नई दिल्ली: नर्सिंग सेवाओं को आउटसोर्स करने का विरोध
नई दिल्ली: - आदेश को लेकर विधि विशेषज्ञों से ली जा रही सलाह
नई दिल्ली, 12 जनवरी : राजधानी दिल्ली के चिकित्सा संस्थानों में 701 नर्सों की आउटसोर्स आधार पर भर्ती का आदेश सरकार के गले की फांस बनता नजर आ रहा है। इस आदेश से जहां नर्सों में आक्रोश पनप रहा है। वहीं, नर्स संगठन मुख्य सचिव से लेकर मुख्य निर्वाचन अधिकारी तक से गुहार लगा रहे हैं।
दिल्ली नर्सेज फेडरेशन ने मुख्य सचिव को शिकायती पत्र लिखकर कहा है कि स्वास्थ्य विभाग दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (डीएसएसएसबी) के माध्यम से नर्सिंग कर्मियों की नियमित भर्ती की प्रक्रिया में तेजी लाने के बजाय आउटसोर्सिंग आधार पर भर्ती करने के आदेश जारी कर रहा है। इस प्रकार की भर्ती न सिर्फ भ्रष्टाचार को बढ़ावा देगी। बल्कि गुणवत्तापूर्ण नर्सिंग देखभाल और सेवाओं से भी समझौता करेगी। साथ ही नर्स अभ्यर्थियों के भविष्य पर बुरा असर डालेगी।
डीएनएफ के महासचिव ने कहा कि नर्सिंग अधिकारी भर्ती के बाबत डीएसएसएसबी पहले ही 1500 रिक्त पदों के लिए परीक्षा ले चुकी है। परिणाम प्रतीक्षित है। इसलिए, सरकार को डीएसएसएसबी को निर्देश देना चाहिए कि वह परिणाम घोषित करे और अगले 15 दिनों के अंदर भर्ती प्रक्रिया पूर्ण करे। ताकि सरकारी चिकित्सा संस्थानों में इलाज के लिए भर्ती मरीजों को उच्च प्रशिक्षित नर्सों की सेवाएं मिल सकें।
वहीं, अखिल भारतीय गवर्नमेंट नर्सेज फेडरेशन (एआईजीएनएफ) ने कहा कि नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ भर्ती का आदेश अवैधानिक है। दिल्ली में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आदर्श चुनाव आचार संहिता (एमसीसी) लागू है। ऐसे में किसी भी रिक्त पद को भरने का आदेश एमसीसी का उल्लंघन है। इस संबंध में हम कल मुख्य निर्वाचन अधिकारी से शिकायत करेंगे। इसके अलावा विधि विशेषज्ञों से परामर्श लेकर अदालत का दरवाजा भी खटखटाएंगे।
उधर, स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि उच्च न्यायालय के आदेश पर गठित डॉ सरीन समिति की सिफारिशों के अनुपालन में 701 नर्सों और 762 पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती करने का फैसला किया गया है। इसके लिए दिल्ली के जीटीबी, जीबी पंत, डीडीयू और मंडोली जेल अस्पताल सहित 34 चिकित्सा संस्थानों और दो अन्य संस्थानों को निर्देश दिए गए हैं कि वे केंद्रीय या राज्य सार्वजनिक उपक्रमों आईसीएसआईएल, एनआईसीएसआई, बीईसीआईएल, एचएलएल आदि के माध्यम से आउटसोर्स आधार पर रिक्तियां भरें।
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