Bhool Chuk Maaf Review: न काशी दिखी, न कहानी चली… ओटीटी पर ही रिलीज हो जाती तो ‘भूल’ माफ होती!
Bhool Chuk Maaf Review: राजकुमार राव और वामिका गब्बी की फिल्म 'भूल चूक माफ' थिएटर में रिलीज होकर दर्शकों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरती। कमजोर पटकथा, बेदम निर्देशन और अनावश्यक टाइम लूप ने फिल्म को बोरियत में बदल दिया।

Bhool Chuk Maaf Review: राजकुमार राव और वामिका गब्बी की फिल्म ‘भूल चूक माफ’ थिएटर में रिलीज होकर दर्शकों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरती। कमजोर पटकथा, बेदम निर्देशन और अनावश्यक टाइम लूप ने फिल्म को बोरियत में बदल दिया।
Bhool Chuk Maaf Review: – भूल हो गई थिएटर में देखने की
फिल्म का नाम: भूल चूक माफ
रिलीज डेट: 23 मई 2025
रेटिंग: ★☆☆☆☆ (1/5)
कलाकार: राजकुमार राव, वामिका गब्बी, सीमा पाहवा, संजय मिश्रा, जाकिर हुसैन, रघुवीर यादव
निर्देशक: करण शर्मा
निर्माता: दिनेश विजन
Bhool Chuk Maaf Review: बनारस की झलक या सेट की नक़ल?
काशी नगरी में रची बसी इस फिल्म का दावा था कि यह बनारस की गलियों से निकली कहानी है, लेकिन असल में ये सिर्फ एक स्टूडियो की झलक है। महादेव की नगरी की आत्मा कहीं भी महसूस नहीं होती। फिल्म में न बनारसी बोली है, न बनारसी ठाठ।
Bhool Chuk Maaf Review: कहानी में दम नहीं, संवादों में गड़बड़
राजकुमार राव इस फिल्म में एक ऐसे युवक बने हैं जो सरकारी नौकरी पाने के लिए दो महीने का टारगेट सेट करता है। और वामिका गब्बी, जो खुद अपने प्रेमी को नौकरी दिलाने के लिए रिश्वत का इंतजाम करती है। क्या ही कमाल का प्रेम है! और ये सब हो रहा है टाइम लूप में, जहां हीरो हर दिन वही दिन जी रहा है। पर ये टाइम लूप न रोमांच देता है, न विचार।
Bhool Chuk Maaf Review: किरदारों की बर्बादी
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राजकुमार राव को बार-बार कास्ट करने की मजबूरी अब साफ दिखने लगी है। उनकी उम्र और किरदार की वास्तविकता मेल नहीं खाती।
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वामिका गब्बी के अभिनय में कोई आत्मा नहीं, आवाज बनावटी और बॉडी लैंग्वेज बनावटी लगती है।
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सीमा पाहवा और रघुवीर यादव जैसे कलाकार भी इस कमजोर स्क्रिप्ट के कारण बेअसर रहते हैं।
Bhool Chuk Maaf Review: कैमरा, सेट और बनावटी काशी
सुदीप चटर्जी जैसे मशहूर सिनेमैटोग्राफर की प्रतिभा भी यहां सीमित रह गई। बनारस सिर्फ ड्रोन शॉट्स में दिखा है, असली बनारसी गलियों की बात तो दूर, उनकी हूबहू नकल भी नहीं दिखी।
Bhool Chuk Maaf Review: संगीत की स्थिति
इरशाद कामिल और तनिष्क बागची का म्यूजिक भी फीका रहा। गाने सिर्फ इंटरवल के दौरान दर्शकों को मोबाइल देखने का मौका देने के लिए रखे गए हैं। पॉपकॉर्न खाओ और मैसेज चेक करो।
Bhool Chuk Maaf Review: ओटीटी के लिए ही बनी थी ये फिल्म
अगर ये फिल्म सीधे ओटीटी पर रिलीज होती तो दर्शक इसे टुकड़ों में झेल लेते। पर थिएटर में बैठकर दो घंटे बिताना एक सज़ा से कम नहीं है। इसकी जगह ‘नेकेड’ या ‘ग्राउंडहॉग डे’ जैसी फिल्में फिर देखना बेहतर रहेगा।
‘भूल चूक माफ’ एक ऐसी फिल्म है जिसे न कहानी संभाल पाई, न कलाकार। यह फिल्म बनारस के नाम पर बनाई गई एक कमजोर कोशिश है जिसमें न बनारसी रंग है और न ही वह आत्मा जो दर्शकों को बांध सके।