नई दिल्ली, 13 अगस्त : राजधानी दिल्ली की सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं मंगलवार को भी बुरी तरह प्रभावित रही। इस दौरान तमाम सरकारी अस्पतालों में दिल्ली समेत देश के विभिन्न भागों से मरीजों का आना जाना तो लगा रहा। मगर, उपचार नहीं मिला।
दरअसल, कोलकाता में महिला डॉक्टर से दरिंदगी और हत्या के विरोध में दिल्ली समेत देशभर के डॉक्टर एक दिन की हड़ताल पर थे। मगर, स्वास्थ्य सचिव से लंबी वार्ता के बावजूद सकारात्मक परिणाम सामने न आने के बाद डॉक्टर संगठनों ने हड़ताल को अनिश्चिकालीन हड़ताल में तब्दील कर दिया। मंगलवार को फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन (फोर्डा) और फेडरेशन ऑफ आल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (फाइमा) के आह्वान पर दिल्ली व अन्य राज्यों के अस्पतालों के लगभग तीन लाख डॉक्टर हड़ताल में शामिल रहे।
इस दौरान सभी अस्पतालों की ओपीडी, इलेक्टिव सर्जरी और लैब सेवाएं बाधित रहीं। हालांकि, आपातकालीन सेवाएं जारी रहीं। रेजिडेंट डॉक्टर कार्यस्थल से नदारद रहे जिसके चलते राजधानी दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाएं अस्त- व्यस्त हो गई और मरीजों को इलाज के बगैर वापस लौटना पड़ा। मंगलवार को गुरु तेग बहादुर अस्पताल और आरएमएल अस्पताल के डॉक्टरों ने पैदल मार्च निकाला। वहीं, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज व अस्पताल की महिला डॉक्टरों ने अस्पताल परिसर में मार्च निकाला। उन्होंने लापरवाही नहीं चलेगी, नहीं चलेगी, फूल नहीं चिंगारी है, हम भारत की नारी है, जैसे नारों के साथ मार्च किया।
इसके अलावा एम्स दिल्ली, दिल्ली राज्य कैंसर चिकित्सा संस्थान, सफदरजंग अस्पताल, इंदिरा गांधी अस्पताल के डॉक्टरों ने भी विरोध प्रदर्शन किया और नारेबाजी की। इस बीच अस्पतालों में महिला डॉक्टरों की सुरक्षा के मुद्दे पर एबीवीआईएमएस और आरएमएल के टीचिंग फैकल्टी वेलफेयर एसोसिएशन ने भी डॉक्टरों का समर्थन करने की घोषणा की। सचिव डॉ शैलेश कुमार ने कहा ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर के साथ जघन्य अपराध हमारे राष्ट्रीय चिकित्सा संस्थानों और उनकी सुरक्षा पर सवालिया निशान खड़े करते हैं।
उधर, एम्स दिल्ली और जीटीबी अस्पताल प्रशासन ने अपने सभी जूनियर रेजिडेंट और सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों को मरीजों के हित में ड्यूटी पर लौटने के लिए परिपत्र जारी किया है। साथ ही हड़ताल खत्म न करने पर क़ानूनी कार्रवाई करने की चेतावनी दी है। इस पर फाइमा अध्यक्ष डॉ रोहन कृष्णन ने सभी अस्पतालों के चिकित्सा निदेशक, अधीक्षक, डीन, फैकल्टी से आग्रह किया कि रेजिडेंट डाक्टरों को हड़ताल में भाग लेने से न रोका जाए और ना डराया जाए। उन्होंने कहा कि अगर इस संबंध में रेजिडेंट डॉक्टरों से एक साल बाद भी कोई शिकायत मिलेगी तो हम उसे गंभीरता लेंगे।
दूसरे दिन मरीज अस्पतालों में भटकते रहे
हेडगेवार, लोकनायक, जीबी पंत, गुरु नानक आई सेंटर, जीटीबी समेत तमाम अस्पतालों की ओपीडी में इलाज के लिए पहुंचे मरीजों के पर्चे मंगलवार को नहीं बन पाए। मरीज परेशान होकर वापस घर लौटने को मजबूर हुए। वहीं, आरएमएल अस्पताल में ओपीडी ब्लॉक के बाहर मरीजों की भीड़ रही। बुजुर्ग से लेकर बच्चे परेशान नजर आए। सैंकड़ों की तादाद में मरीज अस्पताल परिसर में डॉक्टर मिलने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन हड़ताल के कारण डॉक्टर नहीं आए। लोकनायक अस्पताल में बेटे के गले में गांठ की समस्या को लेकर आई मरीज ने कहा पर्चा तो बन गया, लेकिन डॉक्टर नहीं थे। ब्लड जांच के लिए आई मेहरूनिसा ने कहा कि जांच करने वाले कर्मचारी नहीं है। कुछ मरीजों के पुराने पर्चों पर मोहर लगा कर उनको अंदर भेज दिया गया लेकिन नए पर्चे नहीं बन रहे हैं और न ही लैब जांच के लिए सैंपल लिए जा रहे हैं।
दिल्ली से बाहर भी डॉक्टरों ने की हड़ताल
डॉक्टरों की हड़ताल के दूसरे दिन एम्स भोपाल, एम्स बठिंडा, एम्स जोधपुर, एम्स पटना, एम्स भुवनेश्वर और एम्स बीबीनगर के आरडीए के सदस्य भी शामिल हुए। उन्होंने अस्पताल परिसर से लेकर सड़क तक प्रदर्शन किया। इस दौरान संयुक्त एम्स यूनियन के अध्यक्ष दिव्य भूषण वार्ष्णेय ने बताया कि बंगाल सरकार और संबंधित अस्पताल प्रशासन ने हमारी कुछ मांगे मान ली हैं लेकिन कुछ मांगे बाकी हैं जिनके पूरा होने तक डॉक्टर हड़ताल जारी रखेंगे। इस दौरान आरजी कर अस्पताल सहित अगरतला मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, रांची मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, पीजीआई चंडीगढ़ और आरएमएल अस्पताल लखनऊ के अलावा सिल्चर (आसाम) मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के डॉक्टर भी हड़ताल पर रहे।