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New Delhi : आईएमटी मानेसर में शहरी स्थानीय निकायों के अध्यक्षों के पहले राष्ट्रीय सम्मेलन का लोकसभा अध्यक्ष ने किया उद्घाटन, 18वीं लोकसभा में व्यवधान कम होने से सभा में सार्थक चर्चा हुई और कार्य-उत्पादकता में वृद्धि हुई : ओम बिरला

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि संसद में बार-बार होने वाले व्यवधानों में काफी कमी आई है, जिसके परिणामस्वरूप कार्य उत्पादकता और सार्थक...

New Delhi : लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि संसद में बार-बार होने वाले व्यवधानों में काफी कमी आई है, जिसके परिणामस्वरूप कार्य उत्पादकता और सार्थक चर्चा में वृद्धि हुई है। मानेसर, गुरुग्राम में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के शहरी स्थानीय निकायों के अध्यक्षों के पहले राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए अध्यक्ष ने कहा कि लोकसभा में सत्र देर रात तक चलते हैं और लंबे समय तक वाद-विवाद होता है, जो इस बात को दर्शाता है कि लोकतांत्रिक संस्कृति परिपक्व और जिम्मेदार हो रही है।

उन्होंने शहरी स्थानीय निकायों से जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को और मजबूत करने के लिए नियमित बैठकें करने, सुदृढ़ समिति प्रणालियां विकसित करने और लोगों की भागीदारी बढ़ाने के साथ-साथ सुव्यवस्थित प्रक्रियाओं को अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा 3 और 4 जुलाई, 2025 को गुरुग्राम में इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी (आईसीएटी), आईएमटी मानेसर में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन पूरे भारत के शहरों में भागीदारीपूर्ण शासन संरचनाओं के माध्यम से संवैधानिक लोकतंत्र को मजबूत करने और राष्ट्र निर्माण में शहरी स्थानीय निकायों की भूमिका पर चर्चा करने की ऐतिहासिक पहल है।

अपने संबोधन में ओम बिरला ने शहरी स्थानीय निकायों में प्रश्न काल और शून्य काल जैसी सुस्थापित लोकतांत्रिक प्रथाओं को शामिल करने के महत्व पर जोर देते हुए प्रतिनिधियों को बताया कि संसद में ऐसे प्रावधानों ने कार्यपालिका को जवाबदेह बनाए रखने और जनता के सरोकारों को व्यवस्थित रूप से मुखरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस बात का उल्लेख करते हुए कि नगरपालिका की कम अवधि की, अनियमित या तदर्थ बैठकें स्थानीय शासन को कमजोर करती हैं। उन्होंने नियमित, संरचित सत्रों, स्थायी समितियों के गठन और व्यापक जन परामर्श का समर्थन किया। कहा कि संसद की तरह, शहरी स्थानीय निकायों को भी व्यवधानों से बचना चाहिए तथा रचनात्मक और समावेशी चर्चाएं करणी चाहिए।

उन्होंने लोकसभा का उदाहरण देते हुए कहा कि विरोध प्रदर्शन और सभा में प्लैकार्ड दिखाने में कमी आने से कार्य-उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जनता की धारणा बदली है और बेहतर कानून बनाने में मदद मिली है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि व्यवधान लोकतंत्र की मजबूती को नहीं दर्शाते, बल्कि इसे कमजोर करते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि संवाद, धैर्य और गहन चर्चा के माध्यम से ही लोकतंत्र फलता-फूलता है। ओम बिरला ने नगर निगम के प्रतिनिधियों से अपने-अपने शहरों और कस्बों में अच्छे आचरण का उदाहरण रखते हुए लोगों का नेतृत्व करने का आग्रह किया।

उन्होंने शहरी स्थानीय निकायों को जनता के सबसे नजदीक बताते हुए कहा कि इन निकायों के प्रतिनिधि लोगों को पेश आने वाली चुनौतियों और जरूरतों के बारे में गहराई से जानते हैं। उन्होंने कहा कि गुरुग्राम जैसे शहरों में शहरी परिवर्तन आर्थिक जीवंतता और लोकतांत्रिक भागीदारी दोनों को दर्शाता है। भारत की सभ्यतागत विरासत से जुड़े होने के साथ ही नवाचार और उद्यम का केंद्र बनने की यात्रा से गुरुग्राम यह दर्शाता है कि सरकारों और सशक्त स्थानीय संस्थाओं के समन्वित प्रयासों से क्या हासिल किया जा सकता है।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि 2030 तक 600 मिलियन से अधिक लोगों के शहरी क्षेत्रों में रहने का अनुमान है, इसलिए शहरी शासन का पैमाना और दायरा उसी के अनुसार विकसित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि शहरी स्थानीय निकायों को सेवाएं पहुंचाने की पारंपरिक भूमिकाओं तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि स्व-शासन की सच्ची संस्थाओं के रूप में उभरते हुए राष्ट्र निर्माण में योगदान करना चाहिए। उन्होंने इस बात को दोहराया कि सम्मेलन का विषय-“संवैधानिक लोकतंत्र को सुदृढ़ करने और राष्ट्र निर्माण में शहरी स्थानीय निकायों की भूमिका” समयोचित और दूरदर्शी है। उन्होंने प्रतिनिधियों से सम्मेलन को नीतिगत संवाद से आगे बढ़कर लोकतंत्र को सुदृढ़ करने और संस्थागत विकास के मंच के रूप में देखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा पांच प्रमुख उप-विषयों- नगर परिषदों के पारदर्शी कामकाज, समावेशी शहरी विकास, शासन में नवाचार, महिला नेतृत्व और विकसित भारत @2047 के विजन के साथ यह सम्मेलन अनुभवों को साझा करने, चुनौतियों का आकलन करने और सुधारों पर आम सहमति बनाने के लिए एक मंच प्रदान करता है।

ओम बिरला ने इस बात का उल्लेख किया कि शहरी स्थानीय निकाय के प्रतिनिधि बुनियादी ढांचे के विकास, सीवेज और सफाई व्यवस्था, अपशिष्ट प्रबंधन, सड़क निर्माण और प्रदूषण नियंत्रण जैसे आवश्यक क्षेत्रों में काम करते हुए लोगों के दैनिक जीवन पर कितना महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं। उन्होंने कहा कि ये केवल स्थानीय कार्य नहीं हैं, बल्कि प्रमुख दायित्व हैं जो शहरों में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य, सुरक्षा और जीवन की गुणवत्ता को सीधे प्रभावित करते हैं। इन कार्यों को पूरा करने में शहरी स्थानीय निकायों की प्रभावशीलता से न केवल जनता का विश्वास बढ़ता है बल्कि दीर्घकालिक, सतत शहरी विकास का आधार भी मजबूत होता है। उन्होंने कहा कि लोगों तक सीधे और मूर्त रूप से सेवाएं पहुंचाने के कारण स्थानीय निकायों के कार्य लोगों की स्मृति में अंकित रहते हैं।

शासन में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी के बारे में बात करते हुए ओम बिरला ने इस बात पर गर्व व्यक्त किया कि देश भर के कई स्थाने शहरी निकायों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व लगभग 50% तक पहुँच गया है। उन्होंने इसे एक परिवर्तनकारी बदलाव बताते हुए कहा कि महिला नेता शासन और लोक कल्याण के कार्यों में अद्वितीय संवेदनशीलता लाती हैं। उन्होंने नगरपालिका की महिला नेताओं के लिए प्रशिक्षण, नेतृत्व विकास और उन्हें नीतिगत मामलों में शामिल किए जाने का आह्वान किया ताकि वे प्रशासन और सार्वजनिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें।

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