नई दिल्ली, 5 सितम्बर : अचानक झटका लगने या कट जाने की वजह से रीढ़ की हड्डी या मेरुदंड या स्पाइनल कॉर्ड में दर्दनाक चोट लग सकती है।जो अक्सर चोट वाली जगह की ताकत और काम करने के तरीके को हमेशा के लिए नुकसान पहुंचा सकती है। लेकिन समय पर उपचार एवं पुनर्वास से स्पाइनल कॉर्ड इंजरी (एससीआई) से प्रभावित व्यक्तियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सकता है।
यह बातें राम मनोहर लोहिया अस्पताल के फिजिकल मेडिसिन और रिहैबिलिटेशन (पीएमआर) विभाग की प्रमुख डॉ. शिप्रा चौधरी ने वीरवार को कही। इस अवसर पर उन्होंने ‘सीएसआई डे’ की थीम ‘हिंसा समाप्त करें-रीढ़ की हड्डी की सुरक्षा करें’ के तहत लोगों से अपील की, कि वे हिंसक गतिविधियों से दूर रहें और गंभीर चोटों से बचें। ताकि रीढ़ की हड्डी की चोटों से बचाव हो सके।
इस अवसर पर पीएमआर विभाग ने प्रेशर इंजरी प्रिवेंशन पर एक शिक्षाप्रद वीडियो का प्रदर्शन किया। साथ ही रोगी सूचना पुस्तिका का विमोचन किया, जो रीढ़ की हड्डी की चोट से प्रभावित व्यक्तियों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इसके अलावा मरीजों के मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए खेलकूद और मनोरंजन की गतिविधियां भी आयोजित की गईं। इस अवसर पर अतिरिक्त चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनोज कुमार झा, डीन डॉ. आरती मारिया और डॉ नवीन सागर मौजूद रहे।
उधर, सफदरजंग अस्पताल ने भी सूचनात्मक व्याख्यानों और एक आकर्षक नुक्कड़ नाटक के साथ विश्व स्पाइनल कॉर्ड इंजरी दिवस मनाया। अस्पताल परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्पाइनल कॉर्ड इंजरी के बारे में जागरूकता बढ़ाना और अस्पताल में विकलांग व्यक्तियों (पीडब्ल्यूडी) के लिए उपलब्ध सहायता सेवाओं पर प्रकाश डालना था। इस दौरान चिकित्सा अधीक्षक डॉ. वंदना तलवार, एडिशनल एमएस डॉ. जयंती मणि, डॉ सुमन बधाल और आम नागरिक मौजूद रहे।