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Tulsi Vivah Muhurat 2024: इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा, भगवान शालिग्राम संग माता तुलसी का विवाह, पूरी होंगी मनोकामनाएं

Tulsi Vivah Muhurat 2024: जानें आज का शुभ मुहूर्त और मंगलाष्टक पाठ

Tulsi Vivah Muhurat 2024: तुलसी विवाह और देवउठनी एकादशी का पवित्र पर्व आज, 12 नवंबर को मनाया जा रहा है। कार्तिक माह की शुक्ल द्वादशी तिथि को माता तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम से किया जाता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस बार Tulsi Vivah का शुभ मुहूर्त आज शाम से लेकर रात तक उपलब्ध है।

Tulsi Vivah का शुभ मुहूर्त

  • तुलसी विवाह का समय: शाम 5:29 बजे से 7:53 बजे तक
  • सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 7:52 बजे से अगले दिन सुबह 5:40 बजे तक
  • रवि योग: सुबह 6:42 बजे से सुबह 7:52 बजे तक
  • अभिजीत मुहूर्त: 11:44 ए एम से 12:27 पी एम तक
Tulsi Vivah
Tulsi Vivah Muhurat 2024: इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा, भगवान शालिग्राम संग माता तुलसी का विवाह, पूरी होंगी मनोकामनाएं

अशुभ समय

  • राहुकाल: दोपहर 2:47 पी एम से शाम 4:08 पी एम तक
  • गुलिक काल: दोपहर 12:05 पी एम से 1:26 पी एम तक
  • भद्रा: सुबह 6:42 बजे से शाम 4:04 बजे तक

तुलसी मंगलाष्टक पाठ

Tulsi Vivah के समय तुलसी मंगलाष्टक का पाठ करने से माता तुलसी प्रसन्न होती हैं। यह पाठ शुद्ध उच्चारण के साथ करना चाहिए। यदि शुद्ध उच्चारण में कठिनाई हो तो ऑडियो के माध्यम से सुन सकते हैं या किसी पंडित से इसका पाठ करवा सकते हैं।

तुलसी मंगलाष्टक का पाठ:

ॐ श्री मत्पंकजविष्टरो हरिहरौ, वायुमर्हेन्द्रोऽनलः।
चन्द्रो भास्कर वित्तपाल वरुण, प्रताधिपादिग्रहाः।
प्रद्यम्नो नलकूबरौ सुरगजः, चिन्तामणिः कौस्तुभः,
स्वामी शक्तिधरश्च लांगलधरः, कुवर्न्तु वो मंगलम्।।

गंगा गोमतिगोपतिगर्णपतिः, गोविन्दगोवधर्नौ,
गीता गोमयगोरजौ गिरिसुता, गंगाधरो गौतमः।
गायत्री गरुडो गदाधरगया, गम्भीरगोदावरी,
गन्धवर्ग्रहगोपगोकुलधराः, कुवर्न्तु वो मंगलम्।।

नेत्राणां त्रितयं महत्पशुपतेः अग्नेस्तु पादत्रयं,
तत्तद्विष्णुपदत्रयं त्रिभुवने, ख्यातं च रामत्रयम्।
गंगावाहपथत्रयं सुविमलं, वेदत्रयं ब्राह्मणम्,
संध्यानां त्रितयं द्विजैरभिमतं, कुवर्न्तु वो मंगलम्।।

बाल्मीकिः सनकः सनन्दनमुनिः, व्यासोवसिष्ठो भृगुः,
जाबालिजर्मदग्निरत्रिजनकौ, गर्गोऽ गिरा गौतमः।
मान्धाता भरतो नृपश्च सगरो, धन्यो दिलीपो नलः,
पुण्यो धमर्सुतो ययातिनहुषौ, कुवर्न्तु वो मंगलम्।।

गौरी श्रीकुलदेवता च सुभगा, कद्रूसुपणार्शिवाः,
सावित्री च सरस्वती च सुरभिः, सत्यव्रतारुन्धती।
स्वाहा जाम्बवती च रुक्मभगिनी, दुःस्वप्नविध्वंसिनी,
वेला चाम्बुनिधेः समीनमकरा, कुवर्न्तु वो मंगलम्।।

गंगा सिन्धु सरस्वती च यमुना, गोदावरी नमर्दा,
कावेरी सरयू महेन्द्रतनया, चमर्ण्वती वेदिका।
शिप्रा वेत्रवती महासुरनदी, ख्याता च या गण्डकी,
पूर्णाः पुण्यजलैः समुद्रसहिताः, कुवर्न्तु वो मंगलम्।।

लक्ष्मीः कौस्तुभपारिजातकसुरा, धन्वन्तरिश्चन्द्रमा,
गावः कामदुघाः सुरेश्वरगजो, रम्भादिदेवांगनाः।
अश्वः सप्तमुखः सुधा हरिधनुः, शंखो विषं चाम्बुधे,
रतनानीति चतुदर्श प्रतिदिनं, कुवर्न्तु वो मंगलम।।

ब्रह्मा वेदपतिः शिवः पशुपतिः, सूयोर् ग्रहाणां पतिः,
शुक्रो देवपतिनर्लो नरपतिः, स्कन्दश्च सेनापतिः।
विष्णुयर्ज्ञपतियर्मः पितृपतिः, तारापतिश्चन्द्रमा,
इत्येते पतयस्सुपणर्सहिताः, कुवर्न्तु वो मंगलम्।।


Tulsi Vivah का महत्व

Tulsi Vivah का आयोजन सर्वार्थ सिद्धि योग में करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन माता तुलसी का आशीर्वाद पाने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, और परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है।

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