एयरपोर्ट का एमआरओ हब विकसित करने की तैयारी शुरू
एयरपोर्ट का एमआरओ हब विकसित करने की तैयारी शुरू
![नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट परिसर में एमआरओ (मेंटेनेंस, रिपेयर एंड ओवरहाल) हब विकसित करने की तैयारी शुरू हो गई है।](https://topstory.online/wp-content/uploads/2024/08/whatsapp-image-2023-10-07-at-21158-pm-17694_4-780x470.jpeg)
अमर सैनी
नोएडा। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट परिसर में एमआरओ (मेंटेनेंस, रिपेयर एंड ओवरहाल) हब विकसित करने की तैयारी शुरू हो गई है। एयरपोर्ट का निर्माण कर रही ज्यूरिख कंपनी ने एमआरओ हब के लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) जारी कर दिया है। एमआरओ निर्माण करने वाली कंपनियों से आवेदन मांगे गए हैं। प्रक्रिया पूरी होने के बाद नियम व शर्तों के आधार पर विकासकर्ता कंपनी का चयन किया जाएगा, जिसे एमआरओ विकसित करने की जिम्मेदारी दी जाएगी।
अथॉरिटी के एक अधिकारी ने बताया कि एयरपोर्ट के आसपास दो एमआरओ हब बनाए जाएंगे। पहला 40 एकड़ में बनेगा, जिसे ज्यूरिख (एयरपोर्ट निर्माण करने वाली कंपनी) बनाएगी। दूसरा एमआरओ एयरपोर्ट के पास 1365 हेक्टेयर में विकसित किया जाएगा। इसके निर्माण की जिम्मेदारी एनआईएएल की होगी, जिसके लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू करने पर जोर दिया जा रहा है। फिलहाल 40 एकड़ में बनने वाले एमआरओ के लिए एफआरपी जारी कर दी गई है, ताकि एयरपोर्ट से उड़ान शुरू होने के बाद विमानों की मरम्मत व मरम्मत का काम पूरा किया जा सके। अभी एमआरओ के लिए भारत दूसरे देशों पर निर्भर है। देश में 713 विमान हैं। 2031 तक इनकी संख्या बढ़कर 1522 हो जाएगी। इनके रखरखाव का खर्च 1200 से 1500 फीसदी बढ़ जाएगा। कंपोनेंट का रखरखाव 1500-6000 घंटे में होता है। बड़े विमानों का रखरखाव 12 से 18 महीने या 12000 से 18000 घंटे संचालन के बाद होता है। ऐसे में एयरपोर्ट परिसर व उसके आसपास एमआरओ हब बनाने की योजना तैयार की गई है। इसके निर्माण के बाद एमआरओ के लिए भारत की अमेरिका, चीन व सिंगापुर समेत दूसरे देशों पर निर्भरता खत्म हो जाएगी। साथ ही विमानों की मरम्मत व रखरखाव आदि का काम एयरपोर्ट परिसर में ही पूरा किया जा सकेगा।
कोट
40 एकड़ में बनने वाले एमआरओ के लिए आरएफपी निकाली गई हैं। 31 दिसंबर तक कंपनियों को आवेदन करने होंगेहों गे। चयनित कंपनी को ही एमआरओ विकसित करने की जिम्मेदारी मिलेगी।
– डॉ. अरुणवीर सिंह, सीईओ नायल