राज्यदिल्ली

अभया को न्याय दिलाने के लिए डॉक्टरों ने बंगाल भवन पर किया प्रदर्शन

- संयुक्त दिल्ली आरडीए एक्शन कमेटी ने आरजी कर मामले में आरसी को सौंपा ज्ञापन

नई दिल्ली, 16 अक्तूबर : दिवंगत डॉ अभया को न्याय दिलाने के लिए कोलकाता के आरजीकार मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में आमरण अनशन कर रहे डॉक्टरों के समर्थन में दिल्ली के डॉक्टरों ने बुधवार को बंगाल भवन पर प्रदर्शन किया और अपनी मांगों का ज्ञापन रेजिडेंट कमिश्नर को सौंपा।

इस अवसर पर राजधानी के बड़े सरकारी अस्पतालों के संगठन ‘संयुक्त दिल्ली आरडीए एक्शन कमेटी’ से जुड़े जूनियर डॉक्टरों ने पश्चिम बंगाल सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करके अपना विरोध दर्ज कराया। इस सांकेतिक विरोध के दौरान एम्स दिल्ली, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज व संबद्ध अस्पताल, गुरुतेग बहादुर अस्पताल, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज से संबद्ध अस्पताल, सफदरजंग अस्पताल, आरएमएल अस्पताल और इंदिरा गांधी अस्पताल के डॉक्टर मौजूद रहे।

संयुक्त एक्शन कमेटी के सदस्य और एम्स आरडीए के अध्यक्ष डॉ इंद्र शेखर प्रसाद ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने फास्ट ट्रैक कोर्ट के जरिये पीड़िता को न्याय दिलाने की बात कही थी जो दो महीने बाद भी पूरी नहीं हो सकी है। वहीं, बीते 20 अगस्त को राष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य कर्मियों, विशेषकर महिला डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स (एनटीएफ) का गठन करके अगले 3 सप्ताह में एक अंतरिम रिपोर्ट व 2 महीने के भीतर एक अंतिम रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था। वह भी 56 दिन बीतने के बावजूद सामने नहीं आ सकी है।

डॉ. सारदा प्रसाद ने कहा, आरजी कर मामले और डॉक्टर सुरक्षा से संबंधित मामले में अधिकारियों के असंवेदनशील रवैये से अगर किसी भी रेजिडेंट डॉक्टर या हेल्थकेयर वर्कर के साथ कोई अनहोनी होती है, तो डॉक्टरों को सभी वैकल्पिक सेवाओं और आपातकालीन सेवाओं को तुरंत बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। इसके लिए विभिन्न स्तरों पर उपयुक्त अधिकारियों की जिम्मेदारी होगी।

ठगा हुआ महसूस कर रहे डॉक्टर
डॉक्टरों ने कहा, हमने जनहित में सर्वोच्च न्यायालय के अनुरोध पर अपनी हड़ताल स्थगित की थी, लेकिन अब हम खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं, क्योंकि आरजी कर मामले में अभी भी व्यवस्थागत विफलता देखी जा रही है।

‘रेजिडेंट के खिलाफ की जा रही कार्रवाई
‘अभया’ के समर्थन में आंदोलन करने वाले रेगुलर और एड-हॉक सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर समेत स्नातक छात्रों और स्नातकोत्तर छात्रों के खिलाफ शैक्षणिक, वित्तीय, मानसिक, शारीरिक दंड जैसी कार्रवाई की जा रही है। साथ ही दैनिक उपस्थिति, वेतन व वजीफे में कटौती की बात कही जा रही है। इस संबंध में विभिन्न मेडिकल कॉलेजों व संस्थानों को स्पष्ट निर्देश दिए जाएं कि वे ‘रेजिडेंट के खिलाफ कोई कार्रवाई न करें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button