उत्तर प्रदेश, नोएडा: नोएडा की पुनर्विकास नीति, 10 लाख लोगों को फायदा
उत्तर प्रदेश, नोएडा: -30 साल पुरानी हाई-लो राइज इमारतों को तोड़कर दोबारा बनाएंगे, समझे क्या है पॉलिसी

अमर सैनी
उत्तर प्रदेश, नोएडा। शहर में जर्जर हो चुकी हाइराइज और लो राइज इमारतों को दोबारा से भव्य रूप दिया जाएगा। नोएडा में 30 साल पुरानी इमारतों में रहने वाले करीब 10 लाख से ज्यादा लोगों को फायदा होगा। इसके लिए नोएडा प्राधिकरण ने पुनर्विकास नीति लागू की है। इस नीति को प्राधिकरण ने 218वीं बोर्ड में सहमति बनी। जिसमें आंशिक संशोधन के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा। इसके प्रारूप को समझना आवश्यक है।
प्राधिकरण ने बताया कि नोएडा की स्थापना उप्र औद्योगिक क्षेत्र विकास अधिनियम 1976 की धारा-3 के तहत किया गया। यहां बहुमंजिला इमारतों का निर्माण साल 1981 से शुरू हुआ। यहां लीज पर बिल्डरों को जमीन आवंटित की गई। यहां अपार्टमेंट बने जिसे सबलीज के जरिए बायर्स को दिया गया। इसके अलावा प्राधिकरण ने भी कम आय वर्ग के लिए लो राइज ग्रुप हाउसिंग बनाए। जिसे भी लीज पर पात्र लोगों को बेचा गया। ऐसे जर्जर हो रहे भवन अत्यधिक बारिश और लो इंटेंसिटी के भूकंप से प्रभावित हो सकते है। इन्ही इमारतों को गिराकर लिविंग स्टैंडर्ड में सुधार कर दोबारा से भव्य रूप में बनाया जाएगा। इसके लिए प्राधिकरण रि डेवलपमेंट पॉलिसी लेकर आया है। बता दे इससे नोएडा में 100 ग्रुप हाउसिंग और 500 लो राइज सोसायटियों का उद्धार होगा। इनमें रहने वाले लोगों को काफी लाभ हो सकता है। इमारतों को भव्य रूप देते समय भविष्य में इनका फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) भी बढ़ेगा।
पॉलिसी के तहत किन इमारतों का होगा पुनर्विकास
ऐसे हाइराइज इमारत जो स्ट्रक्चरल रूप से असुरक्षित घोषित की गई है या 30 साल से अधिक पुरानी है।
संरचनात्मक रुप से असुरक्षित घोषित किए जाने के लिए IIT/NIT या इसके समकक्ष संस्थान द्वारा इमारत को जर्जर घोषित किया गया हो।
पुनर्विकास के लिए इमारत के लीज होल्ड निवासियों में कम से कम 70 प्रतिशत सहमति आवश्यक।
डेवपलर द्वारा प्राधिकरण से मानत्रिच पास कराना होगा।
यहां बनाए जाने वाली अतिरिक्त यूनिट को बेचने के लिए रेरा से रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
निर्माण पूरा होने पर अधिभोग प्रमाण पत्र लेना होगा।
डेवलपर का चयन कैसे होगा
नोएडा में तीन प्रकार की ग्रुप हाउसिंग परियोजनाएं है। इसमें पहली प्राधिकरण द्वारा निर्मित ग्रुप हाउसिंग परियोजना दूसरी को-आपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी जिनको प्राधिकरण ने निर्माण के लिए भूखंड आवंटित किए। इसमें इंप्लाए हाउसिंग शामिल है और तीसरी प्राइवेट बिल्डर द्वारा बनाई गई सोसाइटी है।
प्राधिकरण द्वारा निर्मित योजनाओं में डेवलेपर का चयन बिडिंग प्रक्रिया के लिए किया जाएगा। ये प्राधिकरण या एओए के स्तर से होगी।
को आपरेटिव सोसाइटी के पुनर्विकास के लिए डेवलपर का चयन वहां की एओए व निवासियों द्वारा बनाए गए कोई संघ के जरिए किया जाएगा।
डेवलपर का ट्रैक अच्छा होना चाहिए प्रोजेक्ट पूरा करने की वित्तीय क्षमता होनी चाहिए। ब्लैक लिस्ट किए गया डेवलपर इस प्रक्रिया में हिस्सा नहीं ले सकेगा।
पुनर्विकास के साथ मिलेगा अतिरिक्त एफएआर
इस नीति को और कारगर बनाने के लिए प्राधिकरण ने लिविंग स्टैंडर्ड में सुधार के लिए अतिरिक्त एफएआर देने की मंशा भी जताई है। प्राधिकरण ने बताया कि 1981 में जो भी निर्माण किया गया उसका एफएआर 1.5 था। समय के साथ एफएआर में बढ़ोतरी की गई। वर्तमान में एफएआर 3.5 है। जिन इमारतों में पुनर्विकास की आवश्यकता है उनका एफएआर 1.5 ही है। ऐसे में दुर्बल व को आपरेटिव सोसाइटी के पुनर्विकास के दौरान डेवलपर को 2.75 एफएआर दिया जा सकता है।
पुनर्विकास से पहले आवंटी मिले ये सुविधा
पुनर्विकास का अर्थ यहां इमारत को तोड़कर दोबारा बनाना है। ऐसे में जिनके मकान है उन आवंटियों को सहुलियत दी जाएगी। इसी के बाद निर्माण शुरू किया जाएगा।
आवंटियों को ऑप्शनल स्थान पर अस्थायी आवास दिया जाए
आवंटियों को एक निश्चित धनराशि मकान किराए पर प्रतिमाह दिया जाए।
निश्चित समय तक निशुल्क मकान उपलब्ध कराए जाए।
आवंटियों को वर्तमान में उपलब्ध कारपेट एरिया से कम से कम 15 प्रतिशत अधिक कारपेट एरिया आवंटित किया जाए।
पुनर्विकास में नई इमारत में ये सुविधाएं
लिफ्ट व पार्किंग का प्राविधान करना होगा।
सीसीटीवी नेटवर्क लगाया जाना होगा।
ग्रीन एरिया प्रस्तावित कर विकसित करना होगा। इलेक्ट्रिकल व्हीकल चार्जिंग पाइंट।
फायर सेफ्टी सुनश्वित करना होगा। एसटीपी का निर्माण करना होगा। , रेन वाटर हार्वेस्टिंग।
प्राधिकरण का कार्य और जुर्माना
ये सुनिश्चित करना कि निर्माण से पहले मूल आवंटी के रहने की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।
डेवलपर को सिंगल विंडो क्लीयरेंस दी जाएगी। यदि आवंटियो द्वारा किराए का विकल्प दिया गया है निर्धारित समय पर किराया दिया जाना सुनिश्चित किया जाना।
एस्क्रो खाता खुलवाकर निर्माण कार्य कराया जाना।
यदि तय समय में योजना पूरी नहीं होती तो जुर्माना लगाया जाएगा। त्रिपक्षीय शर्तो का उल्लंघन करने की स्थिति में।