Noida Authority: नोएडा प्राधिकरण ने गेल की साधारण ब्याज मांग ठुकराई, 88 लाख लीज पर चक्रवृद्धि ब्याज 6.5 करोड़ तक बढ़ा

Noida Authority: नोएडा प्राधिकरण ने गेल की साधारण ब्याज मांग ठुकराई, 88 लाख लीज पर चक्रवृद्धि ब्याज 6.5 करोड़ तक बढ़ा
नोएडा। नोएडा प्राधिकरण बोर्ड ने गेल (इंडिया) लिमिटेड की उस मांग को खारिज कर दिया है, जिसमें कंपनी ने सेक्टर 16ए स्थित अपने संस्थागत भूखंड पर बकाया लीज रेंट के ब्याज की गणना साधारण ब्याज के आधार पर करने का अनुरोध किया था। प्राधिकरण ने स्पष्ट किया कि मौजूदा ब्याज की गणना पूरी तरह से लीज़ डीड की शर्तों के अनुसार है और इसे पूर्व प्रभाव से बदला नहीं जा सकता।
यह मामला सेक्टर 16ए के 17,466 वर्गमीटर के संस्थागत भूखंड से जुड़ा है, जिसे तीन जुलाई 1986 को गेल को आवंटित किया गया था। लीज़ डीड एक जनवरी 1992 को निष्पादित हुई और दो अप्रैल 1992 को भूखंड का कब्जा गेल को सौंपा गया। यह भूखंड मैनेजमेंट डेवलपमेंट इंस्टिट्यूट स्थापित करने के उद्देश्य से आवंटित किया गया था। इसके लिए कंपनी ने सभी किस्तों का भुगतान पहले ही कर दिया था, लेकिन प्राधिकरण की नीति के अनुसार हर 10 साल में 50 प्रतिशत बढ़ाए जाने वाले ‘एन्हांस्ड लीज रेंट’ का भुगतान नहीं करने से विवाद उत्पन्न हुआ।
1992-93 से 2025-26 तक लीज रेंट का बकाया लगभग 88 लाख रुपये हो गया है। प्राधिकरण की वित्तीय नीति के अनुसार चक्रवृद्धि ब्याज जोड़ने पर कुल ब्याज 6.5 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। गेल ने 9 जून 2025 को प्राधिकरण को पत्र लिखकर अनुरोध किया कि ब्याज की गणना चक्रवृद्धि के बजाय साधारण ब्याज पर की जाए। कंपनी का तर्क था कि 2015 में नोएडा प्राधिकरण बोर्ड की 187वीं बैठक में सेक्टर एक के अन्य भूखंडों पर साधारण ब्याज लागू किया गया था, इसलिए सेक्टर 16ए के भूखंड पर भी समान राहत दी जानी चाहिए।
प्राधिकरण ने 3 अक्टूबर 2025 को हुई बोर्ड बैठक में लीज डीड की उस धारा की ओर ध्यान दिलाया जिसमें वार्षिक लीज रेंट मूल प्रीमियम के 2.5 प्रतिशत के आधार पर तय किया गया है। चूंकि सेक्टर 16ए के भूखंड के लिए कभी भी सप्लीमेंट्री डीड निष्पादित नहीं हुई, इसलिए लीज रेंट पुराने आधार पर ही चलता रहा। प्राधिकरण ने कहा कि आवंटियों के साथ समानता और कानूनी शर्तों के अनुसार वित्तीय निर्णय होना चाहिए।
बोर्ड ने प्रस्ताव को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि ब्याज मांग पूरी तरह वैध है। इसलिए गेल को 6.5 करोड़ रुपये से अधिक का चक्रवृद्धि ब्याज ही चुकाना होगा। इस निर्णय से नोएडा प्राधिकरण की नीति और कानूनी प्रावधानों की अहमियत स्पष्ट हुई है।




