Balaji Ramleela: बालाजी रामलीला कमेटी के सातवें दिवस का भव्य मंचन, ओम बिरला ने की आरती

Balaji Ramleela: बालाजी रामलीला कमेटी के सातवें दिवस का भव्य मंचन, ओम बिरला ने की आरती
रिपोर्ट: रवि डालमिया
पूर्वी दिल्ली के सीबीडी ग्राउंड में श्री बालाजी रामलीला कमेटी द्वारा आयोजित रामलीला महोत्सव के सातवें दिवस का मंचन आज अत्यंत भव्य और भावपूर्ण रहा। परंपरा के अनुसार भगवान श्री गणेश जी की वंदना और आरती से लीला मंचन का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर विशेष रूप से देश की राजनीति और संस्कृति जगत की गरिमा और भव्यता को और ऊँचा करने के लिए लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला मंच पर पहुंचे। उन्होंने भगवान श्री गणेश जी की आरती कर मंचन का उद्घाटन किया, जिससे पूरे पंडाल में भक्तिमय वातावरण गूंज उठा।
आज की रामलीला में दर्शकों को अनेक महत्वपूर्ण प्रसंगों का दर्शन कराया गया। सर्वप्रथम रावण दरबार का दृश्य प्रस्तुत किया गया। इसमें सूर्पनखा अपने अपमान का वर्णन करती है और बताती है कि किस प्रकार अयोध्या के राजकुमार श्रीराम और लक्ष्मण वनवास के दौरान पंचवटी में रहते हुए उसकी नाक और कान काट देते हैं। यह सुनकर रावण क्रोधित हो उठता है और अपनी बहन का बदला लेने का संकल्प करता है। वह अपने मामा मारीच को बुलाता है, जो मायावी रूप धारण करने में निपुण थे। मारीच स्वर्ण मृग का रूप लेकर राम और सीता के सामने प्रकट होते हैं। सीता जी उस मायावी मृग को देखकर मोहित हो जाती हैं और श्रीराम से उसे लाने का आग्रह करती हैं।
भगवान राम स्वर्ण मृग के पीछे वन में चले जाते हैं और अंततः मारीच की मायावी आवाज़ “लक्ष्मण-लक्ष्मण” पूरे जंगल में गूंजने लगती है। सीता जी व्याकुल होकर लक्ष्मण को भाई राम की सहायता के लिए भेजने पर अड़ जाती हैं। लक्ष्मण अपनी विवशता में सीता जी के चारों ओर रक्षा रेखा खींचकर वन की ओर निकल जाते हैं। तभी रावण साधु के वेश में सीता जी के द्वार पर आता है और भिक्षा मांगते हुए उन्हें छलपूर्वक उस रेखा से बाहर ले जाता है। इसके बाद रावण माता सीता का हरण कर पुष्पक विमान से आकाश मार्ग की ओर बढ़ता है। मार्ग में जटायु से उसका युद्ध होता है, जिसमें जटायु पराक्रम दिखाते हुए घायल हो जाते हैं।
इसके पश्चात राम और लक्ष्मण जब लौटते हैं तो जटायु से मिलते हैं और सीता हरण की जानकारी प्राप्त करते हैं। फिर मार्ग में दोनों शबरी जी की कुटिया पहुंचते हैं, जहां शबरी माता प्रेमपूर्वक उनका स्वागत करती हैं। आगे बढ़ते हुए किष्किंधा में श्रीराम और लक्ष्मण का हनुमान जी से मिलन कराया गया। हनुमान जी उन्हें वनराज सुग्रीव और जामवंत से मिलवाते हैं। इसी क्रम में बाली दरबार का प्रसंग और बाली वध की लीला का मंचन किया गया, जिसे देखकर दर्शक भाव-विभोर हो उठे।
सातवें दिवस की रामलीला का मंचन जहां भक्तिभाव से ओत-प्रोत रहा, वहीं दर्शकों को अध्यात्म, धर्म और संस्कृति की अनूठी झलक भी देखने को मिली। पूरी रामलीला के दौरान भक्तगण जयकारों से पंडाल गूंजाते रहे और मंचन का आनंद उठाते रहे