भारत

एम्स में डिजिटल सबट्रैक्शन एंजियोग्राफी की शुरुआत

- स्ट्रोक और न्यूरो संबंधी रोगों के निदान में आएगी तेजी

नई दिल्ली, 31 मई : एम्स दिल्ली के न्यूरोसाइंसेस सेंटर में ‘ट्विन स्पिन तकनीक के साथ बाइप्लेन फ्लैट पैनल डिजिटल सबट्रैक्शन एंजियोग्राफी’ सुविधा की शुरुआत हो गई है। इस अत्याधुनिक तकनीक से ना सिर्फ मस्तिष्क से संबंधित रोगों की वैज्ञानिक पहचान की जा सकेगी। बल्कि स्ट्रोक और न्यूरो संबंधी रोगों के निदान में तेजी भी लाई जा सकेगी। यह जानकारी न्यूरोइमेजिंग और इंटरवेंशनल न्यूरो रेडियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ शैलेश बी गायकवाड़ ने शुक्रवार को दी।

उन्होंने बताया कि डिजिटल सबट्रैक्शन एंजियोग्राफी (डीएसए) एक स्वर्ण मानक तकनीक है जिसका उपयोग न्यूरो वैस्कुलर इमेजिंग में किया जाता है। इस प्रक्रिया में पैर की धमनी में एक कैथेटर (एक छोटी, पतली ट्यूब) डाला जाता है और फिर उसे मस्तिष्क में रक्त वाहिकाओं तक पहुंचाया जाता है। कैथेटर के माध्यम से एक कंट्रास्ट डाई इंजेक्ट की जाती है और उन्नत एक्स-रे मशीनों के जरिये रक्त वाहिकाओं की एक्स-रे छवियां ली जाती हैं। डॉ गायकवाड़ ने बताया कि इस सुविधा का उद्घाटन निदेशक डॉ. एम. श्रीनिवास ने वीरवार को किया था।

इन छवियों का उपयोग मस्तिष्क की विभिन्न विकृतियों, धमनियों एवं नसों के बीच असामान्य संबंध और रक्त वाहिका संबंधी रोगों (स्टेनोओक्लूसिव घाव, एन्यूरिज्म, एवीएम और ड्यूरल आर्टिरियोवेनस फिस्टुला) का पता लगाने के लिए किया जा सकता है। इसके बाद, रक्त वाहिकाओं को उजागर करने के लिए पहली छवि को दूसरी छवि से ‘घटाया’ जाता है। इस पूरी प्रक्रिया को डीएसए कहा जाता है।

फ्लैट पैनल आधारित डिजिटल सी-आर्म की एलीट या इनफिनिटी सीरीज एक अभिनव और सहज सर्जिकल तकनीक सी-आर्म सिस्टम है जो उच्च परिशुद्धता, उच्च गुणवत्ता वाली इमेजिंग प्रदान करती है। फ्लैट पैनल डिटेक्टर तकनीक के साथ कम खुराक फ्लोरोस्कोपी संभव है। यह सी-आर्म डिजिटल सबट्रैक्शन एंजियोग्राफी और रोड मैपिंग से सुसज्जित है।

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