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रोहित पांडे: सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अपराजित प्रतिष्ठित अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता

रोहित पांडे: सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अपराजित प्रतिष्ठित अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता

रिपोर्ट: हेमंत कुमार

रोहित पांडे, एक प्रतिष्ठित अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता, भारत के सर्वोच्च न्यायालय में प्रैक्टिस करते हैं। वे केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार के वकील होने के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) में अपने सफल राजनीतिक करियर के लिए भी जाने जाते हैं। पांडे ने अपनी कार्यशैली और कानूनी सेवा के माध्यम से बार और कानूनी बिरादरी में अलग पहचान बनाई है।

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन में रोहित पांडे का सफर

रोहित पांडे का SCBA में राजनीतिक करियर उनके अपराजित चुनावी रिकॉर्ड का गवाह है। उन्होंने 2006 से लेकर 2024 तक विभिन्न पदों पर चुनाव लड़कर न केवल जीत हासिल की बल्कि अपनी सेवा और समर्पण से कानूनी बिरादरी का विश्वास भी अर्जित किया।

  • 2006-2007: कार्यकारी सदस्य के पद पर पहला चुनाव लड़ा और भारी बहुमत से विजयी हुए।
  • 2007-2008: पुनः कार्यकारी सदस्य चुने गए, इस बार और बड़े अंतर से जीत दर्ज की।
  • 2009-2010: संयुक्त कोषाध्यक्ष के पद पर चुनाव लड़ा और ऐतिहासिक अंतर से जीत हासिल की।
  • 2018-2019: लगातार दूसरी बार संयुक्त कोषाध्यक्ष के पद पर भारी समर्थन प्राप्त किया।
  • 2019-2020: SCBA के संयुक्त सचिव के पद पर चुनाव लड़ा और भारी मतों से विजयी हुए।
  • 2020-2021: कोविड-19 महामारी के दौरान SCBA के कार्यवाहक सचिव बने और महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वहन किया।
  • 2022-2023: SCBA के संयुक्त सचिव के पद पर फिर से निर्वाचित हुए।
  • 2023-2024: मानद सचिव के रूप में अपनी सेवाएं दीं।

रोहित पांडे की विशिष्ट पहचान

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन में रोहित पांडे को एक अपराजित नेता माना जाता है। उनकी निरंतर जीत बार और कानूनी बिरादरी के प्रति उनके निस्वार्थ समर्पण और सेवा का प्रमाण है। साथी अधिवक्ताओं के बीच उनके नेतृत्व को अत्यधिक सराहा जाता है।

सामाजिक और कानूनी सेवा में योगदान

रोहित पांडे सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता हैं और विभिन्न एसोसिएशनों के साथ जुड़े हुए हैं। उनके नेतृत्व और कानूनी विशेषज्ञता ने उन्हें बार बिरादरी और कानूनी पेशे में एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व बनाया है।

निष्कर्ष

रोहित पांडे का SCBA में अपराजित रिकॉर्ड और उनके समर्पण ने उन्हें भारत के कानूनी परिदृश्य में एक अलग पहचान दी है। वे न केवल सुप्रीम कोर्ट के प्रखर अधिवक्ता हैं, बल्कि अपने कार्यों के माध्यम से कानूनी बिरादरी के लिए एक प्रेरणा भी हैं।

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