
Delhi News : (लेखक : डॉ. अनिल सिंह) 22 अप्रैल 2025 को आतंकवादियों ने कश्मीर के पहलगाम में आम नागरिकों पर हमला कर 26 मासूमों की जान ले ली तो यह केवल एक और आतंकी वारदात नहीं थी। यह भारत की संप्रभुता, शांति और लोकतांत्रिक प्रतिबद्धता पर सीधा हमला था। लेकिन इस बार भारत ने केवल शोक नहीं मनाया, बल्कि प्रतिशोध लिया। भारतीय सशस्त्र बलों ने सरकार की स्पष्ट मंजूरी के साथ एक संयोजित तीव्र और निर्णायक सैन्य कार्रवाई की शुरुआत की, “ऑपरेशन सिंदूर”। यह ऑपरेशन केवल जवाबी हमला नहीं था, बल्कि यह एक नई भारत की सैन्य नीति को दर्शाता है। जहां आतंक का जवाब अब सिर्फ निंदा नहीं, प्रत्यक्ष प्रतिशोध होगा।

पीओके में आतंक का सफाया
लेखक डॉ. अनिल सिंह ने कहा कि भारतीय वायुसेना के अत्याधुनिक राफेल लड़ाकू विमानों ने थल सेना और विशेष बलों के साथ मिलकर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर ध्वस्त कर दिया। ये ठिकाने जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों के प्रशिक्षण और संचालन अड्डे थे।सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, इस कार्रवाई में दर्जनों आतंकियों का खात्मा किया गया और पाक समर्थित आतंक नेटवर्क को भारी क्षति पहुंची। यह भारत की सैन्य शक्ति और तकनीकी क्षमताओं का बेहतरीन उदाहरण था।
गृह मंत्रालय की त्वरित कार्रवाई
उन्होंने कहा देश के अंदर सुरक्षा स्थिति की गंभीरता को देखते हुए गृह मंत्रालय (MHA) ने अपने सभी अधिकारियों की छुट्टियां तत्काल रद्द कर दीं। गृह मंत्री अमित शाह ने स्वयं स्थिति की समीक्षा की और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से बातचीत कर यह सुनिश्चित किया कि केंद्रशासित प्रदेश में सुरक्षा और प्रशासनिक व्यवस्था सुदृढ़ बनी रहे। यह स्पष्ट संकेत था कि अब भारत न केवल बाहरी दुश्मनों से लड़ रहा है, बल्कि भीतर से भी पूरी तरह सजग और सतर्क है।
विदेश मंत्रालय की भूमिका
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने एक विशेष प्रेस वार्ता के दौरान आतंकियों के नेटवर्क और पाकिस्तान की संलिप्तता के पीछे के पूरे घटनाक्रम को विस्तार से रखा। उपग्रह चित्रों, इंटरसेप्ट की गई बातचीत और ड्रोन फुटेज के आधार पर पाकिस्तान को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया गया। भारत ने यह स्पष्ट कर दिया कि यह केवल जवाबी कार्रवाई नहीं थी, बल्कि यह एक राज्य प्रायोजित आतंकवाद को वैश्विक मंच पर उजागर करने की रणनीतिक कड़ी थी।
राजनीतिक दृष्टिकोण
ऑपरेशन सिंदूर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा समर्थित “राष्ट्र प्रथम, आतंक शून्य सहिष्णुता” नीति की स्पष्ट झलक है। सऊदी अरब से लौटने के तुरंत बाद प्रधानमंत्री ने सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक की अध्यक्षता की और सेनाओं को पूर्ण स्वतंत्रता दी कि वे समय, स्थान और रणनीति स्वयं तय कर कार्रवाई करें। लेखक ने डॉ. अनिल सिंह ने कहा कि यह वही रणनीति है जिसे मैंने अपनी पुस्तक “The Prime Minister: Discourses in Indian Polity” में विस्तार से विश्लेषित किया है। जहां आज का भारत अब जोखिम से नहीं डरता, बल्कि साहस के साथ जवाब देता है।
जनसमर्थन और राष्ट्रीय एकता
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पूरे देश में अभूतपूर्व जनसमर्थन देखने को मिला। सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक, जनता ने सेना के पराक्रम को सलाम किया। यह स्पष्ट हो गया कि आज का भारत केवल शांति की बात नहीं करता, वह शांति थोपना भी जानता है। इन दिनों सोशल मीडिया पर एक नारा तेजी से फैला “ये नया भारत है, माफ नहीं करेगा”।
भारत की नई सैन्य रणनीति का प्रतीक
उन्होंने कहा ऑपरेशन सिंदूर केवल एक सैन्य अभियान नहीं था, यह एक नई नीति का एलान है। भारत अब केवल जवाब नहीं देता, वह सबक सिखाता है। आज का भारत शांति चाहता है पर सम्मान के साथ।
आगे की राह : नीति, सैन्य और कूटनीतिक समन्वय का सुदृढ़ीकरण
1. अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाए रखना: भारत को विदेश सचिव द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों को संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक मंचों पर ले जाकर पाकिस्तान को कूटनीतिक रूप से अलग-थलग करना चाहिए।
2. निष्क्रिय नहीं, सक्रिय सैन्य नीति: इस ऑपरेशन की सफलता को आधार बनाकर एक स्पष्ट पूर्व-प्रत्याशित सैन्य सिद्धांत विकसित किया जाना चाहिए।
3. सीमा सुरक्षा का सुदृढ़ीकरण: LOC और IB पर निगरानी तंत्र को और अधिक तकनीकी रूप से उन्नत बनाना आवश्यक है।
4. संयुक्त आतंक निरोधक तंत्र: गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और सशस्त्र बलों का यह समन्वय भविष्य में एक स्थायी तंत्र के रूप में स्थापित किया जाना चाहिए।
5. जनजागरूकता और साइबर सतर्कता, नागरिकों को सूचना युद्ध से निपटने और संकट के समय सजग रहने के लिए प्रशिक्षित किया जाना आवश्यक है
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