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नई दिल्ली: किशोर आबादी को गिरफ्त में ले रहा तंबाकू

नई दिल्ली: -व्यस्क आबादी में से 87% रोजाना और 13% कभी -कभार करते हैं तंबाकू का सेवन

नई दिल्ली, 1 जून : तंबाकू का सेवन करने के चलते लाखों वयस्कों की जान पर मंडरा रहे खतरे ने अब किशोर आबादी को भी अपनी गिरफ्त में लेना शुरू कर दिया है। इसके चलते 13-15 वर्ष आयु के 8% छात्र ना सिर्फ तंबाकू उत्पादों का सेवन कर रहे हैं। बल्कि गंभीर दंत रोगों के साथ मुंह और फेफड़े के कैंसर को आमंत्रण दे रहे हैं।

एम्स दिल्ली के दंत चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान केंद्र की डॉ. भारती पुरोहित ने कहा, भारत में लगभग 25.3 करोड़ किशोर हैं, जो देश की आबादी का लगभग 20% हिस्सा है। यह दुनिया की सबसे बड़ी किशोर आबादी है जो तंबाकू उत्पादों के उपयोग को लेकर संवेदनशील है। इस वजह से किशोर उम्र के बच्चे गंभीर दंत रोगों के साथ मुख कैंसर के खतरे की ओर बढ़ रहे हैं। जिसे रोकने के लिए वृहद स्तर पर तंबाकू रोधी अभियान चलाए जाने की जरुरत है।

उन्होंने बताया कि तंबाकू का सेवन करने के चलते देश में प्रतिवर्ष लाखों लोग जान गंवा देते हैं। यह ना सिर्फ देश की हर गली, हर घर, हर सांस को प्रभावित कर रहा है। बल्कि चुपचाप लोगों का जीवन भी निगल रहा है। देश में प्रतिवर्ष तंबाकू के सेवन से लगभग 80 लाख लोग मर जाते हैं। ये मौत ना बम से होती है और बंदूक की गोली से होती है। ये बस सिगरेट, गुटखा, बीड़ी और खैनी की वजह से होती हैं। व्यक्ति एक बार में नहीं बल्कि धीरे-धीरे और तड़प-तड़प कर मरता है। उसके साथ पूरा परिवार भी तड़पता है। सबसे बड़ी बात यह है कि ये मौतें पूरी तरह से रोकी जा सकती हैं।

भारत में ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वेक्षण के अनुसार, 28.6% वयस्क (लगभग 26.68 करोड़) तंबाकू का किसी न किसी रूप में उपयोग करते हैं। चाहे वह तंबाकू का धूम्रपान हो, तंबाकू चबाना हो या दांतों, मसूड़ों पर लगाना हो या सूंघना हो। देश में लगभग 87% वयस्क लोग रोजाना तंबाकू का सेवन करते हैं, जबकि13% कभी-कभार करते हैं। इनमें से 21.4% वयस्क ‘स्मोकलेस’ (बिना धुएं वाला) तंबाकू का सेवन करते हैं, जो धूम्रपान (10.7%) की तुलना में दोगुना से अधिक है। यह इस बात का संकेत है कि केवल धूम्रपान को नियंत्रित करना पर्याप्त नहीं होगा।

ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे -4 के अनुसार, वर्तमान में 13-15 वर्ष आयु के 8% छात्र तंबाकू उत्पादों का सेवन करते हैं। इस आयु वर्ग के लगभग 18% छात्रों ने कभी न कभी किसी तंबाकू उत्पाद का प्रयोग किया है। इनमें से 11% छात्रों ने कभी धूम्रपान किया है, जबकि 13% ने स्मोकलेस तंबाकू का सेवन किया है। यह आंकड़े किशोरों में तंबाकू की शुरुआत की प्रवृत्ति को उजागर करते हैं।

डॉ पुरोहित ने कहा, एम्स दिल्ली में तंबाकू छोड़ने के लिए क्लीनिक चलाया जा रहा है। इसमें लोगों को तंबाकू छोड़ने की सलाह और दवाइयां दी जाती हैं। तंबाकू से होने वाले मुंह के घाव और कैंसर को जल्दी पहचानने में मदद करते हैं जिससे रोग के रोकथाम और उपचार में आसानी होती है। उन्होंने कहा, विश्व तंबाकू निषेध दिवस का उद्देश्य केवल जागरूकता फैलाना ही नहीं, बल्कि नीति-निर्माण को मजबूत करना, जनसहभागिता को बढ़ाना और युवाओं को इन उत्पादों से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास करना है।

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