नई दिल्ली, 1 सितम्बर: एम्स दिल्ली ने अपने सभी प्रशिक्षु डॉक्टरों की सुविधा के लिए छात्रावास प्रबंधन प्रणाली को अपग्रेड करने का फैसला किया है, जिसके तहत अस्पताल के गंभीर माहौल में काम करने वाले छात्रों को तनाव रहित वातावरण और हंसी -खुशी के पल प्रदान किए जा सकेंगे।
दरअसल, एम्स निदेशक डॉ एम श्रीनिवास ने वर्तमान छात्रावास प्रबंधन प्रणाली की समीक्षा के बाद प्रत्येक छात्रावास ब्लॉक में प्रोफेसर स्तर के दो डॉक्टरों (संकाय सदस्यों) को ‘छात्रावास सलाहकार’ के रूप में नियुक्त करने का फैसला लिया है। ये प्रोफेसर न सिर्फ छात्रों की समस्याओं का समाधान करेंगे बल्कि सामाजिक जीवन से कट चुके छात्रों को सामान्य जीवन में वापस लाने की भी कोशिश करेंगे।
एम्स की प्रवक्ता डॉ रीमा दादा ने रविवार को बताया कि सभी ‘छात्रावास सलाहकार’ नियमित तौर पर हफ्ते में एक बार छात्रावास का दौरा करेंगे, छात्रों की शिकायतें सुनेंगे और उनकी शिकायतों का निराकरण करने के लिए छात्रावास प्रबंधन के साथ समन्वय स्थापित करेंगे। साथ ही अप्रत्याशित समस्याओं के मामले में प्रशिक्षु डॉक्टरों और उनके परिजनों के लिए 24 घंटे 7 दिन फोन पर उपलब्ध रहेंगे।
इसके अलावा छात्रों के लिए सामुदायिक कार्यक्रम और समारोह आदि आयोजित भी किए जाएंगे ताकि रेजिडेंट डॉक्टर होली, दिवाली, ईद, क्रिसमस जैसे त्यौहार मिल-जुलकर मना सकें और सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा मिल सके। छात्रावास सलाहकार ऐसे रेजिडेंट डॉक्टरों की पहचान भी सुनिश्चित करेंगे जिन्हें अतिरिक्त सहायता या मनोवैज्ञानिक सहायता की आवश्यकता है। वे, उन्हें छात्र कल्याण केंद्र से जोड़ेगे।
स्वास्थ्य पेशेवरों की आत्महत्या के बारे में
मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक मेडिकल छात्रों और पेशेवरों के बीच शैक्षणिक तनाव आत्महत्या का प्रमुख कारण माना जाता है। इसके बाद मानसिक बीमारी और उत्पीड़न आते हैं। नतीजतन , डॉक्टर अकेलेपन और अवसाद की स्थिति में पहुंच जाते हैं जिसे मेल मिलाप को बढ़ावा देकर और मनोवैज्ञानिक सहायता उपलब्ध कराकर दूर किया जा सकता है। इस संबंध में सामाजिक व सांस्कृतिक आयोज महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।