दिल्लीभारत

नई दिल्ली: नशीली दवाओं की लत से निर्णय लेने की क्षमता में आ जाती है कमी

नई दिल्ली: -शैक्षणिक संस्थान सिर्फ शिक्षा प्राप्ति के स्थान नहीं बल्कि आदतें, दृष्टिकोण और भविष्य को आकार देने के केंद्र : जामिया

नई दिल्ली, 10 फरवरी : नशीली दवाओं की लत से मस्तिष्क की रासायनिक संरचना में बदलाव आने के साथ निर्णय लेने की क्षमता में कमी आ जाती है। साथ ही भावनात्मक स्थिरता प्रभावित होती है जिससे नशा पीड़ित लोग दीर्घकालिक निर्भरता और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी विकारों के शिकार हो जाते हैं।

यह बातें इहबास के वरिष्ठ मनोचिकित्सक प्रो निमेश जी देसाई ने जामिया मिलिया इस्लामिया के हॉल ऑफ गर्ल्स रेजिडेंस की ओर से आयोजित कार्यक्रम ‘भारत में युवाओं पर नशीली दवाओं के दुरुपयोग की समस्या और इसके प्रभाव’ के दौरान सोमवार को कहीं। उन्होंने कहा कि व्यसन एक नैतिक विफलता की जगह एक उपचार योग्य बीमारी है जिसे शीघ्र हस्तक्षेप, साथियों के समर्थन और मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता के जरिये नियंत्रित किया जा सकता है।

इस पहल का उद्देश्य छात्रों को मादक द्रव्यों के सेवन के खतरों और स्वस्थ, व्यसन-मुक्त जीवन जीने के महत्व के बारे में शिक्षित करना और संवेदनशील बनाना था। इस अभियान के अंतर्गत छात्रों को पोस्टर-मेकिंग प्रतियोगिता, स्लोगन-लेखन प्रतियोगिता और सुलेख प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में जामिया के कुलसचिव प्रो मोहम्मद महताब आलम रिजवी, जामिया के कुलपति प्रो मजहर आसिफ की पत्नी शबाया परवीन आसिफ, ब्रह्माकुमारी विधात्री बहन, विभिन्न संकायों के प्रोफेसर, डॉ सत्य प्रकाश प्रसाद, प्रो अरविंदर ए अंसारी और हॉल ऑफ गर्ल्स रेजीडेंस में रहने वाली छात्राएं मौजूद रहीं।

विजय वर्मा ने पायल कपाड़िया की कान्स जीत पर गजेंद्र चौहान की टिप्पणी का मज़ाक उड़ाया: ‘करवा ली बेज़ाती?’

Related Articles

Back to top button