नई दिल्ली, 13 अगस्त: सेंट्रल हेल्थ केयर प्रोटेक्शन एक्ट पर केंद्र सरकार से किसी तरह का आश्वासन न मिलने के बाद डॉक्टर संगठनों और स्वास्थ्य मंत्रालय की वार्ता में गतिरोध आ गया है। इस संबंध में देश के प्रमुख मेडिकल संगठनों से चर्चा करने के बाद फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन (फोर्डा) ने मंगलवार शाम 6 बजे से अनिश्चितकालीन हड़ताल करने की घोषणा की है।
इस घोषणा का सर्वाधिक असर गरीब और जरूरतमंद मरीजों पर पड़ेगा जो सरकारी अस्पतालों में निशुल्क उपचार, स्वास्थ्य जांच और सर्जरी की सुविधा प्राप्त करते हैं। हालांकि हड़ताल के मद्देनजर फोर्डा का एक प्रतिनिधिमंडल सोमवार शाम केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव से मिला था। लेकिन कई घंटे की बातचीत के बावजूद डॉक्टरों की हड़ताल समाप्ति को लेकर दोनों पक्षों में कोई सहमति नहीं बन सकी। फोर्डा के अध्यक्ष डॉ अविरल माथुर ने कहा जब तक हमारी सभी मांगे पूरी नहीं होंगी तब तक हड़ताल जारी रहेगी।
उधर, हड़ताल के समाधान के तौर पर मंगलवार दोपहर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) का एक प्रतिनिधिमण्डल केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा से मिला। इस मंडल में डॉ. आर.वी. अशोकन, डॉ. अनिलकुमार जे. नायक, डॉ. विनय अग्रवाल और डॉ. क्षितिज बाली शामिल थे। मंत्री संग बैठक के दौरान, आईएमए ने देशभर के अस्पतालों को सुरक्षित क्षेत्र घोषित करने, हिंसा के खिलाफ एक केंद्रीय कानून बनाने और मेडिकल कॉलेजों की मान्यता के लिए एनएमसी द्वारा सुरक्षा शर्तें लाने की मांग की। आईएमए के मुताबिक हमारी मांगों के जवाब में स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सरकार दो मांगों पर विचार करेगी।
इस दौरान आईएमए ने स्वास्थ्य मंत्री से कहा, देश के 25 राज्यों में डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा को लेकर कानून तो हैं लेकिन वे सभी जमीनी स्तर पर व्यावहारिक नहीं पाए जा रहे क्योंकि इस संबंध में कोई केंद्रीय कानून देश में लागू नहीं है। उन्होंने रेजिडेंट डॉक्टरों के लिए बेहतर कामकाजी परिस्थितियों और आवास उपलब्ध कराने की भी मांग की। बैठक में स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा और डीजीएचएस के डीजी डॉ. अतुल गोयल भी मौजूद रहे।