
नई दिल्ली, 20 मार्च : हेड इंजरी देश के लिए चिंता का विषय बनी हुई है जिसके चलते प्रतिवर्ष करीब डेढ़ लाख लोग असमय ही अपनी जान गंवा देते हैं। यह स्थिति तब है जबकि देश के चिकित्सा संस्थानों में ब्रेन इंजरी का अत्याधुनिक इलाज उपलब्ध है।
यह जानकारी राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल के न्यूरोसर्जरी विभाग के डॉ शरद पांडेय ने विश्व मस्तिष्क चोट दिवस यानि वर्ल्ड हेड इंजरी डे के अवसर पर एलटी 4 में आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में वीरवार को दी। उन्होंने बताया, हेड इंजरी की सबसे बड़ी वजह सड़क दुर्घटना है। दूसरी वजह ऊंचाई से गिरना और तीसरी वजह मारपीट, घरेलू हिंसा है। इसके अलावा ऊंचाई से गिरी भारी वस्तु भी व्यक्ति को हेड इंजरी दे सकती है। ये स्थितियां अक्सर जानलेवा साबित होती हैं।
उन्होंने कहा, सिर में चोट लगने की स्थिति में मरीज को तुरंत ही नजदीकी अस्पताल या ट्रामा सेंटर ले जाना चाहिए। अगर सिर में चोट लगने के बाद खून नहीं निकलता है और नाक या गले के रास्ते मुंह से खून आता है या उल्टी आती है तो भी पीड़ित को डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए। अगले 48 घंटे पीड़ित के लिए गंभीर हो सकते हैं। डॉ पांडेय ने कहा, जागरूकता के अभाव में देश में हेड इंजरी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। अकेले आरएमएल अस्पताल में ही प्रतिवर्ष तीन हजार से ज्यादा हेड इंजरी के मामले सामने आते हैं।
गंभीरता से लें सिर की चोट !
डॉ पांडेय ने कहा, यह कोई बीमारी नहीं है। बल्कि लापरवाही और जागरूकता की कमी से होने वाली इंजरी है जिसे समाज, विशेषकर बच्चों में जागरूकता लाकर टाला जा सकता है। इसका सबसे ज्यादा असर बच्चों पर होता है, जैसे अनजाने में गिरना या खेल-खेल में चोट लग जाना। उन्होंने एक शोध के हवाले से कहा, जिन लोगों के सिर में कोई चोट नहीं लगती है, उनकी तुलना में सिर में चोट लगने से घायल व्यक्तियों की मौत होने की संभावना दोगुनी होती है। वहीं, मध्यम या गंभीर सिर की चोटों वाले लोगों की मृत्यु दर अन्य चोटिल लोगों की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक होती है।
गंभीर हेड इंजरी से दिव्यांगता ?
मस्तिष्क की गंभीर चोट के कारण 30% पीड़ितों की मौत हो जाती है और जो 70% बचते हैं, उनमें से 60% लोगों के जीवन की गुणवत्ता खराब हो जाती है। इनमें से अधिकांश के शरीर का एक भाग काफी कमजोर हो जाता है जिसकी वजह से वह सामान्य रूप से चल नहीं पाते हैं। उन्हें समय-समय पर दौरे भी पड़ते हैं। केवल 10% ही अपनी लाइफ में पूरी तरह ठीक होकर फिर से लौट पाते हैं। दिव्यांगता के अलावा देर से शुरू होने वाली मिर्गी, मनोभ्रंश और स्ट्रोक भी सिर की चोट के चलते होने वाली दीर्घकालिक स्वास्थ्य स्थितियों में शामिल हैं।
कैसे करें बचाव ?
सड़क दुर्घटना में हेड इंजरी से बचाव के लिए हमेशा हेलमेट पहनकर दोपहिया वाहन चलाएं। दोपहिया की पिछली सीट पर बैठे व्यक्ति को भी हेलमेट पहनाएं। अगर साथ में छोटा बच्चा (4 साल से अधिक आयु) है तो उसे भी हेलमेट पहनाएं। कार में सफर करते समय सीट बेल्ट लगाएं और ट्रैफिक के नियमों का सख्ती से पालन करें। वहीं, ऊंचाई से गिरने की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए घर की बालकनी और छत पर रेलिंग लगाएं। अगर बच्चे छोटे हैं तो रेलिंग सामान्य से ज्यादा ऊंची लगाएं।