राजनीती : तुष्टिकरणवादी इंडी vs सनातन रक्षक भाजपा
राजनीती : तुष्टिकरणवादी इंडी vs सनातन रक्षक भाजपा

राजनीती : अब तक लगभग देश विदेश के 56 करोड़ हिंदू प्रागराज में महाकुंभ के अवसर पर डुबकी लगाकर माँ गंगा का आशीर्वाद ले चुके है, उम्मीद है 26 फ़रवरी को शिवरात्रि के दिन जब इसका समापन होगा यह संख्या 60 करोड़ के पार जाने वाली है जो कुंभ इतिहास में अब तक आने वाली संख्या के मुकाबले सर्वाधिक होगी।
इससे पहले 2013 के कुंभ में 12 करोड़ लोग आये थे और इस बार इनकी संख्या पाँच गुणा बड़कर 60 करोड़ होने जा रही है । यह विश्व का अब तक का सबसे बड़ा समागम है ।
हिंदुओं के 144 वर्ष बाद आये महाकुंभ के आयोजन की तैयारियों की संरचना से लेकर सफल आयोजन तक इंडी गठबंधन के सभी सदस्यों ने कैसे कैसे वज्रपात किए की इंडी के सभी नेताओं को छद्म हिंदू कहने के अलावा और कुछ सूझ ही नहीं रहा । यदि कोई हिंदू है तो वो अपने ही भव्य और दिव्य आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महाकुंभ आयोजन पर ऐसी निकृष्ट और भद्दी टिप्पड़ियां कैसे कर सकता है और यह सभी तुष्टिकरणवादी एक दूसरे के बेतुके बयानों के सरंक्षण एवं बचाव में ऐसे ऐसे कुतर्क लेकर मैदान में उतर जाते है जिसे सुन देखकर देश की बहुसंख्यक 100 करोड़ आबादी हतप्रभ हो जाती है ।
इस महाकुंभ से हर हिंदू प्रसन्न है, लगभग हर हिंदू परिवार से एक से ज़्यादा व्यक्ति इस बार गंगा में डुबकी लगा चुके है । इससे आध्यात्मिक और धार्मिक लाभ जो भी हों इसने इस बार हिन्दुओं को जागृत किया है, जात पात , अगड़े पिछड़े, ग़रीब अमीर का भेद मिटाकर सभी आनंद से एक ही जगह डुबकी लगा रहे हैं, सारे भेद भाव गंगा जी में तिरोहित हो रहे हैं ।
इसी भाव ने जात पात, अगड़े पिछड़े की राजनीति करने वाले इंडी गठबंधन को बैचेन कर दिया है । उनका वोट बैंक खिसकता नज़र आ रहा है , इसलिए महाकुंभ जैसे पवित्र आयोजन को बदनाम करने का कोई मौक़ा नहीं छोड़ रहे । मानवरंजित आपदाओं को भी महाकुंभ के आयोजन से जोड़ रहें है जबकि सभी लोग जो महाकुंभ जा रहे है व्यवस्थाओं, मोदी , योगी की तारीफ़ करते नहीं थक रहे , लाखों साधु संतों ने भी इसकी भूरी भूरी तारीफ़ की है ।
इंडी गठबंधन के शर्मनाक बयानों की बानगी देखिए ।
अखिलेश यादव और समाजवादियों के बयानों पर तो पूरा ग्रंथ लिखा जा सकता है । अखिलेश ने शुरुआत से ही महाकुंभ पर हतोत्साहित करने वाले कुत्सित बयान दिए । पहले महाकुंभ के बजट को लेकर उलजलूल बातें कहीं, फिर तैयारियों पर प्रश्न उठाये, फिर कहा कोई महाकुंभ में आ ही नहीं रहा, रेल और बसें ख़ाली चल रही हैं, महाकुंभ जैसी कोई चीज़ ही नहीं होती, सरकार के सारे इंतज़ाम फेल हो गए, उन्हीं की पार्टी के अफ़ज़ल अंसारी ने कहा कि अब तो महाकुंभ में स्नान कर नरक खाली हो जायेगा, खिल्ली उड़ाई, राम गोपाल यादव , शिव पाल यादव ने ऐसी ऐसी बातें कहीं जो मैं लिख भी नहीं सकता । ममता बनर्जी जी सदैव संतान विरोधी रहीं हैं ने कह दिया की यह महा कुंभ नहीं मृत्युकुम्भ है, इस बात पर पूरे देश में बवाल है, नास्तिक लालू यादव भी तो इसे फालतू कुंभ कह दिया और उनका दसवीं फेल पुत्र तेजस्वी अपने पिता की बात का समर्थन कर रहा है, कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने तो कह दिया की क्या महाकुंभ से ग़रीबी दूर हो जाएगी, कौन नहीं जानता की उनका पुत्र प्रयंक खड़गे उदय स्टालिन के सनातन को डेंगू, मलेरिया, करोना, एच आई वी कहने और सनातन को समाप्त करने के बयान को समर्थन दे चुका है, राहुल ने भी इसे मौन स्वीकृति दी। यह सभी इंडी गठबंधन के तुष्टिकरण वादी जनता की भावना से इतर ऐसे ऐसे महाकुंभ विरोधी बयान दे रहे है जिसे हिंदू बिल्कुल पसंद नहीं कर रहे। मुस्लिमों के चंद वोट बटोरने के फेर में अपने ही धर्म पर ऐसी भद्दी टिप्पड़ियाँ सोच से भी बाहर है। इसका मतलब यह भी है की ये सभी जमीनी हकीकत से बहुत दूर हैं ।
यहाँ मुझे मोदी जिनके सिपाही योगी जी की तारीफ़ करनी होगी की सारे वार वह अकेले ही सफलता पूर्वक झेल रहें हैं और सभी को अपने कार्य और बयानों से निरुत्तर कर पस्त कर रहे हैं।
यह सब देखकर गर्व हो रहा है कि सनातन, हिंदू और हिंदुत्व का पुनत्थान हो रहा है और महाकुंभ जैसे पर्व हिंदू समाज को एक करने का बहुत बड़ा कारण बन रहे हैं। भारतीय अपनी संस्कृति, सभ्यता, अध्यात्म, चितन से अवगत हो रहे है।
और ऐसे पर्व अर्थव्यवस्था को भी गति दे रहे हैं। कितनों को रोजगार मिला, लगभग तीन लाख करोड़ का व्यापार हुआ , इसे अध्यात्म और तीर्थ अर्थव्यवस्था भी कहा जा रहा है ।
इन सभी भारतीय पर्वों पर हिंदुओं को गर्व होना चाहिए ।
राकेश शर्मा
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