
अमर सैनी
नोएडा। शहर और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को एक बार फिर लंबे समय तक बिजली कटौती का सामना करना पड़ सकता है। भूमिगत केबल लाइन का पता लगाने वाली एजेंसी का करार खत्म हो गया है। ऐसे में विद्युत निगम कर्मियों को फॉल्ट खोजने में चार से छह घंटे का समय लगेगा। अब लोगों को बिजली कटौती का सामना करना पड़ेगा।
जिले में खुले तार होने से स्पार्किंग के खतरा को देखते हुए विद्युत निगम की मांग पर प्राधिकरण विद्युत लाइनों को भूमिगत करने का कार्य कर रहा है। अभी तक जिले में लो टेंशन (एलटी) और हाईटेंशन (एचटी) लाइन की जिले में तीन हजार किलोमीटर से अधिक लाइनें भूमिगत हैं। भूमिगत बिजली लाइनों को ठीक करने के लिए पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड ने जिले के दोनों सर्किल के लिए एक-एक फॉल्ट लोकेटर मशीन उपलब्ध कराई थी। इसके माध्यम से विद्युत निगम के अभियंता और कर्मी दो से तीन घंटे में फॉल्ट का पता लगाकर उसे दुरुस्त कर लेते थे। इससे उपभोक्ताओं को लंबे समय तक कटौती का सामना नहीं करना पड़ता था। अब दोनों सर्किल की फॉल्ट लोकेटर मशीन की एजेंसी का करार चार महीने पहले ही समाप्त हो चुका है। इस बीच एजेंसी दो से तीन लाख रुपये का अतिरिक्त कार्य भी कर चुकी है। अब एजेंसी स्पष्ट कर दिया है कि जब तक नए सिरे से करार नहीं होगा, एजेंसी की मशीन भूमिगत केबल लाइनों के फॉल्ट का पता नहीं लगाएगी। इस मशीन को ऑपरेट करने में काफी खर्च आता है और उनके पास फंड का अभाव है। ऐसे में विद्युत निगम की चुनौतियां बढ़ गई हैं। अब विद्युत निगम के अभियंता और कर्मियों को फॉल्ट का पता लगाने के लिए चार से छह घंटे तक कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। साथ ही उपभोक्ताओं को लंबे समय तक कटौती भी झेलनी पड़ेगी।
वर्जन
फॉल्ट लोकेटर मशीन की एजेंसी से पुन: करार को लेकर वार्ता चल रही है। उम्मीद है कि जल्द ही एजेंसी से करार हो जाएगा। ऐसे में लोकल फॉल्ट का त्वरित पता लगाकर दुरुस्त कराया जा सकेगा।
-हरीश बंसल, मुख्य अभियंता, विद्युत निगम