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Delhi: 203वें सालाना उर्स मुबारक पर हजरत काले खां रहमतुल्लाह अलैह की दरगाह पर चादरपोशी, हर धर्म के लोगों ने की शिरकत

Delhi: 203वें सालाना उर्स मुबारक पर हजरत काले खां रहमतुल्लाह अलैह की दरगाह पर चादरपोशी, हर धर्म के लोगों ने की शिरकत

रिपोर्ट: रवि डालमिया

पूर्वी दिल्ली के कोटला गांव, मयूर विहार फेस-1 स्थित हजरत काले खां रहमतुल्लाह अलैह की ऐतिहासिक दरगाह पर 203वां सालाना उर्स मुबारक बड़े अदब और अकीदत के साथ मनाया गया। इस मौके पर हर धर्म, जाति और वर्ग के लोगों ने दरगाह पर चादर चढ़ाई और अमन-चैन, भाईचारे व खुशहाली की दुआ मांगी।

भारत हमेशा से सूफी संतों और आध्यात्मिक परंपराओं की भूमि रहा है, जहां विभिन्न धर्मों और समुदायों के लोग आपसी प्रेम और सौहार्द के साथ रहते आए हैं। इन्हीं संतों में हजरत काले खां रह. अलैह का नाम बड़े अदब से लिया जाता है। कोटला गांव में स्थित इनकी दरगाह सैकड़ों साल पुरानी है, जहां वे मानवता, एकता और भाईचारे का संदेश दिया करते थे। आज भी उनकी शिक्षाएं लोगों के दिलों में जिंदा हैं और यही वजह है कि हर साल 4 अप्रैल को उनका उर्स मुबारक श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है।

इस मौके पर दरगाह पर सूफियाना संगीत, नात-ख्वानी और कव्वालियों का आयोजन किया गया। साथ ही सभी जायरीनों के लिए लंगर भी वितरित किया गया। दरगाह के गद्दीनशीन नियाजुद्दीन शाह और खिदमतगारों की देखरेख में यह आयोजन हर साल होता है। प्रबंधक रियाजुद्दीन सैफी ने बताया कि इस दरगाह से लोगों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि यहां मांगी गई मनौतियां पूरी होती हैं। चाहे वह किसी भी धर्म का व्यक्ति हो, हर किसी को यहां से एक गहरी आत्मिक तसल्ली और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। हजरत काले खां की दरगाह आस्था, एकता और इंसानियत का प्रतीक है, और उनका सालाना उर्स उन मूल्यों की याद दिलाता है जो उन्होंने जीवनभर समाज को सिखाए। उर्स की सभी को मुबारकबाद।

ममूटी ने कहा कि उन्हें ‘मेगास्टार’ की उपाधि पसंद नहीं है, उन्हें लगता है कि उनके जाने के बाद लोग उन्हें याद नहीं रखेंगे

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