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Nursing outsourcing protest: नर्सिंग सेवाओं के आउटसोर्सिंग के विरोध में आंदोलन तेज – सरकारी अस्पतालों में बढ़ी चिंता

Nursing outsourcing protest: नर्सिंग सेवाओं के आउटसोर्सिंग के विरोध में आंदोलन तेज – सरकारी अस्पतालों में बढ़ी चिंता

नई दिल्ली, 12 दिसंबर: केंद्र सरकार के अस्पतालों में नर्सिंग सेवाओं को आउटसोर्स करने के प्रस्ताव के खिलाफ नर्स संगठन अब खुलकर आंदोलन की तैयारी में हैं। लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज (एलएचएमसी) सहित सुचेता कृपलानी, कलावती सरन, आरएमएल और सफदरजंग अस्पताल के नर्सिंग स्टाफ ने स्पष्ट कर दिया है कि वे मरीजों की सुरक्षा और नर्सिंग पेशे के सम्मान पर किसी प्रकार का समझौता नहीं करेंगे। इसी क्रम में 1 जनवरी से 6 जनवरी तक नर्स अपनी यूनिफॉर्म पर काला बैज लगाकर विरोध जताएंगी और 6 जनवरी को जंतर-मंतर पर बड़ा धरना आयोजित किया जाएगा।

ऑल इंडिया गवर्नमेंट नर्सेज फेडरेशन (AIGNF) ने स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजे पत्र में मांग की है कि नर्सिंग सेवाओं की आउटसोर्सिंग को तुरंत रोका जाए। फेडरेशन ने चेतावनी दी है कि यदि आदेश वापस नहीं लिया गया, तो देशभर में नर्सें चरणबद्ध आंदोलन करेंगी। संगठन का कहना है कि जिस तरह डॉक्टरों को नियमित पदों पर नियुक्त किया जाता है, उसी तरह नर्सों की नियुक्ति भी स्थायी आधार पर होनी चाहिए, क्योंकि नर्सिंग सबसे संवेदनशील और तकनीकी रूप से महत्वपूर्ण सेवाओं में से एक है।

फेडरेशन की महासचिव अनिता पंवार ने बताया कि एलएचएमसी से जुड़े सुचेता कृपलानी और कलावती सरन बाल अस्पताल के अलावा आरएमएल व सफदरजंग अस्पतालों में नर्सों को आउटसोर्सिंग के जरिए ठेके पर रखने का चलन बढ़ रहा है। यह केवल स्वास्थ्य मंत्रालय के 2016 के आदेश का उल्लंघन नहीं है, बल्कि मरीजों की सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा है। आउटसोर्स नर्सों को नियमित कर्मचारियों की तुलना में कम वेतन मिलता है, जिससे उनके शोषण की आशंका बढ़ जाती है। साथ ही ठेके के आधार पर भर्ती होने से अनुभवहीन या अयोग्य व्यक्तियों को नर्स की भूमिका में नियुक्त किए जाने का खतरा बना रहता है, जिसका सीधा असर मरीजों की देखभाल पर पड़ सकता है।

फेडरेशन का यह भी कहना है कि आउटसोर्सिंग मॉडल बैकडोर भर्ती और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे सकता है। महंगे और अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरणों को संभालने में जोखिम बढ़ जाता है और मेडिको-लीगल मामलों में लापरवाही की संभावना भी अधिक होती है। फेडरेशन ने स्पष्ट किया कि नर्सिंग एक तकनीकी, संवेदनशील और अत्यधिक जिम्मेदार पेशा है, जिसे अस्थायी नियुक्तियों पर छोड़ना मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ करने जैसा होगा।

नर्सों का यह आंदोलन आने वाले समय में स्वास्थ्य सेवाओं पर व्यापक प्रभाव डाल सकता है। यदि मंत्रालय ने समय रहते समाधान नहीं निकाला, तो देशभर के बड़े अस्पतालों में मरीज देखभाल व्यवस्था पर गंभीर असर पड़ने की आशंका है।

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