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New Delhi : भारत–रूस संबंध निर्णायक मोड़ पर: मास्को-आधारित उद्यमी मनीष कुमार से डॉ. अनिल सिंह की विशेष बातचीत

New Delhi : (डॉ. अनिल सिंह, एडिटर STAR Views एवं एडिटोरियल एडवाइज़र, Top Story) : टॉप स्टोरी में आपका स्वागत है। मैं डॉ. अनिल सिंह हूं, और आज हम भारत–रूस संबंधों पर उस समय बात कर रहे हैं जब वैश्विक राजनीति में इन संबंधों की अहमियत पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भारत दौरा, वह भी एक बड़े रणनीतिक प्रतिनिधिमंडल के साथ, रक्षा, ऊर्जा, व्यापार, तकनीक, शिक्षा और वैश्विक कूटनीति के स्तर पर गहरी उम्मीदें जगाता है।

इन रणनीतिक आयामों को समझने के लिए हमारे साथ हैं मास्को में बसे भारतीय मूल के अग्रणी उद्यमी, श्री मनीष कुमार—जो व्यापार, सांस्कृतिक सहयोग और भारत–रूस संबंधों के व्यावहारिक पक्ष को बारीकी से समझते हैं।

मनीष कुमार जी, आपका स्वागत है।

मनीष कुमार:
धन्यवाद डॉ. सिंह। इस महत्वपूर्ण चर्चा का हिस्सा बनना मेरे लिए सम्मान की बात है।

डॉ. अनिल सिंह:
अक्सर कहा जाता है कि रूस पर प्रतिबंध, भुगतान समस्याएँ और वैश्विक ध्रुवीकरण के कारण भारत–रूस संबंध धीमे पड़े हैं। आपको क्या लगता है—पुतिन के इस दौरे से कौन-से मुद्दे निर्णायक रूप से सुलझेंगे? भारतीय जनता क्या ठोस परिणाम देख सकती है?

मनीष कुमार:
डॉ. सिंह, सबसे पहले मैं यह स्पष्ट कर दूं कि भारत–रूस संबंध धीमे नहीं हुए—वे गहरे हैं, ऐतिहासिक हैं, भावनात्मक हैं और रणनीतिक रूप से बेहद मजबूत हैं। रूस बीते 70 वर्षों में हर कठिन क्षण में भारत के साथ खड़ा रहा है—चाहे रक्षा हो, संयुक्त राष्ट्र में समर्थन हो, परमाणु सहयोग हो या अंतरिक्ष साझेदारी।

हाँ, तकनीकी और संचालन संबंधी कुछ बाधाएँ जरूर हैं—जैसे भुगतान प्रणाली, व्यापारिक लॉजिस्टिक्स और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में कुछ ठहराव। ये रणनीतिक मतभेद नहीं, बल्कि प्रशासनिक चुनौतियाँ हैं।

राष्ट्रपति पुतिन का दौरा इन तकनीकी बाधाओं को दूर करने और आने वाले दस वर्षों के लिए नए ढांचे को मजबूत करने पर केंद्रित है।

सबसे अधिक प्रगति तीन क्षेत्रों में होगी:
• ऊर्जा सुरक्षा, जहाँ रुपये-रूबल या डिजिटल भुगतान प्रणाली पर बड़ा समझौता संभव है
• रक्षा सहयोग, जहाँ खरीद मॉडल से आगे बढ़कर संयुक्त विकास, तकनीक हस्तांतरण और उन्नत निर्माण पर ज़ोर होगा
• स्किल्ड वर्कफोर्स, जिसमें आईटी, निर्माण, चिकित्सा, इंजीनियरिंग समेत कई क्षेत्रों में भारतीय पेशेवरों के लिए रूस में संरचित अवसर बनेंगे

ये भारत के लिए वास्तविक और मापे जा सकने वाले लाभ होंगे।

डॉ. अनिल सिंह:
भारत का रूस के साथ व्यापार संतुलन अभी भी भारी असमान है। रूस से भारी आयात, भारत से बहुत कम निर्यात… क्या यह दौरा इसे बदल पाएगा?

मनीष कुमार:
डॉ. सिंह, इस बार परिदृश्य बिल्कुल अलग है। पहली बार रूस खुलकर यह चाह रहा है कि भारत कई क्षेत्रों में चीन का विकल्प बने। इनमें दवा उद्योग, आईटी, निर्माण, खाद्य प्रसंस्करण, वस्त्र, खनन और इंफ्रास्ट्रक्चर शामिल हैं।

रूस भारत को दे रहा है:
• दीर्घकालिक रियायती ऊर्जा अनुबंध
• साइबेरिया और फार ईस्ट में निवेश के अवसर
• परमाणु और अंतरिक्ष सहयोग में नई परियोजनाएँ
• कृषि और खनन में बड़े पैमाने पर साझेदारी

और भारत रूस को दे रहा है:
• विश्व-स्तरीय फार्मास्यूटिकल उत्पाद
• उन्नत डिजिटल और आईटी सेवाएँ
• कृषि विशेषज्ञता
• कुशल मानव संसाधन
• उपभोक्ता सामान और खाद्य उत्पाद

यह रिश्ता अब खरीदार-विक्रेता मॉडल से निकलकर संतुलित रणनीतिक साझेदारी में बदल रहा है।

डॉ. अनिल सिंह:
भारत और रूस के सांस्कृतिक संबंध—राज कपूर, मिथुन दा और बॉलीवुड से बने भावनात्मक रिश्ते—आज भी कितने प्रासंगिक हैं? क्या पुतिन का दौरा इस सांस्कृतिक पुल को और मजबूत करेगा?

मनीष कुमार:
बिल्कुल, डॉ. सिंह। सांस्कृतिक कूटनीति भारत–रूस संबंधों की आत्मा है। आज भी रूस में भारतीय सिनेमा, संगीत, योग, आयुर्वेद और शास्त्रीय नृत्य के प्रति असाधारण प्रेम है।

यह दौरा सांस्कृतिक संबंधों में नए युग की शुरुआत कर सकता है—
• मास्को में भारतीय सांस्कृतिक केंद्र का बड़ा विस्तार
• उच्च शिक्षा डिग्री की पारस्परिक मान्यता
• भारत–रूस फिल्म सह-निर्माण परियोजनाएँ
• विश्वविद्यालय स्तर पर बड़े एक्सचेंज प्रोग्राम

भावनात्मक रिश्ते ही दीर्घकालिक रणनीतिक विश्वास का आधार बनते हैं।

डॉ. अनिल सिंह:
एक कठिन प्रश्न—क्या अमेरिका और पश्चिमी देशों का दबाव भारत पर है कि वह रूस से दूरी बनाए? और क्या यह दबाव असरदार है?

मनीष कुमार:
हाँ, दबाव मौजूद है, लेकिन उसका प्रभाव बहुत सीमित है। भारत आज अपनी विदेश नीति राष्ट्रीय हित के आधार पर तय करता है—न कि किसी ब्लॉक के दबाव पर। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे स्पष्ट कर दिया है कि भारत रणनीतिक स्वायत्तता रखेगा।

जब यूरोप और नाटो देश खुद रूस से चुपचाप व्यापार कर रहे हैं, तो भारत क्यों अपनी ऊर्जा सुरक्षा या रक्षा जरूरतों को कम करे?

मोदी और पुतिन दोनों बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था में विश्वास करते हैं, और यह साझा दृष्टिकोण इस रिश्ते को किसी भी बाहरी दबाव से सुरक्षित रखता है।

डॉ. अनिल सिंह:
अंत में—पुतिन की यह भारत यात्रा आम भारतीय को कैसे प्रभावित करेगी? इसका जमीन पर क्या असर होगा?

मनीष कुमार:
डॉ. सिंह, इसका असर बहुत सीधा होगा:
• सस्ती ऊर्जा—जिससे महँगाई नियंत्रण में
• भारतीय पेशेवरों के लिए रूस में रोजगार
• रक्षा क्षमता में बढ़ोतरी
• छात्रों के लिए अधिक छात्रवृत्ति
• भारतीय MSMEs के लिए नए बाजार
• डिजिटल-तकनीकी सहयोग से स्टार्टअप को मदद
• वैश्विक मंचों पर भारत की और मजबूत स्थिति

यह सिर्फ कूटनीतिक दौरा नहीं, बल्कि भारत के आर्थिक और रणनीतिक भविष्य को प्रभावित करने वाला निर्णायक कदम है।

डॉ. अनिल सिंह (समापन):
मनीष कुमार जी, आपके स्पष्ट, गहन और व्यावहारिक विचारों के लिए धन्यवाद। आपने पुतिन के दौरे की दीर्घकालिक रणनीतिक अहमियत को बहुत बेहतर ढंग से समझाया।

यह था Top Story.
मैं डॉ. अनिल सिंह, भारत के भविष्य को दिशा देने वाले मुद्दों पर स्वतंत्र और तथ्यपूर्ण विश्लेषण आपको लगातार पहुँचाता रहूँगा।

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