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सांस के रोगों से परेशान लोगों को सीओपीडी का शिकार बना रहा प्रदूषण

-विश्व सीओपीडी दिवस के जरिये लोगों को फेफड़ों के स्वास्थ्य के प्रति किया जा रहा जागरूक

नई दिल्ली, 19 नवम्बर: फेफड़े हमारे शरीर का बेहद अहम अंग हैं, जो हमारे शरीर को ना सिर्फ ऑक्सीजन देते हैं। बल्कि कार्बन डाइऑक्साइड जैसे अपशिष्ट पदार्थों को बाहर भी निकालते हैं। लेकिन जिस रफ्तार से देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण बढ़ रहा है, उससे लोग फेफड़ों से संबंधित समस्याओं यानि ‘क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज’ (सीओपीडी) से पीड़ित हो रहे हैं।

इस संबंध में कैलाश दीपक अस्पताल के पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन की डॉ लवलीन शर्मा ने बताया कि सीओपीडी, एक दीर्घकालिक फेफड़ों की बीमारी है, जिसमें श्वसन मार्ग संकुचित हो जाते हैं, जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है। यह मुख्य रूप से दो स्थितियों – क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस और एम्फायसेमा के कारण होता है। यह आमतौर पर लंबे समय तक धूम्रपान, वायु प्रदूषण, या हानिकारक रसायनों के संपर्क में रहने से विकसित होती है। इसके मुख्य कारणों में धूम्रपान, वायु प्रदूषण, हानिकारक गैसों का संपर्क और आनुवंशिक कारक शामिल हैं। इसके लक्षणों में लगातार खांसी, बलगम बनना, सांस फूलना और सीने में जकड़न शामिल हैं।

डॉ शर्मा ने कहा कि लोगों को सीओपीडी के प्रति जागरूक करने के लिए प्रतिवर्ष नवंबर के तीसरे बुधवार को विश्व सीओपीडी दिवस मनाया जाता है। इसकी थीम ‘अपने फेफड़े के फंक्शन के बारे में जाने’ विषय को बनाया गया है जिसके तहत लोगों को सीओपीडी के जोखिम, लक्षण और उपचार के बारे में शिक्षित किया जा रहा है। हालांकि, स्वस्थ जीवनशैली, धूम्रपान से दूरी और समय पर चिकित्सकीय परामर्श लेकर इस बीमारी से बचाव किया जा सकता है। इसके अलावा नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और हाइड्रेटेड बॉडी के जरिये फेफड़ों का स्वास्थ्य बनाए रखा जा सकता है।

सीओपीडी के आम लक्षण:
लगातार खांसी: अक्सर बलगम (कफ) के साथ।
सांस लेने में कठिनाई: विशेषकर शारीरिक गतिविधियों के दौरान।
घरघराहट: सांस लेते समय सीटी जैसी आवाज।
सीने में जकड़न: असहजता या भारीपन का अनुभव।
लगातार संक्रमण: बार-बार फेफड़ों में संक्रमण होना।
थकान: ऊर्जा की कमी और कमजोरी महसूस होना।

सीओपीडी से बचाव के उपाय:
धूम्रपान से बचाव करें। धूम्रपान न करें और सेकेंड हैंड स्मोक से भी दूर रहें।
प्रदूषण से बचें। रसायनों, धूल, और खराब वायु गुणवत्ता से बचने की कोशिश करें।
सुरक्षात्मक उपकरण पहनें। प्रदूषित या खतरनाक वातावरण में मास्क का उपयोग करें।
स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं। संतुलित आहार लें, सक्रिय रहें, और उचित वजन बनाए रखें।
टीकाकरण। फ्लू और निमोनिया जैसी श्वसन संक्रमण से बचने के लिए समय पर टीके लगवाएं।

अपने फेफड़े के फंक्शन के बारे में जाने :
फेफड़ों में मौजूद बलगम, धूल, कीटाणुओं और फेफड़ों में जाने वाली अन्य चीज़ों को रोकता है।
जब आप सांस लेते हैं, तो आपकी पसलियों के बीच की मांसपेशियां और डायाफ्राम सिकुड़ते हैं। इससे फेफड़ों के अंदर दबाव कम हो जाता है और हवा फेफड़ों में प्रवेश करती है।
इस हवा में मौजूद ऑक्सीजन ही खून के प्रवाह के साथ अन्य अंगों तक पहुंचती है। इसके अलावा फेफड़े, कार्बन डाइऑक्साइड जैसे अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर भी निकालते हैं।

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