नई दिल्ली, 27 दिसम्बर: आधुनिकता के नाम पर शराब व तंबाकू सेवन करने वाले युवा बड़ी संख्या में अग्नाशयशोथ या पैंक्रियाटाइटिस रोग से पीड़ित हो रहे हैं। नतीजतन, युवावस्था में ही ब्लड में ग्लूकोज का लेवल बढ़ने, शारीरिक वजन व ताकत में कमी आने और पेट में गंभीर दर्द होने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
यह जानकारी एम्स दिल्ली के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के प्रमुख और प्राचार्य डॉ प्रमोद गर्ग ने शुक्रवार को दी। उनके साथ सहायक प्राचार्य डॉ सौम्य जगन्नाथ मौजूद रहे। डॉ गर्ग ने कहा, पैंक्रियाज, पाचन तंत्र का एक अहम अंग जो पेट के पीछे की तरफ एक छोटी सी ग्रंथि है। यह ऐसे एंजाइम और रस का उत्पादन करता है जो भोजन को तोड़ने व पचाने में मदद करते हैं। साथ ही इंसुलिन सहित कई हार्मोन बनाता है। कुल मिलाकर, यह भोजन को ऊर्जा में बदलता है जिससे हमारे शरीर को ताकत मिलती है। वहीं, ऐसा न होने पर पीड़ित की खाना पचाने की शक्ति कम हो जाती है और इंसुलिन के उत्पादन पर असर पड़ता है जिसके चलते मरीज के ब्लड में ग्लूकोज की मात्रा में इजाफा हो जाता है। इससे डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है।
डॉ गर्ग ने कहा, पैंक्रियाटाइटिस रोग दो तरह का होता है। एक्यूट और क्रॉनिक। एक्यूट अचानक होता है और इलाज के जरिए 4 से 5 दिन में ठीक किया जा सकता है। क्रॉनिक लंबे समय तक अत्यधिक शराब पीने या गॉल ब्लैडर स्टोन (पित्त पथरी) और मोटापे की वजह से होता है। इसके लक्षण कई सालों तक दिखाई नहीं देते, लेकिन फिर अचानक गंभीर हो जाते हैं। यह डायबिटीज और कुपोषण के शिकार कुछ मरीजों में पैंक्रियाज का कैंसर भी पैदा कर सकता है। इसके अलावा मरीज के जींस में जेनेटिक म्यूटेशन भी पैंक्रियाटाइटिस के लिए जिम्मेदार होता है। इस रोग से उबरने के बाद मरीजों को नियमित अंतराल पर चिकित्सकीय परामर्श लेने के साथ शराब और तंबाकू के सेवन से बचना चाहिए। अन्यथा रिकरेंट एक्यूट पैन्क्रियाटाइटिस हो सकता है।
क्या है पैंक्रियाटाइटिस का इलाज?
पैंक्रियाटाइटिस में अग्न्याशय की गंभीर सूजन से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में बाहर से एंजाइम दिए जाते हैं। इसके अलावा दवाओं, संतुलित आहार और एंडोस्कोपी सर्जरी का सहारा लिया जाता है। कुछ मामलों में पारंपरिक सर्जरी भी करनी पड़ती है। डॉ गर्ग ने कहा, 100 में से 80 क्रॉनिक मामलों में 3 से 4 साल आराम आ जाता है और 7 से 8 साल में यह समस्या खत्म हो जाती है।
कैसे रोकें पैंक्रियाटाइटिस?
पैंक्रियाटाइटिस की रोकथाम में डाइट भी अहम भूमिका निभाती है। इससे बचाव के लिए एक साथ ज्यादा मात्रा में भोजन न करें। दिन में तीन बार की जगह चार से पांच बार भोजन करें। मगर थोड़ी -थोड़ी मात्रा में करें, हाइड्रेट रहें। साथ ही जीवनशैली में बदलाव लाएं। इससे पैंक्रियाज के काम करने की क्षमता पर बुरा असर नहीं पड़ेगा और वह निरंतर कार्य करने में सक्षम बना रहेगा।
बच्चों में पैंक्रियाटाइटिस की वजह बनता है साइकिल का हैंडल
डॉ गर्ग ने कहा, यह रोग बच्चों में भी पाया जा रहा है जिसके पीछे पेट की चोट प्रमुख कारण है। अधिकांश बच्चों के मामलों में यह चोट साइकिल का हैंडल पेट में लगने से लगती हैं जिससे उन्हें पैंक्रियाटाइटिस हो जाता है और नियमित दवाओं के साथ परहेज करना पड़ता है। बच्चों की खेल -कूद गतिविधियों पर भी असर पड़ता है।