डॉ.एमपीएस वर्ल्ड स्कूल,आगरा में “मंथन” कार्यक्रम के तहत अमोघ लीला प्रभु ने सिखाए ध्यान, अनुशासन और सफलता के सूत्र

डॉ.एमपीएस वर्ल्ड स्कूल,आगरा में “मंथन” कार्यक्रम के तहत अमोघ लीला प्रभु ने सिखाए ध्यान, अनुशासन और सफलता के सूत्र
राजेश तौमर/आकाश जैन
आगरा। आगरा के सिकंदरा स्थित डॉ. एमपीएस वर्ल्ड स्कूल के अतुल्य भारत कल्चरल सेंटर में मंगलवार को ” मंथन द आर्ट ऑफ कांशंट्रेशन इन द एज ऑफ डिस्ट्रैक्शन” विषय पर एक भव्य और प्रेरणाप्रद सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में आईआईएम अहमदाबाद के शिक्षक, आध्यात्मिक गुरु एवं मोटिवेशनल स्पीकर अमोघ लीला प्रभु ने युवाओं को सफलता के रहस्य और जीवन प्रबंधन के सूत्रों से अवगत कराया।
डॉ एमपीएस ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस,डॉ एमपीएस वर्ल्ड स्कूल व इस्कॉन आगरा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ हरे कृष्ण महामंत्र की गूंज के साथ दीप प्रज्वलित कर डॉ. एमपीएस वर्ल्ड स्कूल के चेयरपर्सन स्क्वाडून लीडर एके सिंह,एफमेक अध्यक्ष पूरन डावर, प्रधानाचार्या राखी जैन एवं इस्कॉन आगरा के अध्यक्ष अरविंद प्रभु द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
इसके पश्चात विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने श्रीकृष्ण नृत्य नाटिका की प्रभावशाली प्रस्तुति देकर सभी को भावविभोर कर दिया। अतिथियों का स्वागत डॉ. एमपीएस ग्रुप के डायरेक्टर एकेडमिक्स डॉ. विक्रांत शास्त्री एवं डायरेक्टर एडमिनिस्ट्रेशन डॉ. ऐके गोयल द्वारा किया गया। अमोघ लीला प्रभु ने सेमिनार में कहा कि आज की युवा पीढ़ी सेल्फ मैनेजमेंट की जगह सेल्फी मैनेजमेंट में व्यस्त है। उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि देश,समाज या दुनिया को बदलने से पहले स्वयं में सकारात्मक परिवर्तन लाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यदि व्यक्ति स्वयं पर नियंत्रण, निरंतर प्रयास, सकारात्मक संगति, रिश्तों का संतुलन, भावनाओं की समझ, और समय के अनुशासन जैसे छह सूत्रों को जीवन में आत्मसात कर ले, तो सफलता निश्चित है, व्यक्ति को अपने स्वभाव के अनुसार पेशा चुनना चाहिए और निर्णय लेते समय भावनाओं में बहने की बजाय विवेक से काम लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि “जैसा भाव होगा, वैसी दृष्टि बनेगी और वही दृष्टिकोण जीवन को दिशा देगा।
अमोघ लीला प्रभु ने युवाओं से आह्वान किया कि वे अपने दिन की शुरुआत जल्दी उठकर आध्यात्मिक चिंतन से करें,जिससे मानसिक स्पष्टता और कार्यक्षमता बढ़ती है। आध्यात्मिकता न केवल अनुशासन लाती है,बल्कि जीवन को रचनात्मक और सार्थक बनाती है। स्वामी अमोघ लीला प्रभु ने अपनी सहज,हँसमुख और युवा संवाद-शैली में विद्याथयों को ध्यान, अनुशासन,डिजिटल संतुलन और आत्मविकास की दिशा में प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि एकाग्रता को जादू नहल। यह अभ्यास से बनने वाली शक्ति है। जो कपेजतंबजपवदे से ऊपर उठ सकता है वही अपने लक्ष्य तक पहुँच सकता है।”
स्वामी जी ने भगवद गीता के वैज्ञानिक दृष्टिकोण और अपने अनुभवों के माध्यम से विद्याथयों को बताया कि मोबाइल से पहले मन को कंट्रोल करना सीखो, नहल तो मोबाइल ही जीवन को कंट्रोल करेगा। सेमिनार के दौरान अमोघ लीला प्रभु ने युवाओं के प्रश्नों के उत्तर भी अत्यंत सहज और प्रेरणादायक शैली में दिए, जिससे युवाओं को जीवन और करियर के प्रति नई दृष्टि प्राप्त हुई। कार्यक्रम में डॉ. एमपीएस ग्रुप के चेयरपर्सन स्क्वाड्रन लीडर एके सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि एकाग्रता, अनुशासन और मन की स्थिरता ही किसी भी मिशन को सफल बनाते हैं। आध्यात्मिक चेतना से जीवन में नैतिक मूल्यों का विकास होता है और यही भावी पीढ़ी के लिए नव जीवन निर्माण की आधारशिला बनता है।
कार्यक्रम का संचालन विद्यालय की छात्राओं द्वारा प्रभावशाली ढंग से किया गया। आयोजन की व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी डीन एकेडमिक्स एच. गुप्ता, डीन एडमिनिस्ट्रेशन चंद्रशेखर, डीन मीडिया रिलेशंस डॉ. प्रवल प्रताप सिंह, समन्वयक योगी चाहर सहित पूरी टीम ने कुशलतापूर्वक निभाई ।
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