
नई दिल्ली, 11 अप्रैल : नौसेना कमांडरों के द्विवार्षिक सम्मेलन का पहला संस्करण शुक्रवार को नई दिल्ली में संपन्न हो गया। इस दौरान समुद्री क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों पर विचार-विमर्श के साथ भारतीय नौसेना की परिचालन तैयारियों की समीक्षा की भी गई जिसमें रसद, मानव संसाधन, प्रशिक्षण और प्रशासनिक पहलुओं का व्यापक मूल्यांकन शामिल था।
इस संस्करण का पहला चरण 5 अप्रैल को कर्नाटक स्थित कारवार में और दूसरा चरण 7 अप्रैल को नई दिल्ली स्थित नौसेना भवन में आयोजित किया गया जिसका उद्घाटन क्रमशः रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी ने किया। करीब एक सप्ताह तक चले शीर्ष स्तरीय सम्मेलन में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ अनिल चौहान, थल सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी, एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह, रक्षा सचिव, विदेश सचिव विक्रम मिस्री, भारत के जी20 शेरपा अमिताभ कांत और रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी एवं नौसेना कमांडर मौजूद रहे।
सम्मेलन में कमांडरों ने समुद्री क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया और भारतीय नौसेना की परिचालन तैयारियों की समीक्षा की। इस दौरान रक्षा मंत्री ने कहा, हिंद महासागर क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के प्रमुख प्रवर्तक के रूप में भारतीय नौसेना की महत्वपूर्ण भूमिका है जिसकी तत्परता से नियम आधारित समुद्री वातावरण बनाने में मदद मिल रही है। विक्रम मिस्री ने बदलती वैश्विक व्यवस्था में नौसेना के प्रभावों को लेकर अपने विचार साझा किए। अमिताभ कांत ने राष्ट्रीय विकास में नौसेना के महत्व और क्षेत्र में भारत के ‘पसंदीदा सुरक्षा भागीदार’ के रूप में उभरने पर जोर दिया।
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