नई दिल्ली, 5 जनवरी: सर्वाइकल कैंसर जागरूकता माह के अवसर पर शनिवार को सफदरजंग अस्पताल के बाल चिकित्सा ओपीडी में प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग ने एचपीवी टीकाकरण शिविर का आयोजन किया।
शिविर का उद्घाटन सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक संदीप बंसल और प्रिंसिपल डॉ गीतिका खन्ना ने किया। उनके साथ बाल चिकित्सा विभाग के अध्यक्ष डॉ रतन गुप्ता और स्त्री रोग ऑन्कोलॉजी यूनिट की अध्यक्ष डॉ. सरिता श्यामसुंदर, डॉ. अर्चना मिश्रा, डॉ. शीबा मारवाह और डॉ. सुमित मेंदिरत्ता मौजूद रहे। इस अवसर पर 9-20 वर्ष आयु की 28 पंजीकृत लड़कियों में से 25 को एचपीवी वैक्सीन दी गई। सभी बच्चों और अभिभावकों को एचपीवी वैक्सीन के महत्व और सुरक्षा के बारे में परामर्श दिया गया और इस घातक बीमारी को रोकने के लिए समय पर टीकाकरण की जरूरत बताई गई।
इस अवसर पर डॉ सरिता ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए 15 वर्ष की आयु तक 90% लड़कियों को एचपीवी वैक्सीन या टीका लगाया जाना जरूरी है। 35 वर्ष की आयु में और फिर 45 वर्ष की आयु तक उच्च-प्रदर्शन परीक्षण (एचपीवी परीक्षण) का उपयोग करके 70% महिलाओं की स्क्रीनिंग होनी चाहिए। प्री-कैंसर वाली 90% महिलाओं का उपचार और आक्रामक कैंसर वाली 90% महिलाओं का प्रबंधन होना चाहिए।
वैक्सीन के दुष्प्रभाव
एचपीवी वैक्सीन के कारण होने वाले दुष्प्रभाव आम तौर पर किसी भी इंट्रामस्क्युलर वैक्सीन जैसे ही होते हैं, जैसे कि इंजेक्शन वाली जगह पर दर्द, एरिथेमा आदि। इसके अलावा सिरदर्द, मतली, बुखार जैसे कुछ प्रणालीगत दुष्प्रभाव भी सामने आए हैं। ये सभी लक्षण आम तौर पर हल्के होते हैं और इसके लिए व्यक्ति को छुट्टी लेने की जरुरत नहीं होती है।