
नई दिल्ली, 2 मई : एम्स दिल्ली में कार्यरत प्रोफेसर स्तर के डॉक्टरों ने संस्थान में रोटेशनल हेडशिप नीति लागू न करने के विरोध में काले बिल्ले लगाकर प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन एम्स फैकल्टी एसोसिएशन के बैनर तले शुक्रवार को दोपहर एक से दो बजे के बीच जवाहरलाल नेहरू ऑडिटोरियम के सामने किया गया।
डॉक्टरों ने कहा कि एम्स में प्रोफेसर स्तर के डॉक्टरों को प्रतिभा संपन्न होने के बजूद पदोन्नति के अवसर नहीं मिल रहे हैं जिसके चलते वह तनाव और अवसाद का शिकार हो रहे हैं। इस बेवजह देरी से डॉक्टरों का मनोबल गिर रहा है और यह संस्थान के विकास और निष्पक्षता की भावना के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि संस्थान में कार्यरत वरिष्ठ डॉक्टरों को तमाम विभागों में बारी-बारी से या एक निश्चित समय के लिए प्रमुख बनाया जाना चाहिए , ताकि सभी को तरक्की के समान अवसर मिल सकें।
डॉक्टरों ने स्वास्थ्य मंत्रालय के मई-जून 2024 में जारी पत्र का हवाला देते हुए कहा, केंद्र सरकार ने एम्स में रोटेशनल हेडशिप लागू करने का जो प्रस्ताव दिया था उसे लागू क्यों नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह नीति देश के अन्य बड़े संस्थानों जैसे जेआईपीएमईआर, मिन्हॉस, बीचएचयू, सीएमसी वैल्लोर के साथ दिल्ली सरकार के अधीनस्थ अस्पतालों में भी लागू है। यहां तक कि आईआईटी और आईआईएम जैसे संस्थानों में भी विभागाध्यक्षों का कार्यकाल निश्चित होता है।
डॉक्टरों का कहना है कि दुनिया भर की बड़ी यूनिवर्सिटी जैसे हॉवर्ड, ऑक्सफोर्ड में भी इसी तरह की व्यवस्था अपनाते है। जिसमें जवाबदेही, बराबरी और काम में नयापन आता है। एम्स और पीजीआई को भी लोकतांत्रिक व्यवस्था अपनानी चाहिए। मई महीने में काले बिल्ले लगाकर विरोध जारी रहेगा। यह विरोध सार्वजनिक रुप से और काम करते हुए जैसे आईसीयू, ओपीडी, वार्ड, लैब आदि में शांतिपूर्वक किया जाएगा। ताकि मरीजों की देखभाल पर असर ना पड़े।
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