
नई दिल्ली, 20 सितम्बर : सर्दियों की दस्तक के साथ ही दिल्ली समेत उत्तर भारत में सांस की बीमारियों और मौसमी बुखार का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन इस वर्ष सर्दी के आगमन से पहले ही शहर के अस्पतालों में एच3एन2 के मामले तेजी से बढ़े हैं। करीब 70% मरीजों में एच3एन2 वायरस के लक्षण पाए जा रहे हैं जो इन्फ्लुएंजा ए का एक उपप्रकार है और साधारण सर्दी-जुकाम से कहीं अधिक खतरनाक साबित हो रहा है।
एम्स दिल्ली के मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ डॉक्टर पीयूष रंजन ने बताया कि इस वर्ष फ्लू सीजन में बुखार के पीछे एच3एन2 वायरस और इन्फ्लूएंजा बी स्ट्रेन प्रमुख कारण रहे हैं, जो विशेष रूप से बुजुर्गों और युवा बच्चों में गंभीर लक्षण पैदा कर रहे हैं। यह वायरस नाक, गला और फेफड़ों को संक्रमित करता है, और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। उन्होंने कहा, एच3एन2 वायरस के संक्रमण के कारण मौसमी इन्फ्लूएंजा हर साल लाखों लोगों को प्रभावित करता है।
कैसे फैलता है संक्रमण ?
डॉ. पीयूष रंजन ने कहा, एच3एन2 ड्रॉपलेट्स से फैलता है, खांसने-छींकने से हवा में वायरस के कण फैल जाते हैं जो व्यक्ति के आस-पास की सतहों (कुर्सी, मेज, बिस्तर, सीढ़ियों की रेलिंग आदि) पर 24 घंटे तक जीवित रहते हैं। एच3एन2 एक चुनौती है, लेकिन बचाव और समय पर इलाज से हम इसे हरा सकते हैं। इसमें बुखार, खांसी व गले में खराश, नाक बहना, छींक आना, बदन दर्द व थकान, सिरदर्द व ठंड लगना और पेट संबंधी समस्याएं हों सकती हैं। अगर बुखार 101 डिग्री से ऊपर 3 दिनों से अधिक रहे, या सांस लेने में कठिनाई हो, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लें। लक्षणों को नजरअंदाज न करें, वैक्सीन लें, और स्वच्छता अपनाएं। अगर लक्षण 7 दिनों से अधिक रहें, तो डॉक्टर से संपर्क करें।
शुरुआती संकेतों को पहचानें
एच3एन2 संक्रमण के लक्षण आमतौर पर संक्रमण के 1-4 दिनों बाद प्रकट होते हैं। ये लक्षण साधारण फ्लू जैसे लगते हैं, लेकिन उनकी तीव्रता अधिक होती है। ये लक्षण 5-7 दिनों तक रहते हैं, लेकिन कमजोर स्वास्थ्य वाले लोगों में निमोनिया या ब्रोंकाइटिस जैसी जटिलताएं हो सकती हैं। इसमें अचानक तेज बुखार (102-104 डिग्री फारेनहाइट) होता है, जो शरीर को थका देता है। एच3एन2 की रोकथाम ही सबसे बड़ा हथियार है। इससे बचाव के उपाय अपनाकर 70-80% संक्रमण रोके जा सकते हैं।
इम्यून सिस्टम पर वायरस के हमले से बुखार !
एच3एन2 संक्रमण में बुखार सबसे प्रमुख लक्षण है, और इसका मुख्य कारण वायरस का शरीर पर हमला है। जब एच3एन2 वायरस श्वसन तंत्र में प्रवेश करता है, तो यह कोशिकाओं को संक्रमित करता है। शरीर का इम्यून सिस्टम तुरंत सक्रिय हो जाता है। साइटोकाइन्स नामक रसायन निकलते हैं, जो सूजन पैदा करते हैं। यह सूजन ही बुखार का कारण बनती है -ये रसायन शरीर का तापमान बढ़ाकर वायरस के प्रसार को रोकने का प्रयास करते हैं। बुखार न केवल वायरस से लड़ने का संकेत है, बल्कि डिहाइड्रेशन और थकान का कारण भी बनता है। फ्लू में बुखार इम्यून रिस्पॉन्स का हिस्सा है, जो वायरस को मारने में मदद करता है।
20% मामलों में बुखार की अवधि औसत से अधिक
एच3एन2 में बुखार की अवधि आमतौर पर 3-5 दिनों तक होती है। शुरुआती 24-48 घंटों में यह चरम पर पहुंचता है, फिर धीरे-धीरे कम होता है। हालांकि, कुछ मामलों में यह 7 दिनों तक रह सकता है, विशेष रूप से अगर एंटीबायोटिक्स या एंटीवायरल न लिए जाएं। अधिकांश लोग एक सप्ताह में ठीक हो जाते हैं, लेकिन खांसी और थकान 2 सप्ताह तक बनी रह सकती है। बच्चों और बुजुर्गों में ये अवधि लंबी हो सकती है, कभी-कभी 10 दिनों तक। इस वर्ष एच3एन2 के 20% मामलों में बुखार की अवधि औसत से अधिक देखी जा रही है।
एच3एन2 का इतिहास
इस बीमारी का इतिहास 1968 में हांगकांग फ्लू महामारी से जुड़ा है, जब एच3एन2 ने दुनिया भर में लाखों मौतें कराईं। 2025 में जलवायु परिवर्तन के कारण वायरस के पैटर्न बदल रहे हैं, जिससे बुखार अधिक और लगातार हो रहा है। यह म्यूटेशन के कारण हर साल नई चुनौतियां पेश करता है। भारत में, दिल्ली और अन्य उत्तरी राज्यों में हाल के दिनों में एच3एन2 के मामले बढ़े हैं, जिससे अस्पतालों में मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। सरकार, डॉक्टर और जनता मिलकर इस महामारी को रोक सकते हैं।
एच3एन2 से बचाव के लिए क्या करें ?
1.टीकाकरण : वार्षिक फ्लू वैक्सीन सबसे प्रभावी है। 2025-2026 सीजन के लिए ट्राइवेलेंट वैक्सीन ए (एच3एन2) के खिलाफ तैयार की गई है।
2.हाथ की स्वच्छता: साबुन से 20 सेकंड तक हाथ धोएं, विशेष रूप से बाहर से आने पर। अल्कोहल-बेस्ड सैनिटाइजर भी उपयोगी।
3.मास्क और दूरी: भीड़-भाड़ वाली जगहों पर एन95 मास्क पहनें। संक्रमित व्यक्ति से 2 मीटर दूरी रखें।
4.घरेलू सावधानियां: बीमार होने पर घर पर रहें। छींकते-खांसते समय मुंह-नाक ढकें। सतहों को नियमित साफ करें।
5.स्वस्थ जीवनशैली: विटामिन सी और डी से भरपूर आहार लें -संतरा, आंवला, दूध। व्यायाम और नींद से इम्यूनिटी मजबूत करें।
एच3एन2 निवारण के घरेलू उपचार क्या ?
1.आराम और हाइड्रेशन: पर्याप्त नींद लें, 8-10 गिलास पानी पिएं। हर्बल चाय (अदरक-तुलसी) फायदेमंद।
2.दर्द निवारक: पैरासिटामोल या इबुप्रोफेन बुखार और दर्द के लिए। एस्पिरिन बच्चों को न दें।
3.भाप और गरारे: गर्म पानी से गरारे के जरिये गले की खराश कम करें। भाप से नाक साफ करें।