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Justice Sanjiv Khanna: जस्टिस संजीव खन्ना बने देश के 51वें CJI, आपातकाल में फैसले देकर सुर्खियों में रहे थे उनके चाचा

Justice Sanjiv Khanna: जस्टिस संजीव खन्ना बने भारत के 51वें चीफ जस्टिस, उनके चाचा एच आर खन्ना ने आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी के फैसले का किया था विरोध। जानें उनकी न्यायिक यात्रा और प्रमुख फैसले।

Justice Sanjiv Khanna: 51वें CJI बनने का सफर और ऐतिहासिक पारिवारिक विरासत

Justice Sanjiv Khanna: भारत के न्यायिक क्षेत्र में एक नई शुरुआत हुई है, जब जस्टिस संजीव खन्ना ने देश के 51वें चीफ जस्टिस (CJI) के रूप में शपथ ली। उनकी नियुक्ति न केवल न्यायिक व्यवस्था में बदलाव का प्रतीक है, बल्कि न्यायिक स्वतंत्रता और साहस की एक मजबूत विरासत को भी दर्शाती है। जस्टिस खन्ना का न्यायिक सफर उनके परिवार की एक ऐतिहासिक विरासत से जुड़ा हुआ है, जिसमें उनके चाचा, जस्टिस एच आर खन्ना का महत्वपूर्ण योगदान है। उनके चाचा ने आपातकाल के दौरान उस समय के प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के फैसले के खिलाफ एक ऐतिहासिक असहमति दर्ज की थी, जो आज भी न्यायिक स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।

न्यायमूर्ति एच आर खन्ना का साहसिक निर्णय: एडीएम जबलपुर केस

1976 का एडीएम जबलपुर केस भारतीय न्यायिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। इस मामले में, आपातकाल के दौरान नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर सवाल उठाए गए थे। संविधान पीठ के बहुमत ने नागरिकों के अधिकारों के निलंबन का समर्थन किया, लेकिन जस्टिस एच आर खन्ना ने इसके खिलाफ असहमति दर्ज की। उन्होंने कहा कि संविधान के तहत मौलिक अधिकार किसी भी परिस्थिति में निलंबित नहीं किए जा सकते। यह निर्णय न केवल साहसिक था बल्कि भारत में न्यायपालिका की स्वतंत्रता और उसके महत्व को भी उजागर करता है। हालांकि इस असहमति के कारण उन्हें प्रधान न्यायाधीश बनने का मौका खोना पड़ा, लेकिन उनका यह निर्णय आज भी न्यायिक साहस का प्रतीक माना जाता है।

Justice Sanjiv Khanna
Justice Sanjiv Khanna: जस्टिस संजीव खन्ना बने देश के 51वें CJI, आपातकाल में फैसले देकर सुर्खियों में रहे थे उनके चाचा

 

Justice Sanjiv Khanna का करियर और न्यायिक दृष्टिकोण

Justice Sanjiv Khanna का जन्म 14 मई 1960 को दिल्ली में हुआ था। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर से कानून की पढ़ाई की और 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में वकील के रूप में नामांकन कराया। अपने करियर की शुरुआत में उन्होंने दिल्ली की जिला अदालतों में वकालत की, बाद में दिल्ली हाई कोर्ट में स्थानांतरित हो गए। उनका कार्यकाल आयकर विभाग के वरिष्ठ स्थायी वकील के रूप में रहा और 2004 में उन्हें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए स्थायी वकील (सिविल) नियुक्त किया गया। न्यायमूर्ति खन्ना ने कई आपराधिक मामलों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और न्याय मित्र के रूप में अदालत की सहायता की है।

Justice Sanjiv Khanna को 18 जनवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने लंबित मामलों को कम करने और न्यायिक प्रक्रिया को सरल और सुगम बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए। उनकी सोच हमेशा निष्पक्ष और पारदर्शिता के पक्ष में रही है।

ईवीएम और चुनावी बॉण्ड पर ऐतिहासिक फैसले

सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान, Justice Sanjiv Khanna ने कई महत्वपूर्ण फैसले दिए, जिनमें से कुछ ने भारत की चुनावी प्रक्रिया और राजनीतिक व्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला।

  • ईवीएम का समर्थन: Justice Sanjiv Khanna की अध्यक्षता वाली पीठ ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का समर्थन करते हुए इसे सुरक्षित और विश्वसनीय मानते हुए चुनावों में इसके उपयोग को बरकरार रखा। उन्होंने बूथ कैप्चरिंग और फर्जी मतदान की संभावनाओं को कम करने में इसे एक महत्वपूर्ण कदम माना। इस फैसले में उन्होंने ईवीएम में हेरफेर की आशंका को “निराधार” करार दिया और पुराने मतपत्र प्रणाली पर लौटने की मांग को खारिज किया।
  • चुनावी बॉण्ड योजना: Justice Sanjiv Khanna उस पांच-सदस्यीय पीठ का हिस्सा थे, जिसने चुनावी बॉण्ड योजना को असंवैधानिक करार दिया। यह योजना राजनीतिक दलों के लिए फंडिंग को गोपनीय बनाती थी, लेकिन न्यायमूर्ति खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने इसे पारदर्शिता और निष्पक्षता के खिलाफ मानते हुए अस्वीकार कर दिया।

अनुच्छेद 370 और जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा

जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को निरस्त करने वाले अनुच्छेद 370 को लेकर भी जस्टिस खन्ना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस मामले में वे उस पांच-सदस्यीय पीठ का हिस्सा थे, जिसने जम्मू-कश्मीर राज्य के विशेष दर्जे को निरस्त करने के केंद्र के 2019 के फैसले को वैध ठहराया। इस फैसले को भारत के संघीय ढांचे में एक महत्वपूर्ण बदलाव के रूप में देखा गया और यह फैसला राजनीति और कानून की दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण था।

एक न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति खन्ना का दृष्टिकोण

Justice Sanjiv Khanna ने अपने कार्यकाल में पारदर्शिता, न्याय और निष्पक्षता को प्राथमिकता दी है। उनका मानना है कि न्यायिक प्रक्रिया में आम जनता का विश्वास बना रहे और न्यायिक फैसले सामाजिक कल्याण और सुरक्षा को ध्यान में रखकर लिए जाएं। न्यायमूर्ति खन्ना ने अपने परिवार से सीखी न्यायिक स्वतंत्रता और साहस की परंपरा को बनाए रखा है, जो उन्हें एक मजबूत और निष्पक्ष न्यायाधीश के रूप में स्थापित करती है।

भारत की न्यायपालिका में योगदान

Justice Sanjiv Khanna का कार्यकाल 13 मई 2025 तक रहेगा। उनके न्यायिक सफर में जो सबसे बड़ी बात उभर कर सामने आती है, वह है उनका न्यायिक स्वतंत्रता के प्रति उनका दृढ़ संकल्प। भारत के उच्चतम न्यायालय में उनकी उपस्थिति एक ऐसी दिशा दिखाती है, जो न्यायपालिका को पारदर्शी और भरोसेमंद बनाएगी।

निष्कर्ष

Justice Sanjiv Khanna की नियुक्ति भारतीय न्यायपालिका में एक नई दिशा को दर्शाती है। उनके पूर्वजों की न्यायिक स्वतंत्रता और साहस की विरासत को आगे बढ़ाते हुए, जस्टिस खन्ना ने भारत की न्यायिक व्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनके फैसले भारतीय कानून के प्रति उनके दृढ़ निष्ठा और निष्पक्षता के प्रतीक हैं। उनके कार्यकाल में लिए गए निर्णय न केवल भारतीय न्यायपालिका में सुधार करेंगे, बल्कि आम जनता का न्यायिक प्रणाली में विश्वास भी बढ़ाएंगे।

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