
अमर सैनी
नोएडा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने नोएडा प्राधिकरण के सेवानिवृत्त डीजीएम श्रीपाल भाटी को 17 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान तलब किया है। ट्रिब्यूनल ने शहर में सड़क किनारे हो रहे अवैध टाइल कार्य और 2022 में प्रस्तुत किए गए झूठे हलफनामे पर नाराजगी जताई है। अब उन्हें 8 नवंबर को एनजीटी के समक्ष पेश होना है। इस मामले में सीईओ को भी नोटिस जारी किया गया है। यह मामला सड़क किनारे हरित क्षेत्र में टाइल लगाने से जुड़ा है, जो उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार की फुटपाथ गाइडलाइन का उल्लंघन है।
दरअसल, नोएडा प्राधिकरण के कर्मचारियों ने कुछ स्थानों पर टाइल हटाकर एनजीटी को फोटो सौंपे, जिसमें मात्र 5-10 टाइल ही हटाई गई और काम अधूरा छोड़ दिया गया। उन स्थानों से हजारों टाइल हटाई जानी चाहिए थीं, क्योंकि वे 2018 के नियमों का उल्लंघन करके लगाई गई थीं। हालांकि, नोएडा प्राधिकरण ने अनुपालन का दावा किया। लेकिन याचिकाकर्ता के अधिवक्ता आकाश वशिष्ठ ने नोएडा गोल्फ कोर्स, होजरी कांप्लेक्स और नोएडा के विभिन्न सेक्टरों समेत कई जगहों पर टाइल्स लगाने के फोटोग्राफिक साक्ष्य पेश किए। न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और डॉ. अफरोज अहमद की अगुवाई वाली एनजीटी की पीठ ने इन झूठे बयानों को गंभीर माना और कहा कि नोएडा प्राधिकरण ने धोखाधड़ी कर अपने पक्ष में न्यायिक आदेश हासिल किए हैं। दोनों प्राधिकरणों के सीईओ को निर्देश एनजीटी ने अगस्त 2024 में नोएडा और ग्रेटर नोएडा के सीईओ को भी तलब किया था, जहां एनजीटी के आदेशों का पालन करने के सख्त निर्देश दिए गए थे। इसके बावजूद नोएडा प्राधिकरण 2018 के फुटपाथ दिशा-निर्देशों का उल्लंघन कर रहा है और सड़क के किनारे हरित क्षेत्रों में 5-6 मीटर तक टाइल्स लगा रहा है। जिससे बारिश के पानी का अवशोषण बाधित हो रहा है और जलभराव की समस्या पैदा हो रही है। आवेदक ने लगातार इन उल्लंघनों के फोटोग्राफिक साक्ष्य पेश किए हैं, लेकिन नोएडा प्राधिकरण ने अदालत में गलत जानकारी पेश की है