उत्तर प्रदेश : गुरु पूर्णिमा पर हापुड़ के ब्रजघाट में उमड़ा आस्था का सैलाब, श्रद्धालुओं ने लगाई गंगा में डुबकी
गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर हापुड़ जनपद के गढ़मुक्तेश्वर तीर्थनगरी के ब्रजघाट...

Hapur News : गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर हापुड़ जनपद के गढ़मुक्तेश्वर तीर्थनगरी के ब्रजघाट में श्रद्धा और भक्ति का महासंगम देखने को मिला। राज्यों सहित विभिन्न जनपदों से लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचे और पवित्र गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य लाभ अर्जित किया। गंगा तट पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी, जो दिन चढ़ते-चढ़ते जनसैलाब में बदल गई।
व्यास पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है पर्व
गुरु पूर्णिमा का पर्व महर्षि वेदव्यास के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है, जिन्होंने वेदों की रचना की थी। इस दिन को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। मान्यता है कि गुरु की कृपा से ही व्यक्ति अपने जीवन में अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ सकता है। पंडित विवेक त्रिपाठी ने बताया कि गुरु जीवन में मार्गदर्शन करने वाले ईश्वर समान होते हैं।
विभिन्न जनपदों से पहुंचे श्रद्धालु और कांवड़िए
ब्रजघाट पर उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के अलावा दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान से भी श्रद्धालु पहुंचे। खास बात यह रही कि इस बार बड़ी संख्या में कांवड़िए भी गुरु पूर्णिमा पर ब्रजघाट पहुंचे और वहां गंगा जल भरते नजर आए। इन कांवड़ियों ने घाटों पर गंगा स्नान कर शिव भक्तिपूर्वक जल भराई की परंपरा निभाई।
प्रशासन की चाक-चौबंद व्यवस्था
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन पूरी तरह सतर्क नजर आया। प्रशासन की ओर से ब्रजघाट पर व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। गंगा का जलस्तर बढ़ने के कारण घाटों पर बैरिकेडिंग की गई, जिससे कोई भी श्रद्धालु गहरे पानी में न जाए। साथ ही घाटों पर गोताखोरों और नाविकों को तैनात किया गया।
धार्मिक और भंडारों का आयोजन
ब्रजघाट पर कई सामाजिक और धार्मिक संगठनों ने भंडारों का आयोजन किया, जहां श्रद्धालुओं को प्रसाद और भोजन वितरित किया गया। घाटों पर विशेष रूप से शाम के समय गंगा आरती का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। गंगा आरती के दौरान दीपों की रोशनी और भजनों की गूंज से पूरा क्षेत्र आध्यात्मिक ऊर्जा से भर उठा।
श्रद्धालुओं ने की सराहना
ब्रजघाट पहुंचे श्रद्धालुओं ने प्रशासन की व्यवस्थाओं की सराहना की और गुरु पूर्णिमा जैसे महत्वपूर्ण पर्व को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने के लिए धन्यवाद दिया। श्रद्धालुओं का कहना था कि यहां न सिर्फ उन्हें अध्यात्मिक शांति मिली बल्कि गुरुजनों के दर्शन और गंगा स्नान से आत्मिक आनंद की भी अनुभूति हुई।