
नई दिल्ली, 26 सितम्बर : अगर कुछ देर पैदल चलने के बाद आपको थकान महसूस हो रही है। या सांस फूल रही है तो यह सामान्य बात नहीं है। यह दिल की गुहार भी हो सकती है कि उसे मदद चाहिए। ऐसे ही शक या संदेह को दूर करने के लिए एम्स दिल्ली के डॉक्टर ‘स्ट्रेस मायोकार्डियल परफ्यूजन इमेजिंग’ (स्ट्रेस एमपीआई) नामक एक शक्तिशाली डायग्नोस्टिक टूल का इस्तेमाल कर रहे हैं। जो मरीजों के लिए सचमुच जीवन रक्षक साबित हो रहा है।
एम्स दिल्ली के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रो. राजीव नारंग ने बताया, अक्सर मरीज हमारे पास आकर कहते हैं कि उन्हें आधा किलोमीटर पैदल चलने के बाद सीने में दर्द होता है। बड़ा सवाल यह है, क्या यह सिर्फ थकान है या धमनियों के बंद होने के कारण एनजाइना है? स्ट्रेस एमपीआई से हम यह देख सकते हैं कि हृदय की मांसपेशियों में रक्त का प्रवाह कैसे हो रहा है। अगर रुकावटें हैं, तो यह टेस्ट हमें बताता है कि बाईपास सर्जरी या एंजियोप्लास्टी की जरूरत है या नहीं। यानि जिन मरीजों को दिल का दौरा पड़ने की संभावना होती है, ये टेस्ट उनके डर को दूर करता है और समस्या होने पर इलाज का रास्ता खोलता है।
एम्स के न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर चेतन पटेल ने बताया, स्ट्रेस एमपीआई के वास्तव में दो भाग होते हैं-‘स्ट्रेस’ चरण और ‘आराम’ चरण। स्ट्रेस वाले भाग में, शारीरिक गतिविधि का आकलन करने के लिए व्यायाम या इंजेक्शन का उपयोग किया जाता है, और हम हृदय की तस्वीरें लेते हैं। कुछ घंटों बाद, जब मरीज आराम कर रहा होता है, तो हम स्कैन दोहराते हैं। दोनों तस्वीरों की तुलना करके, हम स्पष्ट रूप से देख सकते हैं कि रक्त की आपूर्ति को बाधित करने वाली कोई रुकावट तो नहीं है।
दिल के दौरे से उबर रहे मरीजों के लिए, स्ट्रेस एमपीआई विशेष रूप से उपयोगी है। यह बताता है कि क्षतिग्रस्त हृदय की मांसपेशियों को बहाल रक्त आपूर्ति से लाभ हो सकता है या नहीं। लेकिन यह केवल चिकित्सकीय निर्णयों के बारे में नहीं है-यह मन की शांति के बारे में भी है। प्रोफेसर नारंग ने कहा, कई दिल के मरीज डर के कारण व्यायाम से बचते हैं। यह परीक्षण उन्हें आश्वस्त करता है कि सक्रिय रहना कब सुरक्षित है। यह आत्मविश्वास ही रोगी के उपचार का आधार बनता है। कभी-कभी, यह जानना भी एक अच्छी दवा साबित होता है कि आपका दिल ठीक काम कर रहा है।
प्रोफेसर पटेल ने कहा, यह टेस्ट सटीक परिणाम देता है। कभी-कभी मरीज को सबसे बुरी स्थिति का डर हो सकता है, लेकिन परीक्षण से पता चलता है कि उनका हृदय प्रभावी ढंग से रक्त को पंप कर रहा है। अन्य मामलों में, यह हमें छिपे हुए जोखिमों के बारे में पहले ही सचेत कर देता है। किसी भी तरह से, यह अनुमान लगाने की जरूरत को खत्म कर देता है और डॉक्टरों को केवल तभी हस्तक्षेप करने में मदद करता है जब वास्तव में जरूरी हो। स्ट्रेस एमपीआई का उपयोग ना सिर्फ संदेह और निदान के बीच की खाई को पाट रहा है। बल्कि डॉक्टरों को यह तय करने में भी मदद कर रहा है कि हस्तक्षेप की जरूरत कब है?
कैसे होता है टेस्ट ?
यह टेस्ट दिल पर नियंत्रित दबाव डालकर काम करता है। इस दौरान मरीज को ट्रेडमिल पर चलने या दौड़ने के लिए कहा जाता है। जबकि रक्त प्रवाह की जांच के लिए उनके हृदय का स्कैन किया जाता है। जो लोग व्यायाम नहीं कर सकते, उन्हें रेडियो एक्टिव इंजेक्शन लगाया जाता है ताकि परिश्रम करने के बाद दिल पर पड़ने वाले प्रभाव की जानकारी मिल सके। यह एक सुरक्षित इंजेक्शन है जो परिश्रम की नकल करता है।