत सारे स्टाफ को थोड़ी तमीज सिखाने की जरूरत है, ऐसा लगता है कि जैसे अनपढ़ और गंवार भर रखे हैं, जैसे एम्स उनकी प्राइवेट प्रॉपर्टी हो और मरीज जबरदस्ती घुस आए हैं। एक और यूजर्स ने लिखा है कि सिक्योरिटी गार्ड द्वारा बहुत बदतमीजी से बात की जाती है। साथ में आने वाले लोगों को रुकने तक नहीं दिया जाता है। ऐसे कई ट्वीट और शिकायत सोशल मीडिया पर मौजूद है।

ट्रेनिंग व बॉडी कैमरा से बदलाव
एम्स प्रशासन ने इन शिकायतों की गंभीरता के मद्देनजर मंगलवार को कहा कि ऐसे गार्डों की पहचान की जाएगी जिनके खिलाफ शिकायत सामने आ रही हैं। प्रशासन मरीजों व तीमारदारों संग अच्छे व्यवहार के लिए गार्डों को ट्रेनिंग दिलाने की योजना पर विचार कर रहा है। इस दौरान गार्ड को मरीज के साथ सभ्य भाषा में बातचीत करने व शिष्टाचार सिखाए जाएंगे। अस्पताल में गार्ड की तैनाती का मकसद एम्स की सुरक्षा नहीं बल्कि मरीजों की मदद करना है। इसके अलावा सिक्योरिटी गार्ड के बॉडी पर कैमरा लगाने पर भी विचार किया जा रहा है ताकि बाहर से आने वाले लोगों पर नजर रखने के साथ गार्ड के व्यवहार पर भी नजर रखी जा सके।

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