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दिल्ली में हीट स्ट्रोक के चलते श्रमिक बीमार, आईसीयू में भर्ती 

-राजधानी में तापमान का पारा बढ़ने के साथ गर्मी से पीड़ित मरीजों की संख्या में हुई बढ़ोतरी

नई दिल्ली, 29 मई : आसमान से रोजाना बरसती आग राजधानी दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत को जला रही है जिसके चलते मौसम का पारा सातवें आसमान को छू रहा है। इससे न सिर्फ चिलचिलाती धूप, गर्म हवा और भीषण गर्मी में इजाफा हो रहा है। बल्कि भीषण गर्मी से बचाव के लिए सतर्कता बरतने की चेतावनी भी मिल रही है। भयंकर गर्मी का सितम इस कदर जारी है कि विभिन्न अस्पतालों में हीट स्ट्रोक और भीषण गर्मी से पीड़ित मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। पीड़ितों में बच्चे, युवा, व्यस्क और बुजुर्ग सब शामिल हैं।

राम मनोहर लोहिया अस्पताल के आपातकालीन चिकित्सा विभाग के डॉ अमलेंदु यादव ने बताया कि दिल्ली में हीट स्ट्रोक का पहला मामला सामने आया है। दो दिन पहले हीट स्ट्रोक से पीड़ित एक निर्माण श्रमिक (45 वर्ष) को तेज बुखार की हालत में इमरजेंसी विभाग में लाया गया। मरीज का टेम्प्रेचर 107.7 डिग्री फारेनहाइट था। उसे जरूरी उपचार देने के बाद तुरंत हीट स्ट्रोक यूनिट में ट्रांसफर कर दिया गया। मरीज के शरीर के तापमान में कमी लाने के लिए उसे बर्फ के ठंडे पानी से भरे बाथ टब में लिटाया गया। तापमान में कमी आने के बाद अन्य उपचार दिया गया। डॉ यादव ने बताया, भीषण गर्मी की वजह से उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी, शुगर भी कम थी और मरीज के शरीर के एंजाइम ने काम करना बंद कर दिया था जिसकी वजह से उसके शरीर के अंगों (किडनी,लंग्स, ब्रेन) ने काम करना बंद कर दिया था। मरीज की गंभीर हालत के मद्देनजर आईसीयू में भर्ती करना पड़ा , जहां उसकी हालत स्थिर है। इसके अलावा 4 अन्य मरीजों को भी हीट स्ट्रोक के लिए उपचार दिया गया जिनमें 73 और 78 वर्ष के दो मरीज, 30 से 35 साल आयु के दो वयस्क मरीज शामिल है।

लोकनायक अस्पताल के आपातकालीन विभाग की उप चिकित्सा अधीक्षक डॉ ऋतु सक्सेना ने बताया कि गर्मी के चलते रोजाना 15 से 20 मरीज इमरजेंसी विभाग में आ रहे हैं। इनमें छोटे बच्चों से लेकर युवा और मध्यम आयु वर्ग के मरीज ज्यादा हैं जो चक्कर आने, तेज बुखार, पेट में दर्द और उल्टी की शिकायत के साथ बेहोशी की हालत में होते हैं। इन्हें आइवी फ्लूड देने के साथ अस्पताल के कूलिंग एरिया में रखा जा रहा है। साथ ही माथे पर ठन्डे पानी की पट्टियां रखकर उपचार किया जा रहा है। इसके अलावा शरीर में पानी की कमी दूर करने के लिए ओआरएस के पैकेट दिए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि आमतौर पर लोगों को पता नहीं चलता है कि उन्हें लू लग गई है, लेकिन जब उनको उल्टी और दस्त और तेज बुखार जैसी समस्या होती है और आराम नहीं मिलता है, तब वह अस्पताल आते हैं। लोगों को हीट वेव से बचने का प्रयास करना चाहिए। वहीं, सफदरजंग अस्पताल की प्रवक्ता पूनम ढांडा ने बताया कि पिछले सात में हीट स्ट्रोक का तो एक भी केस सामने नहीं आया है। लेकिन चार पांच दिन से गर्मी के लक्षण वाले 4-5 मरीज रोजाना सामने आ रहे हैं। इनमें बुजुर्ग और बच्चे छोड़कर सभी मरीज वयस्क हैं जिन्हें प्राथमिक उपचार के बाद घर भेज दिया गया। उधर, संजय गांधी स्मारक अस्पताल के इमरजेंसी विभाग में भी रोजाना चार से पांच मरीज गर्मी के सितम से पीड़ित होकर आ रहे हैं। इन्हें प्राथमिक उपचार के साथ ओआरएस के पैकेट देकर डिस्चार्ज किया जा रहा है।

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